• About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact
Uttarakhand Samachar
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
Uttarakhand Samachar

कोरोनावायरस को मात दे रहा भारतीय सांस्कृतिक अभिवादन नमस्कार

19/03/20
in उत्तराखंड, संस्कृति
Reading Time: 1min read
0
SHARES
203
VIEWS
Share on FacebookShare on WhatsAppShare on Twitter

डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला
संस्कृत व्याकरण की दृष्टि से इसकी उत्पत्ति इस प्रकार है. नमस्ते नमःते। अर्थात् तुम्हारे लिए प्रणाम। संस्कृत में प्रणाम या आदर के लिए नमः अव्यय प्रयुक्त होता है, जैसे. सूर्याय नमः सूर्य के लिए प्रणाम है। इसी प्रकार यहाँ. तुम्हारे लिए प्रणाम है, के लिए युष्मद् तुम की चतुर्थी विभक्ति का प्रयोग होता है। वैसे तुम्हारे लिए, के लिए संस्कृत का सामान्य प्रयोग तुभ्यं है, परन्तु उसी का वैकल्पिक, संक्षिप्त रूप ते भी बहुत प्रयुक्त होता है, यहाँ वही प्रयुक्त हुआ है। अतः नमस्ते का शाब्दिक अर्थ है तुम्हारे लिए प्रणाम। इसे तुमको प्रणाम या तुम्हें प्रणाम भी कहा जा सकता है। परन्तु इसका संस्कृत रूप हमेशा तुम्हारे लिए नमः ही रहता है, क्योंकि नमः अव्यय के साथ हमेशा चतुर्थी विभक्ति आती है।
हिंदुस्तानियों की पहचान बना नमस्कार केवल एक परंपरा ही नहीं बल्कि इसके कई भौतिक और वैज्ञानिक फायदे हैं। जिनके बारे में आप में से बहुत कम लोग जानते होंगे। हिन्दुओं और भारतीयों द्वारा एक दूसरे से मिलने पर अभिवादन और विनम्रता प्रदर्शित करने हेतु प्रयुक्त शब्द है। इस भाव का अर्थ है कि सभी मनुष्यों के हृदय में एक दैवीय चेतना और प्रकाश है जो अनाहत चक्र हृदय चक्र में स्थित है। यह शब्द संस्कृत के नमस शब्द से निकला है। इस भावमुद्रा का अर्थ है एक आत्मा का दूसरी आत्मा से आभार प्रकट करना। दैनन्दिन जीवन में नमस्ते शब्द का प्रयोग किसी से मिलने हैं या विदा लेते समय शुभकामनाएं प्रदर्शित करने या अभिवादन करने हेतु किया जाता है। नमस्ते के अतिरिक्त नमस्कार और प्रणाम शब्द का प्रयोग करते हैं। फायदा जब आप हाथ जोड़कर नमस्ते करते हैं तो उस वक्त हथेलियों को दबाने से या जोड़े रखने से हृदयचक्र और आज्ञाचक्र में सक्रियता आती है जिससे जागरण बढ़ता है, आप का मन शांत हो जाता है जिसकी वजह से खुद ब खुद आप के चेहरे पर हंसी आ जाती है।मनोवैज्ञानिक तरीका जब इंसान को बहुत गुस्सा आये तो उसे तुरंत लोगों को नमस्कार कर देना चाहिए क्योंकि नमस्कार करने पर आपके दोनों हाथ जुड़ जाते हैं तो आप गुस्सा नहीं कर पाते हैं। और आपको यूं देखकर सामने वाले का भी गु्स्सा शांत हो जाता है।
अनाहत चक नमस्ते करने के लिएए दोनो हाथों को अनाहत चक पर रखा जाता है, आँखें बंद की जाती हैं और सिर को झुकाया जाता है। शारीरिक सुरक्षा जब भी आप किसी से हाथ मिलाने की जगह नमस्कार करते हैं तो आप अपने को सामने वाले के किसी भी शारीरिक संक्रमण से भी सुरक्षित रखते हैं। हाल ही में कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण नमस्कार या नमस्ते शब्द विश्वव्यापी बन गया है समस्त विश्व में सभी लोग हाथ मिलाने की वजह नमस्कार, नमस्कार को अभिवादन के रूप में स्वीकार कर रहे हैं। नमस्ते शब्द अब विश्वव्यापी हो गया है। विश्व के अधिकांश स्थानों पर इसका अर्थ और तात्पर्य समझा जाता है और प्रयोग भी करते हैं। फैशन के तौर पर भी कई जगह नमस्ते बोलने का रिवाज है। यद्यपि पश्चिम में नमस्ते भावमुद्रा के संयोजन में बोला जाता है, लेकिन भारत में ये माना जाता है कि भावमुद्रा का अर्थ नमस्ते ही है और इसलिए, इस शब्द का बोलना इतना आवश्यक नहीं माना जाता है।
हाथों को हृदय चक्र पर लाकर दैवीय प्रेम का बहाव होता है। सिर को झुकाने और आँखें बंद करने का अर्थ है अपने आप को हृदय में विराजमान प्रभु को अपने आप को सौंप देना। गहरे ध्यान में डूबने के लिए भी स्वयं को नमस्ते किया जा सकता है। जब यह किसी और के साथ किया जाए तो यह एक सुंदर और तीव्र ध्यान होता है। एक शिक्षक और विद्यार्थी जब एक दूसरे को नमस्ते कहते हैं तो दो व्यक्ति ऊर्जात्मक रूप से वे समय और स्थान से रहित एक जुड़ाव बिन्दु पर एक दूसरे के निकट आते हैं और अहं की भावना से मुक्त होते हैं। यदि यह हृदय की गहरी भावना से मन को समर्पित करके किया जाए तो दो आत्माओं के मध्य एक आत्मीय संबंध बनता है। आदर्श रूप से, नमस्ते कक्षा के आरंभ और समाप्ति पर किया जाना चाहिए। आमतौर पर यह कक्षा की समाप्ति पर किया जाता है क्योंकि तब मन कम सक्रिय होता है और कमरे की ऊर्जा अधिक शांत होती है। शिक्षक नमस्ते कहकर अपने छात्रों और अपने शिक्षकों का अभिवादन करता है और अपने छात्रों का स्वागत करता है कि वे भी उतने ही ज्ञानवान बनें और सत्य का प्रवाह हो। एक समय था जब किसी से मिलने पर हाथों को जोड़कर उसका अभिवादन करते थे। लेकिन आजकल हमारा अभिवादन का तरीका बदल गया है और हाथ जोड़ने की बजाय हाय या हैलो शब्दों का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन अगर हम आपको कहें कि अगर आप हेल्दी रहना चाहती हैं तो नमस्ते करके ही सामने वाले का अभिवादन करना चाहिए। तो शायद आपको यकीन नहीं होगाए लेकिन यह सच है। जी हां इंडियन कल्चर में हमेशा से बड़ों को सम्मान देने और दूसरों का अभिवादन करने के लिए हाथों को जोड़कर नमस्ते किया जाता है। हालांकि आजकल हम अपनी इस कल्चर को भूलते जा रहे हैं। लेकिन इसके बहुत सारे हेल्थ बेनिफिट्स भी है। इससे जानने के बाद आप भी दूसरों का खासतौर पर बड़ों का अभिवादन हाथों को जोड़कर ही करेंगी। कोरोना वायरस का डर आम लोगों के साथ ही पुलिसवालों को भी सताने लगा है। जागरुक करने के साथ ही पुलिसवाले भी अब हाथ मिलाना छोड़ हाथ जोड़ना शुरू कर दिए हैं। थानों पर इसको लेकर विशेष बैठकें आयोजित कर मातहतों को बचाव की जानकारियां दी जा रही हैं। बचाव के स्लोगन भी लगाए जा रहे हैं।
निदा फ़ाज़ली का ये शेर अब किसी काम का नहीं रहा
दुश्मनी लाख सही, ख़त्म ना कीजे रिश्ता।
दिल मिले ना मिले, हाथ मिलाते रहिये। के खौफ ने हाथ मिलाने की प्रथा को लगभग बंद कर दिया है। आज दुनिया में हर जगह लोग हाथ मिलाने से कतरा रहे हैं, इतना ही नहीं अब वे पश्चिमी तरीके से किए जाने वाले अभिवादन यानि एक.दूसरे से संपर्क करने से भी कतरा रहे हैं। अनेक देशों की सरकारों ने हाथ मिलाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। कोरोनावायरस के कारण अभिवादन की पद्धतियां काफी चर्चा में हैं और अतिउत्साही हिंदू केवल नमस्ते को हिंदुत्व की पद्धति बता रहे हैं जबकि वास्तव में हिंदुत्व में अभिवादन हैं।
यह असाधारण अभिभूत होने वाली स्थिति में, देवता, ऋषि, संन्यासी व गुरु के सामने किये जाने की ही अनुमति है। लेकिन कुछ विदेशी जातियों व राजाओं ने इसे अपनी श्रेष्ठता व महत्ता दिखाने व शत्रुओं को अपमानित करने हेतु भी प्रयुक्त किया। अतः सभी प्रकार की अभिवादन पद्धतियाँ हिंदुओं ने संसार को प्रदान की लेकिन कोरोना के कारण नमस्ते सर्वाधिक प्रचलित हो रहा है। अक्सर भारतीय संस्कृति में हाथ जोड़कर तथा साष्टांग प्रणाम कर अभिवादन करने की परंपरा है जबकि वर्तमान में अभिवादन का प्रचलित स्वरूप हाथ मिलाना है। ब्रिटेन में हुए एक शोध में पाया गया है कि अगर हाथ मिलाने की जगह हम एक दूसरे से नमस्कार करें तो संक्रमण को दस गुना कम किया जा सकता है। मेडिकल रिसर्च काउंसिल संस्थान के शोधकर्ताओं का कहना है कि लोगों के स्वास्थ्य के लिहाज से यह एक अहम शोध साबित होगा।

ShareSendTweet
Previous Post

रणजीत के हत्यारों को फांसी और पत्नी को 50 लाख मुआवजा दें

Next Post

विधायक ने दिया माईथान में पंचायत भवन बनाने का आश्वासन

Related Posts

उत्तराखंड

मत्स्य पालन को स्वरोजगार का मजबूत साधन बनाया मोहन सिंह बिष्ट ने

June 27, 2025
7
उत्तराखंड

देहरादून के खाराखेत का नमक सत्याग्रह पुस्तिका पर चर्चा

June 27, 2025
13
अल्मोड़ा

बारिश से क्वारब में आवाजाही हुई खतरनाक,पहाड़ी बनी मुसीबत

June 27, 2025
13
उत्तराखंड

पौड़ी पुलिस के प्रयासों से मोबाइल स्वामियों के चेहरों पर लौट रही मुस्कान

June 27, 2025
9
उत्तराखंड

देहरादून: डोईवाला क्षेत्र से भिक्षावृत्ति और कूड़ा बीनने में लिप्त एक बालक को किया रेस्क्यू

June 27, 2025
237
उत्तराखंड

सरकारी भूमि में अतिक्रमण न हो इसके लिए मजबूत मैकेनिज्म बनाया जाय: मुख्यमंत्री

June 27, 2025
10

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Popular Stories

  • चार जिलों के जिलाधिकारी बदले गए

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • डोईवाला : पुलिस,पीएसी व आईआरबी के जवानों का आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण सम्पन्न

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • ऑपरेशन कामधेनु को सफल बनाये हेतु जनपद के अन्य विभागों से मांगा गया सहयोग

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  •  ढहते घर, गिरती दीवारें, दिलों में खौफ… जोशीमठ ही नहीं

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • विकासखंड देवाल क्षेत्र की होनहार छात्रा ज्योति बिष्ट ने किया उत्तराखंड का नाम रोशन

    0 shares
    Share 0 Tweet 0

Stay Connected

संपादक- शंकर सिंह भाटिया

पता- ग्राम एवं पोस्ट आफिस- नागल ज्वालापुर, डोईवाला, जनपद-देहरादून, पिन-248140

फ़ोन- 9837887384

ईमेल- shankar.bhatia25@gmail.com

 

Uttarakhand Samachar

उत्तराखंड समाचार डाॅट काम वेबसाइड 2015 से खासकर हिमालय क्षेत्र के समाचारों, सरोकारों को समर्पित एक समाचार पोर्टल है। इस पोर्टल के माध्यम से हम मध्य हिमालय क्षेत्र के गांवों, गाड़, गधेरों, शहरों, कस्बों और पर्यावरण की खबरों पर फोकस करते हैं। हमारी कोशिश है कि आपको इस वंचित क्षेत्र की छिपी हुई सूचनाएं पहुंचा सकें।
संपादक

Browse by Category

  • Bitcoin News
  • Education
  • अल्मोड़ा
  • अवर्गीकृत
  • उत्तरकाशी
  • उत्तराखंड
  • उधमसिंह नगर
  • ऋषिकेश
  • कालसी
  • केदारनाथ
  • कोटद्वार
  • क्राइम
  • खेल
  • चकराता
  • चमोली
  • चम्पावत
  • जॉब
  • जोशीमठ
  • जौनसार
  • टिहरी
  • डोईवाला
  • दुनिया
  • देहरादून
  • नैनीताल
  • पर्यटन
  • पिथौरागढ़
  • पौड़ी गढ़वाल
  • बद्रीनाथ
  • बागेश्वर
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • रुद्रप्रयाग
  • रुद्रप्रयाग
  • विकासनगर
  • वीडियो
  • संपादकीय
  • संस्कृति
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • साहिया
  • हरिद्वार
  • हेल्थ

Recent News

मत्स्य पालन को स्वरोजगार का मजबूत साधन बनाया मोहन सिंह बिष्ट ने

June 27, 2025

देहरादून के खाराखेत का नमक सत्याग्रह पुस्तिका पर चर्चा

June 27, 2025
  • About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.

No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.