एडवोकेट गंभीर सिंह चाौहान
दुर्भाग्यपूर्ण स्वास्थ्य विभाग और उत्तराखंड शासन प्रशासन के लिए फिर शर्मसार की बात….
मुख्यमंत्री जी के पास ही दोनों विभाग स्वास्थ्य एवं लोक निर्माण विभाग होने के बावजूद भी ये हाल है..
महिला को प्रसव हेतु किस हालात का सामना करना पड़ रहा स्थानीय जन प्रतिनिधि को शर्म भी नही आती पूर्व में भी कई घटना हो चुकी ऐसी नेता शासन प्रशासन फिर भी मौन…
कंधों पर झूलती प्रसव हेतु जिंदगी…
ग्राम पंचायत मुंगाड़ के गांव कचाणू निवासी श्रीमती अंजना w/o देवेन्दर उर्फ छोटू आज दिनांक 08/02/2020 को ग्रामीणों के कंधों पर जिंदगी और मौत की जंग लड़ती हुई गई |
बताते चलेें कि आधुनिक भारत में भी सड़क जैसी मूलभूत सुविधा से कोसों दूर ग्रामपंचायत मुंगाड़ के गांव कचाणू,निवासी स्याणा श्री बिजन सिहं जी के मंझले पुत्र देवेन्दर की पत्नी अंजना देवी को दिनांक 07/02/2020की रात्रि को प्रस्रव पीड़ा हुई ,महिला को कराहते देख कर गांव के लोग एकत्रित हुऐ लेकिन सड़क व अस्पताल की सुविधा न होने के कारण रात्रि के समय कहीं दूर की सोचना भी असंभव था|श्रीमती अंजना जी को उनके हालात पर छोड़ कर सुबह का इंतजार करने के लिए ग्रामीण विवश थे क्योंकि रात के अंधेरे में विकट पहाड़ी पगडंडी से होकर 5 किमी का पैदल सफर खतरे से खाली नहीं था |सुबह होते ही स्थानीय निवासीयों ने महिला को लकड़ी के डंडों पर बाँध कर बड़ी मशक्कत के बाद सड़क तक पहुंचाया लेकिन लोखण्डी में बर्फ होने के करण उल्टे बांस बरेली को लेजाने पड़े, त्यूनी के लिए किसी तरह नीजी वाहन की व्यवस्था कर त्यूनी पहुंचाया | खेर परमपिता परमेश्वर व महासू देवता की असीम अनुकंपा से सब कुछ ठीक रहा लेकिन डिजीटल इंडिया में इस तरह की स्थिति को यहां के वाशिंदों का दुर्भाग्य कहूं या फिर सरकार की बिडंबना| पिछले 30 सालों से लोग सुई कचाणू मोटर मार्ग के निर्माण की मांग कर रहे हैं लेकिन नतीजा आपके सामने है| स्थानीय लोगों के प्रयासों से सड़क की फाइल शासन में वित्तीय स्वीकृति हेतू गयी है लेकिन अभी तक कोई अता पता नहीं है|इधर से forest के द्वारा आपत्ति पर आपत्ति लगाई जा रही है सैद्धान्तिक स्वीकृति होने के बाद अब भारत सरकार के पर्यावरण मंत्रालय द्वारा आपत्ति लगाई गई है कि भारत सरकार को प्रस्ताव की मूल प्रति नही मिली है |वाह!रे मेरे देश क्या तरक्की हो रही है कि सैद्धान्तिक स्वीकृति हो गई पर प्रस्ताव की प्रति नही देखी कि मूल है या छाया प्रति |दूसरी ओर ग्रामीणों द्वारा DFO, CF,Nodal व भारत सरकार के कार्यालय रैजर्स ग्राउंड तक चक्कर काटे जा रहे हैं पर मूल प्रति का कोई खोज न मिल रहा है |बस सब जगह से एक ही जबाव मिलता है कि हमने तो आगे भेज दी है|अब समझ ये नहीं आ रहा है कि फाइल आगे के चक्कर में शायद बहुत आगे चली गई है जहां से वापस आना मुमकिन नहीं है । उक्त प्रकरण को संज्ञान में लेते हुए नवक्रान्ति संगठन कार्यकर्ता जल्द स्वास्थ्य विभाग महानिदेशक उत्तराखंड एव अपर मुख्य सचिव लोकनिर्माण विभाग उत्तराखंड शासन से मुलाकत करेंगे की उक्त घटनाओं के जैसे घटना पुनरावृत्ति न हो पाए ।