देहरादून, 10 दिसंबर, 2025
दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र में महिला उत्तरजन सोसाइटी के सहयोग से अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के अवसर पर स्त्री हिंसा का सच बनाम स्त्री समानता का कठिन स्वप्न पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया।
इस विषय पर आयोजित संगोष्ठी की अध्यक्षता डॉ वीणा बाना, पूर्व एसोसिएट प्रोफेसर, एसजीएस विश्वविद्यालय, बीकानेर, राजस्थान मुख्य अतिथि ने की. डॉ रचना नौटियाल, पूर्व प्राचार्य, राजकीय महाविद्यालय, गोपेश्वर इस कार्यक्रम की मुख्य अतिथि थी। कार्यक्रम की मुख्य वार्ताकार के रूप में डॉ. हिमांशु बौड़ाई, पूर्व विभागाध्यक्ष, राजनीति विज्ञान, हे.न.ब. केन्द्रीय गढ़वाल विश्वविद्यालय तथा सुश्री रामेंद्री मंद्रवाल, पीसीएस अधिकारी थी।
कार्यक्रम की संयोजक बिमला रावत ने कहा कि वर्ष 2017 से महिलाओं और बेटियों के सवालों पर काम कर रही सामाजिक संस्था महिला उत्तरजन सोसाइटी
कुछ वर्षों से इस विषय पर समाज और शासन का ध्यान आकर्षित करने के लिए इस मुद्दे को उठा रही है। यह इसलिए जरूरी है कि आज समाज में महिला हिंसा घिनौने और विकृत रूप में दिखाई दे रही है। यदि समाज ने इसकी निंदा नहीं की तो एक दिन समाज फिर विकृति की ओर लौट सकता है।
वक्ताओं का मानना था कि समाज में फैलीI स्त्री हिंसा एक महामारी की तरह फैली है। वर्तमान में महिला हिंसा में काफी बढ़ोतरी हो रही है। इसमें 30%, घरेलू हिंसा के रुप में है। महिला हिंसा एक तरह मनोवैज्ञानिक बीमारी के रुप में व्याप्त है।
विधिक वार्ताकार सुश्री रामिन्द्री मन्द्रवाल ने कहा 1776- में अमेरिका आजाद हुआ किन्तु एकभी महिला राष्ट्रपति नहीं हुई । महिला की सशक्तीकरण स्वंय उसके अन्दर है। समाज में शिक्षा रोजगार जीवन जीने की समानता होनी
मुख्य अतिथि प्रो. रचना नौटियाल ने कहा अन्तर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस लिंग विषमता का एक महत्वपूर्ण विषय है।
अन्त में कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वीणा बाना वे समाज में महिला हिंसा रोकने के लिए व्यापक तौर पर समाज में जागरूकता लाने की बात कही.
कार्यक्रम में निबन्ध लेखन, चित्रकला प्रतियोगिता में प्रति भाग करने वाली विद्यालय की प्रतिभागी छात्राओं को पुरस्कृत भी किया गया.
कार्यक्रम में महिला उत्तरजन संस्था के अध्यक्ष, बिमला रावत,
कमला डिमरी, शोभा रतूड़ी, कमला पंत, डॉली डबराल ज्योत्स्ना कुकरेती, कांता घिल्डियाल,आदि अन्य सामाजिक कार्यकर्ता बड़ी संख्या में महिलाएं, छात्राएं आदि उपस्थित रहीं











