तू होली ऊंचि डांड्यू मां बीरा घसियारी का भेस मां, खुद मा तेरी सड्क्यूं पर मी, रुणु छौं परदेस मां…। कितना दर्द है इस गीत में हम आदरणीय जीत सिंह नेगी जी के गीतों को नरेन्द्र सिंह नेगी जी की आवाज में ही सुन पाए। हालांकि उन्होंने सात दशक तक लोकसंगीत की सेवा की, पर उनके खुद के एलपी रिकार्ड अब उपलब्ध नहीं हैं।
उनके पास भी आखिरी एलपी रिकार्ड भी टूट चुका है। मुझे उनके साथ कुछ साल पूर्व बिताया वह पूरा दिन याद है। उस दिन एक तरह से पूरी तरह उनके जीवन से जुड़ी हर बात पर चर्चा का मौका मिला था। मुझे इस बात का संतोष है कि इस दम पर उनके गीतों की महक को महसूस कर सकाण्ण्और ये गीत मनो मस्तिष्क पर अमिट रहेंगे..। भावपूर्ण श्रद्धाजंलि
शैलेंद्र सेमवाल की फेसबुक वाल से