नैनीताल। करीब ढाई महीने के गतिरोध के बाद नैनीताल हाई कोर्ट ने कुछ प्रतिबंधों के साथ चार धाम यात्रा पर लगी रोक हटा दी है। 28 जून को हाई कोर्ट ने कोविड 19 संबंधी पर्याप्त इंतज़ाम न होने के कारण उत्तराखंड की इस महत्वपूर्ण तीर्थ यात्रा पर रोक लगाई थी। इसे हटाने के लिए राज्य सरकार लगातार कोशिशें कर रही थी और राज्य में सियासत भी गरमा गई थी। पिछले दिनों सरकार के सुप्रीम कोर्ट से याचिका वापिस लेने के बाद उत्तराखंड हाई कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई हो सकी।
हाई कोर्ट के आदेश के मुताबिक बद्रीनाथ धाम में 1200 यात्रियों, केदारनाथ धाम में 800, गंगोत्री में 600 और यमुनोत्री धाम में कुल 400 यात्रियों के लिए एक बार में इजाज़त दी गई है। साथ ही कोर्ट ने प्रत्येक धाम पर पहुंचने वाले हर यात्री के लिए कोविड नेगेटिव रिपोर्ट और वैक्सीन के दोनों डोज़ का सर्टिफिकेट भी अनिवार्य किया है। हाईकोर्ट ने चमोली, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी ज़िलों में ज़रूरत के मुताबिक पुलिस फोर्स लगाने के निर्देश सरकार को दिए हैं। किसी भी कुंड में स्नान करने पर भी रोक लगाई गई है।
चारधाम यात्रा शुरू करने के लिए 10 सितंबर को सरकार ने कोर्ट से मामले की जल्द सुनवाई का अनुरोध किया था। कोर्ट ने 16 सितंबर का दिन मुकर्रर किया। मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में इस मामले पर हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यात्रा को कोरोना संक्रमण के लिहाज़ से गाइडलाइन फॉलो किए जाने संबंधी सशर्त मंज़ूरी दे दी।
हाई कोर्ट के चार धाम यात्रा पर प्रतिबंध लगाने के खिलाफ उत्तराखंड सरकार सुप्रीम कोर्ट की शरण में पहुंच गई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिल सकी और इस प्रक्रिया में समय गुज़र गया। कोरोना संक्रमण की हालत काबू में आन के बाद सरकार यात्रा की मंजूरी की मांग कर रही थी, सरकार पर जनता तथा विपक्ष का भी दबाव था। हाई कोर्ट ने कहा था कि जब तक याचिका सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है, वह इस मामले में दखल नहीं देगा। प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से एसएलपी वापस ले ली थी। उसके बाद ही हाई कोर्ट में मामले में सुनवाई हो सकी।