
नीति घाटी ज्योतिर्मठ क्षेत्र के अंतर्गत जनपद चमोली उत्तराखंड में एक ऐसा शिव मंदिर है, जहां बर्फ का शिवलिंग माह जनवरी-फरवरी में बनकर तैयार हो जाता है। इस वर्ष मौसम के भरपूर सहयोग के कारण आजकल नीति वैली के टैमरसैण में बर्फ का शिवलिंग बनकर तैयार हो गया है।

वैसे इस शिवलिंग के बारे में बहुत कम लोगों को मालूम है। विगत 5 वर्ष के कार्यकाल के दौरान नीति गांव के ग्राम प्रधान आशीष राणा लफ्फू के द्वारा इस बर्फ का शिवलिंग व मंदिर के प्रचार प्रसार के लिए एक अभियान चलाया गया। नीति घाटी के सभी प्रधानों ने उनका का साथ दिया। गमसाली की प्रधान रुकमणी देवी तथा धर्मेंद्र सिंह पाल, पाम्पा के प्रधान इस अभियान में शमिल हुए। जिससे लोगों को नीति घाटी में बर्फ का शिवलिंग तैयार होता है। यह क्षेत्र सीमावर्ती होने के साथ.साथ बहुत ही खूबसूरत जगह पर स्थित है।
अब भगवान शिव के दर्शन के लिए 12 माह यात्री यात्रा के लिए जा रहे हैं। माह दिसंबर में अत्यधिक तापमान कम होने के कारण गमशाली मलारी से आगे गाड़ी नहीं चढ पाती है। फिर भी मौसम यदि खुशगवार रहा तो कई लोग नीति महादेव के दर्शन करके लौट जाते हैं। उत्तराखंड सरकार के द्वारा यदि महादेव मंदिर का प्रचार प्रसार किया जाए तो सीमांत क्षेत्र में पलायन पर विराम लग सकता है। यह क्षेत्र माइग्रेशन गांव के अंतर्गत आता है। मई.जून में अधिकांश लोग गांव की ओर आते हैं। माह सितंबर अक्टूबर में नीचली घाटी में वापस लौट आते हैं। यह क्षेत्र अत्यधिक सुंदर है।
घाटी का प्रचार प्रसार न होने के कारण यहां यात्रियों से यह क्षेत्र अछूता रह गया है। उत्तराखंड सरकार ने शैव सर्किट के अंतर्गत इस मंदिर को लाने का प्रयास किया है। किंतु जितना इसका प्रचार होना चाहिए था उतना हो नहीं पाया। नीति गांव के आसपास परंपरागत शैली में बने हुए मकान लोगों के लकड़ी के घर अत्यधिक सुंदर और दिलकश लगते हैं। नीति गांव में मां नंदा का मंदिर काफी प्रसिद्ध है। नीति बॉर्डर का अंतिम नंदा का मंदिर इसी गांव में स्थित है।
नंदा अष्टमी के पर्व पर यहां भव्य मेला लगता है। जनजातीय गांव नीति के लोग देश विदेश से इस मौके पर वापस गाँव लौट कर आते हैं। परंपरागत रूप से लोक नृत्य का भव्य आयोजन किया जाता है। महादेव मंदिर में भी अब बाहर से लोग आने जाने लग गए हैं। शिवरात्रि एवं श्रावण मास के सोमवार के दिन भारी मात्रा में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। एक सुंदर गुफा में यह शिवलिंग विराजमान है। माह दिसंबर से माह फरवरी तक बर्फ का शिवलिंग बनकर कर तैयार हो जाता है।
नीति वैली के आसपास क्या देखें सकते हैं? नीति घाटी के रास्ते में कई महत्वपूर्ण स्थान है, जोशीमठ में ज्योर्तिमठ, नरसिंह मंदिर, शंकराचार्य मठ इसके अलावा रास्ते में रैणी चिपको आंदोलन का गांव, लाता भगवती नंदा देवी का प्रसिद्ध मंदिर, मलारी में मलि गिरी सेरा, हीरामणि देवी का प्रसिद्ध मंदिर, यहां देखे जा सकते हैं। मलारी को यूनेस्को के द्वारा हेरिटेज गांव घोषित किया गया है। शीतकाल के समय में आपको सीधा जोशीमठ से नीति वापस जोशीमठ आना होगा या तपोवन के आसपास कही होमस्टे में रुकना होगा।
कैसे पहुंचे नीति वैली टिम्मरसैण महादेव मंदिर पहुंचने के लिए ऋषिकेश या हरिद्वार से सीधा बस, कार, जीप, मोटर साइकिल से 280 किलोमीटर जोशीमठ पहुंचा जाता है। यहां से लगभग नीति गांव 80 किलोमीटर के लगभग बस कार से यात्रा की जा सकती है। अब यहां जाने के लिए ऑनलाइन परमिशन की आवश्यकता नहीं है। अधिक जानकारी के लिए ट्रैवल एजेंसी से संपर्क कर सकते हैं एवं तहसील प्रशासन जोशीमठ से भी संपर्क किया जा सकता है।
लक्ष्मण सिंह नेगी समाजसेवी स्वतंत्र लेखक की रिपोर्ट












