ज्योतिर्मठ, 03नवंबर।
ज्योतिषपीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य ब्रह्मलीन स्वामी श्री माधवाश्रम जी महाराज की पावन स्मृति मे आयोजित श्रीमद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिवस कथा प्रवचन करते हुए कथा ब्यास पंडित नीरज शास्त्री
ने कहा कि भगवान को अर्पित भाव से किया गया कर्म ही दिब्य तप है, कथा का मुख्य संदेश भी यही है कि प्रभु से बढ़कर कोई सुख सम्पदा नहीं है।
उन्होंने कहा कि पुराणों मे श्रीमद भागवत एक मात्र पुराण जो साक्षात विष्णु स्वरूप है। कहा कि भागवत कथा ही मुक्ति का मार्ग है।
कथा ब्यास ने कहा कि पित्रों के उद्धार के लिए यदि यजमान की कथा करने की सामर्थ्य न हो तो भी श्रीमद भागवत महा पुराण का पारायण अवश्य करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि ज्योतिर्मठ बद्रीकाश्रम की पावन धरती पर न केवल भागवत कथा का आयोजन हो रहा है बल्कि शतचंडी पाठात्मक महायज्ञ एवं 11 ब्राह्मण पारायण भी कर रहे है, इस कथा ज्ञान यज्ञ के मुख्य यजमान पंडित अरविन्द चमोली हैं।
कथा के संयोजक श्री मठस्थली के प्रबंधक बशिष्ठ ब्रह्मचारी ने आगंतुक भक्तजनों का स्वागत करते हुए कहा कि यह हम सब ज्योतिर्मठ वासियों का सौभाग्य है कि हमें ब्यास पीठ पर विराजमान विद्वान आचार्य के श्री मुख से कथा श्रवण का अवसर मिला है, उन्होंने सभी भक्तजनों से प्रतिदिन कथा श्रवण कर पुण्य लाभ अर्जित करने का आवहान किया।












