देहरादून। उत्तराखंड पत्रकार संयुक्त संघर्ष मोर्चा के बैनरतले पिछले एक सप्ताह से आंदोलनरत पत्रकारों का धरना बुधवार को भी जारी रहा। विज्ञापन आवंटन में भेदभावपूर्ण नीति को लेकर पत्रकारों में खासा रोष व्याप्त है। अपनी मांगों के संबंध में पत्रकारों द्वारा मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन भी भेजा गया। पत्रकारों का कहना है कि राज्य के छोटे व मझौले अखबारों और न्यूज पोर्टलों को सरकार द्वारा विज्ञापन जारी न कर उनका गला घोंटने का प्रयास किया जा रहा है। सरकार की इस दमनकारी नीति के विरोध में राज्यभर के पत्रकार एकजुट होने लगे हैं। बुधवार सायं को पत्रकारों द्वारा देहरादून में मशाल जुलूस निकाला गया, जिसमें कि पत्रकार बड़ी संख्या में शामिल हुए। सूचना विभाग की चुप्पी और मांगों पर कार्यवायी न किए जाने से पत्रकारों का यह आंदोलन उग्र रूप भी धारण कर सकता है। गुरुवार से पत्रकारों ने आमरण अनशन शुरु करने का ऐलान किया है।
विभिन्न जिलों के पत्रकारों ने उत्तराखंड पत्रकार संयुक्त संघर्ष मोर्चा के बैनरतले देहरादून में चलाए जा रहे आंदोलन को अपना समर्थन प्रदान करने की घोषणा की है। देहरादून समेत कई अन्य जनपदों के पत्रकारों ने भी मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजे हैं। विभिन्न संगठनों से जुड़े पत्रकार उत्तराखंड पत्रकार संयुक्त संघर्ष मोर्चा के बैनरतले पिछले एक सप्ताह से देहरादून स्थित सूचना भवन में धरना दे रहे हैं, लेकिन सरकार की कानों पर जूं तक नहीं रेंगी, इससे पत्रकारों का आक्रोश लगातार बढ़ता जा रहा है। पत्रकारों ने मुख्यमंत्री को अपनी मांगों के संबंध में ज्ञापन भेजा है। ज्ञापन में कहा गया कि विज्ञापन नियमावली 2016 में उल्लेखित किए गए विज्ञापनों में से अमर बलिदानी श्रीदेव सुमन जयंती पर विज्ञापन रोके जाने पर तत्काल खेद जताया जाए तथा भविष्य में ऐसी मनमानी न करने का संकल्प प्रदर्शित किया जाए। पिछले पांच वर्ष से रुकी हुई अखबारों की सूचीबद्धता की कार्यवाही शुरू की जाए तथा जब तक नई नियमावली बन रही है तब तक पुरानी नियमावली के अनुसार ही पिछले चार वर्ष से रोके गए अखबारों को विज्ञापन जारी किए जाएं। वेब मीडिया की सूचीबद्धता के लिए नियमावली के अनुसार हर छह महीने में एक बार एंपैनलमेंट किया जाए। सूचीबद्धता के बाद दी जाने वाली धरोहर राशि की बाध्यता को समाप्त किया जाए। केंद्र सरकार वेब मीडिया पर जीएसटी की दर को कम अथवा खत्म किया जाए। वेब पोर्टल में कार्यरत मीडिया प्रतिनिधियों को भी मान्यता दिलाने के लिए मानक बनाए जाए। उत्तराखंड लोक संपर्क विभाग देहरादून में पत्रकारों के कल्याण योजना तथा पेंशन योजना से संबंधित 43 प्रकरण अभी तक लंबित हैं उनका तत्काल निस्तारण किया जाए। ज्ञापन में कहा गया कि राज्य हर हफ्ते बाजार से करोड़ों रुपये कर्ज उठा रहा है इसलिए मितव्ययिता को ध्यान में रखते हुए अन्य राज्यों की पत्र पत्रिकाओं को विज्ञापन दिया जाना तत्काल प्रभाव से रोका जाए। उत्तराखंड के वेब पोर्टलों को विज्ञापन देने के बजाय सीधे गूगल को विज्ञापन दिए जाने पर तत्काल रोक लगाई जाए। वेब पोर्टल में कार्यरत मीडिया प्रतिनिधियों को भी मान्यता दिलाने के लिये मानक बनाये जायें तथा वेब मीडिया में कार्यरत घ्मीडिया कर्मियों को जिला स्तर की मान्यता दी जाए। विगत 2 साल से नई न्यूज पोर्टल का इंपैनलमेंट नहीं किया गया है तथा 8 महीने से एक भी विज्ञापन नहीं दिया गया है इसलिए पिछले 6 माह से जितने भी न्यूज पोर्टल न्यूनतम यूजर्स का मानक पूरा करते हैं उन सभी को ए, बी, सी कैटेगिरी के अनुसार विज्ञापन जारी किया जाएं। पर्वतीय जनपदों में नेट कनेक्टिविटी समस्या को देखते हुए वहां से संचालित वेब पोर्टलों को विज्ञापन मानकों में शिथिलता प्रदान की जाए। रूद्रपुर के पत्रकारों ने एडीएम के माध्यम से अपनी मांगों को लेकर सीएम को ज्ञापन भेजा। बुधवार सायं को पत्रकारों द्वारा देहरादून में गांधी पार्क से घंटाघर और घंटाघर से गांधीपार्क तक मशाल जुलूस निकाला गया, जिसमें कि पत्रकार बड़ी संख्या में शामिल हुए।