डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला
आयुर्वेद में हजारों सालों से एक नाम बहुत ज्यादा चलन में है, जिनसेंग। यह एक औषधीय पौधा है, जिसे कई गंभीर बीमारियों के उपचार के लिए उपयोग में लाया जाता है। इस पौधे के गुण ही हैं, जो इसे आयुर्विज्ञान में मौजूद किसी अन्य जड़ी.बूटी से बेहतर और प्रचलित बनाते हैं। बताया जाता है कि यह औषधि इतनी कारगर और अचूक है कि आज इसे करीब छह मिलियन से ज्यादा अमरीकी नियमित रूप से इस्तेमाल करते हैं। माना जाता है कि जिनसेंग के फायदे अनगिनत हैं। इसमें शरीर की उत्तेजना बढ़ाने, प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने, फ्लू जैसे कई संक्रमणों से मुकाबला करने की अद्भुत क्षमता पाई जाती है जीनस पैनाक्स ;नामक पौधे की जड़ को जिनसेंग कहा जाता है। इसका स्वाद कड़वा और मसालेदार होता है।
यह पौधा अरिलियासी परिवार से संबंध रखता है। बताया जाता है कि दुनिया में जिनसेंग की करीब 11 प्रजातियां मौजूद हैं। वहीं प्रकार की बात करें, तो मुख्य रूप से जिनसेंग के पांच प्रकार अधिक चलन में हैं, जिन्हें एशियाई जिनसेंग, अमेरिकी जिनसेंग, साइबेरियाई जिनसेंग, भारतीय जिनसेंग व ब्राजील जिनसेंग के नाम से जाना जाता है। जिनसेंग एक स्वास्थ्यवर्धक और यौन शक्तिवर्धक दबाई के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। जबकि यह पूरी दुनिया में ज्यादातर पुरुष शक्तिवर्धक के लिए उपयोग किया जाता रहा है। यह पुरुषों में टेस्टोस्टरोन की वृद्धि करता है एवं प्रजनन क्षमता को बढ़ाता है और शरीरिक और मानसिक थकान को जल्दी को दूर करता है। इसका प्रयोग आयर्वेदिक औषधि के अलावा एलोपैथिक दवाओं में भी किया जाता है और आयर्वेद में इसका इस्तेमाल प्राचीनकाल से किया जा रहा है।
जिनसेंग की जड़ को औषधी माना जाता है जिसे कैप्सूल और पाउडर के रूप में खाया जाता है। यह ज्यादातर एशियाई देशो जैसे चीन, कोरिया, नेपाल और वियतनाम में ज्यादा पाया जाता है। जिनसेंग ज्यादातर पेनेक्स कुल के पौधों की जड़ को जिनसेंग के लिए पूरी दुनिया में व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाता है। यह पेनेक्स जिनसेंग चीन और कोरिया में मुख्य रूप से पाया जाता है। पेनेक्स जिनसेंग हज़ारों सालों से टॉनिक के रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा है। जिनसेंग मुख्यता दो प्रकार के होते है एक सफ़ेद और दूसरा लाल। सफ़ेद जिनसेंग को धूप में सुखाकर और लाल जिनसेंग को भांप में पकाकर शुद्ध किया जाता है। जिनसेंग के जिन पौधों की उम्र 5-6 साल होती है उन ही पौधों को औषधी ले लिए ज्यादा योग्य माना जाता है। जिसमें से जिनसेंग नामक जड़ी बूटी आज कल काफी पॉपुलर हो रही है।
यह साइबेरिया, उत्तिरी चीन और कोरिया में पाया जाता है, जो कि अब भारत मे भी आसानी से मिलने लगा है। यह एक स्वाजस्य्न से भरी जड़ी बूटी है, इसका प्रयोग चीन की चिकित्साट में किया जाता था। इसकी चाय, कैप्सूैल और दवाइयां भी मिलती हैं। कुछ पहले पूर्व लाहुल.स्पीति में करीब 20 हेक्टेयर भूमि पर केसर और चाइनिज जिनसेंग पर काम शुरू किया था और इसके अच्छे परिणाम मिले थे। इससे प्रोत्साहित होकर संस्थान के वैज्ञानिकों ने प्रदेश के कुछ अन्य स्थानों पर केसर उगाने के प्रयोग शुरू किए थे। जानकारी के अनुसार आईएचबीटी के वैज्ञानिकों ने अपने प्रयोगों से प्रदेश में ऐसी जगह का पता लगा लिया हैए जहां पर एक साल में दोगुनी साइज का कोर्म तैयार हो सकेगा।
इसका सीधा असर केसर की पैदावार पर होगा और प्रदेश केसर तैयार करने वाले बड़े राज्य के तौर पर उभर सकेगा। हालांकि कुछ कारणों से संस्थान के वैज्ञानिक उस जगह का नाम सार्वजनिक नहीं कर रहे हैं, लेकिन यह तय है कि जल्द ही कोर्म प्रोडक्शन सेंटर की स्थापना किए जाने की तैयारी शुरू हो गई है। संस्थान के वैज्ञानिकों ने मैथेमैटिक्ल मॉडलिंग तकनीक से इस बात का पता लगाया कि देश व प्रदेश के किन क्षेत्रों में केसर की खेती हो सकती है। सफल ट्रायल से ऐसे स्थानों को चिन्हित किया गया, जहां केसर की भरपूर फसल ली जा सकती है। ऐसे स्थान भी मिले हैं, जहां केसर के बीमारी रहित बड़े साइज के कोर्म तैयार किए जा सकते हैं यह चाय आपकी सारी चिंताओं को दूर करने में मदद करती है। माचा टी शरीर को डिटॉक्सइ करता है क्योंकि यह एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर है।
इसके अलावा, यह फाइबर, क्लोरोफिल और विटामिन से भरपूर होता है, जो इसका सेवन से मूड़ बेहतर होता है और चिंता व तनाव से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा, माचा टी एक एनर्जी बूस्टर, कैलोरी बर्नर और डिटॉक्स डाइल्यूट के रूप में काम करती है और यह लिवर और दिल की भी रक्षा करने में सहायक है। जिनसेंग टी वजन घटाने से लेकर ब्लेड प्रेशर कंट्रोल करने तक कई फायदों से भरपूर है। तनाव या थकान के समय शरीर को उत्तेजित करने के जिनसेंग टी अपने प्राकृतिक लाभों के लिए जानी जाती है। क्योंकि यह व्यनक्ति के संज्ञानात्मक कार्यों और मानसिक क्षमताओं में सुधार करती है। जिनसेंग टी आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाने में भी मददगार है । चाय असाधारण स्वा्रस्थ्य लाभों से भरपूर है, यह एक ब्लड क्लींजर के रूप में काम करती है और शरीर में मल त्याग को बेहतर बनाती है। इसलिए यदि आप रोजाना जौ की चाय पीते हैं, तो इससे आपको कई एंटीऑक्सिडेंट मिलते हैं, कई बीमारियों और विकारों को दूर रखने में मदद करता है।
उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में प्रदेश में उच्च गुणवत्तायुक्त के जिनसेंग उत्पादन कर देश.दुनिया में स्थान बनाने के साथ राज्य की आर्थिक तथा पहाड़ी क्षेत्रों में पलायन को रोकने का अच्छा विकल्प बनाया जा सकता है। अगर ढांचागत अवस्थापना के साथ बेरोजगारी उन्मूलन की नीति बनती है तो यह पलायन रोकने में कारगर होगी उत्तराखण्ड हिमालय राज्य होने के कारण बहुत सारे बहुमूल्य उत्पाद जिनकी अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में अत्यधिक मांग रहती हैए प्रदेश विज्ञान एवं पर्यावरण परिषद को भी पेटेंट करवाया की जरूरत है। उत्तराखंड की संस्कृति एवं परंपराओं ही नहीं, यहां के खान.पान में भी विविधता का समावेश है। जिससे आज यह औषधि विलुप्त होने के कगार पर है, अतः इसका संरक्षण आज समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है। ऐसी को यदि जिनसेंग बागवानी रोजगार से जोड़े तो अगर ढांचागत अवस्थापना के साथ बेरोजगारी उन्मूलन की नीति बनती है तो यह पलायन रोकने में कारगर होगी उत्तराखण्ड हिमालय राज्य होने के कारण बहुत सारे बहुमूल्य उत्पाद जिनकी अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में अत्यधिक मांग है। प्रतिरक्षा प्रणाली कोशिकाओं, ऊतकों और अंगों का एक विशाल और संगठित नेटवर्क है जो कीटाणुओं, वायरस और सूक्ष्मजीवों से शरीर की रक्षा करता है। यह संक्रमण को रोककर आपके शरीर को स्वस्थ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।












