डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला
स्नेह राणा भी है आईसीसी महिला वनडे विश्वकप विजेता टीम इंडिया का हिस्सा। भारतीय महिला टीम ने दो नवंबर 2025 की रात इतिहास रच दिया। आईसीसी महिला वनडे विश्वकप के फाइनल में दक्षिण अफ्रीका को 52 रन से हराकर 52 साल का लंबा इंतजार खत्म कर दिया।
भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने दो नवंबर 2025 की रात आईसीसी महिला वनडे विश्वकप के फाइनल में दक्षिण अफ्रीका को 52 रन से हराकर इतिहास रच दिया। भारतीय महिला टीम ने पहली बार वर्ल्ड कप चैंपियन बनकर आखिर 52 साल का लंबा इंतजार खत्म कर दिया। भारतीय टीम की इस ऐतिहासिक जीत का हिस्सा देहरादून की बेटी स्नेह राणा भी रहीं हैं। पहाड़ो में जन्मी स्नेह युवा क्रिकेट-प्रेमियों के लिए एक प्रेरक बन गई हैं जो छोटे शहरों से आगे बढ़ने के सपने देखते हैं।
उत्तराखंड की बेटी स्नेह राणा दाएँ हाथ से बल्लेबाज़ी करने के साथ एक ऑल-राउंडर हैं। स्नेह फाइनल मुकाबले में प्लेंग 11 में शामिल नहीं थी, पर शुरुआती मैचों में वह टीम का हिस्सा थी।
स्नेह का शुरुआती जीवन बेहद कठिनाइयों से गुजरा। उनके पिता एक किसान थे और परिवार आर्थिक रूप से बहुत समृद्ध नहीं था। स्नेह को बचपन से ही क्रिकेट में रुची थी और वो गली के लड़को के साथ क्रिकेट खेलती थी।
स्थानिय क्रिकेट क्लब से अंतरराष्ट्रीय चयन
स्नेह ने नौ साल की उम्र में स्थानिय क्रिकेट क्लब जॉइन किया और हौसला इतना बुलंद था की रोज़ कई किलोमीटर साइकल चलाकर कोचिंग लेने जाना पड़ता था। स्नेह ने कठिनाइयों से हार नहीं मानी और उनका चयन अंतरराष्ट्रीय महिला क्रिकेट टीम में हो गया। साल 2014 में उन्होंने ODI और 20-20 प्रारूप में भारत के लिए खेलने की शुरुआत की और आज वह महिला विश्व कप विजेता टिम इंडिया का हिस्सा हैं।
उनकी यह कहानी सिर्फ क्रिकेट की नहीं, हौसले और सपनों की उड़ान की कहानी है।देहरादून की मिट्टी से उठी स्नेह राणा ने साबित कर दिया अगर जज़्बा सच्चा हो, तो पहाड़ भी मंज़िल बन जाते हैं।
भारत महिला वर्ल्ड कप जीतने वाली चौथी टीम बन गई हैं। इससे पूर्व इंग्लैंड,ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड विश्वकप ट्रॉफी अपने नाम कर चुकी है। भारत की विश्वकप जीतने की उम्मीद तभी पक्की हो गई थी जब टीम ने सैमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया को रौंद दिया था।भारतीय महिला टीम ने दो नवंबर 2025 की रात इतिहास रच दिया। आईसीसी महिला वनडे विश्वकप के फाइनल में दक्षिण अफ्रीका को 52 रन से हराकर 52 साल का लंबा इंतजार खत्म कर दिया।लेखक विज्ञान व तकनीकी विषयों के जानकार दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं*












