प्रकाश कपरूवाण
जोशीमठ। सिखों के पवित्र धाम हेमकुंड साहिब के कपाट दोपहर ठीक डेढ़ बजे शीतकाल के लिए बन्द कर दिए गए। इस मौके पर करीब 15 सौ से अधिक श्रद्धालु इस वर्ष की अंतिम अरदास मे सम्मलित हुए। सेना के जवान श्रद्धालुओं की सहायता के लिए मुस्तेद दिखे।
हेमकुंड साहिब के कपाट बन्द होने की प्रक्रिया के तहत सुबह 10 बजे से सुखमणि साहिब का पाठ शुरू हुआ, सवा ग्यारह बजे से शबद-कीर्तन,दोपहर साढ़े बारह बजे इस वर्ष की अंतिम अरदास व एक बजे हुक्मनामे के बाद पवित्र गुरुग्रंथ साहब को पंच प्यारों की अगुवाई में दरवार हॉल से सतखण्ड ले जाया गया,जहाँ गुरुग्रंथ साहिब को “पालकी साहिब”मे शुशोभित किया गया, और ठीक डेढ़ बजे कपाट बन्द कर दिए गए।
इस अवसर पर हेमकुंड साहिब मैनेजमेंट ट्रस्ट के प्रधान सरदार जनक सिंह के जत्थे के अलावा करीब पन्द्रह सौ श्रद्धालु मौजूद रहे। हेमकुंड साहिब मे 9 इंच से एक फीट तक बर्फ की चादर बिछी है, खराब मौसम व बर्फबारी के बीच सुबह से ही श्रद्धालुओं का घांघरिया से हेमकुंड पहुंचने का क्रम शुरू हो गया था।
सेना की नौ स्वतंत्र पर्वतीय ब्रिगेड ग्रुप की 418 इंजीनियर कंपनी के कैप्टन अनमोल प्रीत सिंह के नेतृत्व मे 32 जवानों की टुकड़ी श्रद्धालुओं के सहयोग के लिए हेमकुंड साहिब मे मौजदू थी। इसी के साथ पवित्र लक्ष्मण मंदिर-लोकपाल के कपाट भी विधिविधान के साथ शीतकाल के लिए बन्द कर दिये गए।
हेमकुंड साहिब मैंनेजमेंट ट्रस्ट के मुख्य प्रबंधक सरदार सेवा सिंह के अनुसार कोविड काल के बाद इस वर्ष की यात्रा मे पूरा उत्साह देखा गया। उन्होंने निर्बाध यात्रा के लिए उत्तराखंड सरकार,जिला प्रशासन,पुलिस प्रशासन, लोनिवि, विद्युत,जल संस्थान , स्थानीय निवासियों तथा सेना व अर्द्धसैनिक बलों का आभार ब्यक्त किया है।