• About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact
Uttarakhand Samachar
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
Uttarakhand Samachar
No Result
View All Result

उत्तराखंड को लगे हेली सेवाओं के पंख, बड़ी चुनौतियां अभी भी बरकरार

05/11/25
in उत्तराखंड, देहरादून
Reading Time: 1min read
5
SHARES
6
VIEWS
Share on FacebookShare on WhatsAppShare on Twitter

डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला

उत्तराखंड राज्य गठन को 25 साल पूरे हो रहे हैं. ऐसे में राज्य सरकार इस 25वें वर्षगांठ को रजत जयंती के रूप में मना रही है. साथ ही राज्य गठन के बाद हुए विकास और भविष्य की चुनौतियों पर रणनीति तैयार कर रही है. हालांकि, इन 25 सालों से भीतर तमाम क्षेत्रों में राज्य ने कई मुकाम हासिल किए हैं. इसी कड़ी में उत्तराखंड में इन 25 सालों के भीतर हेली सेवाओं में भी बड़ा विस्तार हुआ है.उत्तराखंड राज्य गठन के बाद हेली कनेक्टिविटी को बढ़ाने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ ही तमाम योजनाओं के जरिए हेली सेवाएं शुरू की गई, लेकिन हमेशा से ही एक बड़ी चुनौती यात्रियों की संख्या कम होना रहा है. जिसके चलते कई बार प्रदेश के भीतर संचालित होने वाले तमाम हेली सेवाओं को बंद भी करना पड़ा. ऐसे में राज्य गठन के बाद से ही उत्तराखंड राज्य में हेली सेवाओं की क्या रही है उत्तर प्रदेश से पृथक एक अलग पर्वतीय राज्य उत्तराखंड का गठन 9 नवंबर 2000 को हुआ था. उस दौरान उत्तराखंड में 5 एयरस्ट्रिप मौजूद थीं. जिसमें जौलीग्रांट एयरपोर्ट, पंतनगर एयरपोर्ट, गौचर, चिन्यालीसौड़ और पिथौरागढ़ हेलीपैड शामिल हैं, लेकिन राज्य गठन के बाद मात्र दो एयरस्ट्रिप जौलीग्रांट और पंतनगर एयरपोर्ट से व्यावसायिक हेली सेवाओं का संचालन किया जा रहा था. इसके बाद प्रदेश में लंबे समय तक इन व्यवस्थाओं के तहत ही संचालन होता रहा. साथ ही साल 2011 में केदारनाथ धाम के लिए हेली सेवा का संचालन शुरू किया गया, लेकिन प्रदेश में मौजूद हेलीपैड से व्यावसायिक संचालन बेहद कम था. ऐसे में प्रदेश के भीतर व्यावसायिक हेली सेवाओं का संचालन बढ़ाए जाने को लेकर राज्य सरकार ने साल 2013 में उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण का गठन किया. इसके बाद से ही प्रदेश में व्यावसायिक रूप से हेली सेवाओं का इस्तेमाल तेज हो गया. इसी बीच जून 2013 में केदार घाटी में आई भीषण आपदा के बाद उत्तराखंड सरकार ने हेली सेवाओं की अत्यधिक जरूरत महसूस की. फिर राज्य में हेली कनेक्टिविटी को बेहतर करने की दिशा में तमाम महत्वपूर्ण कदम उठाए गए. इसमें मुख्य रूप से प्रदेश के भीतर तमाम क्षेत्रों में नए-नए हेलीपैड बनाने की प्रक्रिया को भी तेज कर दिया गया. जिसका ही नतीजा है आज प्रदेश भर में करीब 90 हेलीपैड और 7 हेलीपोर्ट मौजूद हैं. उत्तराखंड में हेली सेवाओं के क्षेत्र में क्रांति की शुरुआत साल 2020 से शुरू हुई. दरअसल, केंद्र सरकार ने 21 अक्टूबर 2016 को उड़ान योजना की शुरुआत की थी. इस योजना के तहत उत्तराखंड में पहली हेली सेवाएं फरवरी 2020 में शुरू हुईं. इसके बाद उत्तराखंड में उड़ान योजना के तहत तमाम हेली सेवाओं का संचालन शुरू किया गया. वर्तमान समय में राज्य और केंद्र सरकार की योजनाओं के तहत 18 रूटों पर हेली सेवाओं और 6 रूटों पर विमान सेवा का संचालन किया जा रहा है.  इसके अलावा भारत सरकार की उड़ान योजना और उत्तराखंड हवाई संपर्क योजना के तहत 10 रूटों पर हेली सेवाओं का संचालन किया जाना प्रस्तावित है. इसके अलावा नागरिक उड्डयन विभाग गौचर और चिन्यालीसौड़ हेलीपैड का भी व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए कार्य योजना तैयार कर रही है, जो 30 दिसंबर तक तैयार होने की संभावना है. केद्र सरकार की ओर से संचालित उड़ान योजना के तहत उत्तराखंड में 12 रूटों पर हेली सेवाओं का संचालन किया जा रहा है. जिसमें देहरादून से अल्मोड़ा, अल्मोड़ा से देहरादून, हल्द्वानी से मुनस्यारी, मुनस्यारी से हल्द्वानी, हल्द्वानी से पिथौरागढ़, पिथौरागढ़ से हल्द्वानी, हल्द्वानी से चंपावत, चंपावत से हल्द्वानी, पिथौरागढ़ से मुनस्यारी, मुनस्यारी से पिथौरागढ़, हल्द्वानी से अल्मोड़ा, अल्मोड़ा से हल्द्वानी रूट शामिल हैं. ऐसे में इन 25 सालों के भीतर हेली सेवाओं के लिए मौजूद इंफ्रास्ट्रक्चर को न सिर्फ अपग्रेड किया गया है बल्कि, कमर्शियल इस्तेमाल की दिशा में भी बेहतर काम किया गया है. साथ ही उत्तराखंड को हेली सेवाओं के जरिए अन्य राज्यों के साथ ही उत्तराखंड के भीतर एक शहर को दूसरे शहर से जोड़ने की दिशा में काम किया गया है. इसके लिए उत्तराखंड सरकार ने उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण का भी गठन किया. हालांकि, डीजीसीए के मानकों के अनुरूप ही हेली सेवाओं का संचालन किया जाएगा. इस योजना से उत्तराखंड के भीतर न सिर्फ हेली सेवाओं का बेहतर ढंग से संचालन हो सकेगा. बल्कि, देश के अन्य शहरों के लिए हेली सेवाओं के संचालन को लेकर राज्य सरकार जरूरत के अनुसार खुद रूट तय कर सकेगी. फिलहाल, राज्य सरकार ने उत्तराखंड हवाई संपर्क योजना को 2029 तक संचालित करने का निर्णय लिया है.  सुरक्षा के दृष्टिकोण से देखें तो पहाड़ी क्षेत्रों में जलवायु व भौगोलिक परिस्थितियों में हेलीकाप्टर सेवाओं का संचालन काफी मुश्किल होता है। उत्तराखंड की भौगोलिक स्थिति को बेहद करीब से समझने वाले कहते हैं कि इसमें कोई दो राय नहीं है कि उत्तराखंड की चारधाम यात्रा के लिए हेलीकॉप्टर बेहद जरूरी है. क्योंकि दिव्यांग श्रद्धालु भी केदारनाथ और बदरीनाथ धाम के दर्शन हेलीकॉप्टर सेवा के जरिए करते हैं. लेकिन इसका दूसरा पहलू भी है, जहां देखा जा रहा है कि चारधाम रूट पर हेलीकॉप्टर को टैक्सी बनाकर उड़ाया जा रहा है. इतना ही नहीं, जो हेलीकॉप्टर देहरादून से उड़ान भरता है उसको शायद यह मालूम नहीं होता कि पहाड़ पर हालात पल-पल बदलते हैं. ऐसे में कई बार दुर्घटना हो जाती है और कई बार बाल बाल बचते हैं. इसलिए सभी पहलुओं को देखकर इन सेवाओं का संचालन हो तो बेहतर है.  केदारनाथ में चल रही हेली सर्विस पर लगाई गई है. डीजीसीए ने यह साफ किया है कि जिस हेलीकॉप्टर में छह सवारियां यात्रा कर रही थी, उन हेलीकॉप्टर में अब सिर्फ 3 से 4 सवारियां ही यात्रा कर पाएंगी. इसके साथ ही वजन और मौसम का भी ध्यान रखा जाएगा. इसके अलावा मौसम जरा भी खराब होता है तो कोई भी हेली एजेंसी हेली के संचालन को लेकर दबाव नहीं बनाएगी. डीजीसीए हर एक उड़ान और एविएशन की सारी एक्टिविटी पर नजर रख रहा है. ताकि इस रिव्यू को बेहतर तरीके से किया जा सके और आगे का फैसला लिया जा सके.। रजत जयंती केवल उत्सव का अवसर न होकर राज्य के विकास की दिशा तय करने वाली मील का पत्थर बने. इसके तहत सरकार न केवल उपलब्धियों का मूल्यांकन करेगी. बल्कि, उन चुनौतियों की पहचान भी करेगी, जो आने वाले सालों में विकास की गति को प्रभावित कर सकती हैं. *लेखक विज्ञान व तकनीकी विषयों के जानकार दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं.*

Share2SendTweet1
https://uttarakhandsamachar.com/wp-content/uploads/2025/10/yuva_UK-1.mp4
Previous Post

उत्तराखंड संभाग के अन्तर्गत गोपेश्वर अंचल के दस दिवसीय नवीन आचार्य अभ्यास वर्ग का उद्घाटन

Next Post

गुरु नानक देव जी की आज 552 वीं जयंती

Related Posts

उत्तराखंड

उत्तराखंड को आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा का वैश्विक केंद्र बनाना हमारा लक्ष्य”-मुख्यमंत्री

November 13, 2025
3
उत्तराखंड

मुख्यमंत्री धामी की टनकपुर में ‘एकता पदयात्रा’, युवाओं को स्वदेशी व नशा मुक्त भारत के लिए किया प्रेरित

November 13, 2025
6
उत्तराखंड

उत्तराखंड के 25 वर्षों के बाद भी शिक्षा प्रणाली की स्थिति गंभीर

November 13, 2025
11
उत्तराखंड

आत्मनिर्भर भारत संकल्प अभियान के तहत महिला सम्मेलन आयोजित

November 13, 2025
11
उत्तराखंड

फर्स्टएड एवं सीपीआर के सम्बन्ध में कार्यशाला का आयोजन

November 13, 2025
11
उत्तराखंड

गणेश गोदियाल को कांग्रेस पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाएं जाने पर देवाल के कांग्रेसियों ने जमकर आतिशबाजी करते हुए मिठाईयां बांटी

November 13, 2025
9

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Popular Stories

  • चार जिलों के जिलाधिकारी बदले गए

    67500 shares
    Share 27000 Tweet 16875
  • डोईवाला : पुलिस,पीएसी व आईआरबी के जवानों का आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण सम्पन्न

    45757 shares
    Share 18303 Tweet 11439
  • ऑपरेशन कामधेनु को सफल बनाये हेतु जनपद के अन्य विभागों से मांगा गया सहयोग

    38032 shares
    Share 15213 Tweet 9508
  •  ढहते घर, गिरती दीवारें, दिलों में खौफ… जोशीमठ ही नहीं

    37426 shares
    Share 14970 Tweet 9357
  • विकासखंड देवाल क्षेत्र की होनहार छात्रा ज्योति बिष्ट ने किया उत्तराखंड का नाम रोशन

    37305 shares
    Share 14922 Tweet 9326

Stay Connected

संपादक- शंकर सिंह भाटिया

पता- ग्राम एवं पोस्ट आफिस- नागल ज्वालापुर, डोईवाला, जनपद-देहरादून, पिन-248140

फ़ोन- 9837887384

ईमेल- shankar.bhatia25@gmail.com

 

Uttarakhand Samachar

उत्तराखंड समाचार डाॅट काम वेबसाइड 2015 से खासकर हिमालय क्षेत्र के समाचारों, सरोकारों को समर्पित एक समाचार पोर्टल है। इस पोर्टल के माध्यम से हम मध्य हिमालय क्षेत्र के गांवों, गाड़, गधेरों, शहरों, कस्बों और पर्यावरण की खबरों पर फोकस करते हैं। हमारी कोशिश है कि आपको इस वंचित क्षेत्र की छिपी हुई सूचनाएं पहुंचा सकें।
संपादक

Browse by Category

  • Bitcoin News
  • Education
  • अल्मोड़ा
  • अवर्गीकृत
  • उत्तरकाशी
  • उत्तराखंड
  • उधमसिंह नगर
  • ऋषिकेश
  • कालसी
  • केदारनाथ
  • कोटद्वार
  • क्राइम
  • खेल
  • चकराता
  • चमोली
  • चम्पावत
  • जॉब
  • जोशीमठ
  • जौनसार
  • टिहरी
  • डोईवाला
  • दुनिया
  • देहरादून
  • नैनीताल
  • पर्यटन
  • पिथौरागढ़
  • पौड़ी गढ़वाल
  • बद्रीनाथ
  • बागेश्वर
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • रुद्रप्रयाग
  • रुद्रप्रयाग
  • विकासनगर
  • वीडियो
  • संपादकीय
  • संस्कृति
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • साहिया
  • हरिद्वार
  • हेल्थ

Recent News

उत्तराखंड को आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा का वैश्विक केंद्र बनाना हमारा लक्ष्य”-मुख्यमंत्री

November 13, 2025

मुख्यमंत्री धामी की टनकपुर में ‘एकता पदयात्रा’, युवाओं को स्वदेशी व नशा मुक्त भारत के लिए किया प्रेरित

November 13, 2025
  • About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.

No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.