प्रकाश कपरुवांण।
ज्योतिर्मठ, चमोली। आद्य जगद्गुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित पौराणिक ज्योतेश्वर महादेव के कपाट एक मास के लिए पूरे विधि.विधान के साथ बंद कर दिए गए।
आज से लगभग 2500 वर्ष पूर्व सुदूर केरल के कालडी ग्राम से ज्योतिर्मठ पधारे बालक शंकर ने ज्योतिर्मठ की इस पावन धरा पर स्थित कल्पवृक्ष की छांव में आत्मज्योति का दर्शन किये थे और प्रस्थानत्रयी पर भाष्य की रचना की थी, इसी स्थान पर उन्होंने भगवान भोलेनाथ की स्थापना की थी। जिन्हें ज्योतेश्वर महादेव के रूप में क्षेत्रवासी सहित पूरे भारत के लोग जलाभिषेक व पूजन के लिए यहाँ पहुंचते हैं।
संक्रान्ति से मास परिवर्तन के नियम को मानने के अनुसार आज जब माघ मास की संक्रान्ति पर्व आया तो परम्परागत नियम के अनुसार भगवान ज्योतिरीश्वर महादेव की प्रातः सविधि पूजा सम्पन्न करके . हरियाली श्रृंगार और घृत लेपन करके माघ मास पर्यन्त के लिए मन्दिर परिसर के कपाट को बन्द कर दिये गए।अब पुनः फाल्गुन की संक्रान्ति तिथि मे मन्दिर के कपाट खोले जाएंगे ।
लौकिक मान्यता के अनुसार आज माता पार्वती अपने पिता के घर चली जाती हैं और भोलेनाथ पाताललोक में जाकर महाराज बलि को अमर कथा सुनाते हैं । लोक प्रचलन में आज उत्तराखंड की सभी माताएं अपने.अपने पिता के घर चली जाती हैं संक्रान्ति के उत्सव को मनाने के लिए अस्तु ।
इस अवसर पर ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शङ्कराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती महाराज और उनके प्रतिनिधि स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानंदः सरस्वती महाराज की ओर से ब्रह्मचारी मुकुन्दानन्द ने भगवान ज्योतिरीश्वर महादेव का अभिषेक, पुष्प समर्पण और स्तुति की।
इस मौके पर शिवानन्द उनियाल, गोविन्द प्रसाद उनियाल, रामेश्वर प्रसाद उनियाल, गणेश उनियाल, संजय उनियाल, विजय उनियाल, श्रीमति सरिता उनियाल, मनोज गौतम, श्री विद्यासागरन् अण्णा, अमित तिवारी, टिंकू घनखड आदि भक्तजन उपस्थित रहे।