डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला
श्री केदारनाथ धाम में शनिवार को एक बड़ा हादसा उस समय टल गया जब एम्स ऋषिकेश से मेडिकल इमरजेंसी के लिए आए हेलीकॉप्टर की लैंडिंग के दौरान तकनीकी खराबी के कारण आपातकालीन स्थिति बन गई। हेलीकॉप्टर की टेल (पूंछ) टूट जाने के चलते यह हादसा हुआ। राहत की बात यह रही कि हेलीकॉप्टर में सवार सभी तीन लोग पूरी तरह सुरक्षित हैं।यह हेलीकॉप्टर एक महिला श्रद्धालु को एयर रेस्क्यू करने के लिए संजीवनी हेली एंबुलेंस सेवा के अंतर्गत केदारनाथ पहुंचा था। लैंडिंग के समय तकनीकी दिक्कत के चलते पायलट ने स्थिति को समय रहते भांप लिया और मुख्य हेलीपैड से पहले ही एक सुरक्षित समतल स्थान पर आपातकालीन लैंडिंग कर दी।उत्तराखंड के पवित्र केदारनाथ धाम में शनिवार को एक बड़ा हादसा होते-होते टल गया। एम्स ऋषिकेश की एक हेली एम्बुलेंस की इमरजेंसी लैंडिंग के दौरान तकनीकी खराबी आ गई, जिससे हेलीकॉप्टर का पिछला हिस्सा टूट गया। गनीमत रही कि पायलट की सूझबूझ और त्वरित कार्रवाई से हेलीकॉप्टर में सवार दोनों डॉक्टर पूरी तरह सुरक्षित बच गए।केदारनाथ हेलिपैड से बमुश्किल 20 मीटर पहले एम्स का हेलिकॉप्टर क्रेश हो गया। पायलट सुरक्षित है। बताया जा रहा है कि हेलिकॉप्टर एक मरीज को लेने ऋषिकेश से केदारनाथ आ रहा था। एम्स के पीआरओ ने बताया कि हार्ड लैंडिंग के दौरान हादसा हुआ था।हेलिकॉप्टर की टेल बॉन टूटी है। कोई घायल नहीं है। हेली में केवल पायलट सवार था। बता दें, 29 अक्तूबर 2024 को पीएम ने एम्स की हेली एंबुलेंस सेवा संजीवनी का शुभारंभ किया था।20 सितंबर 2022 को केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ने दिल्ली में एक कार्यक्रम में एम्स ऋषिकेश में हेली एंबुलेंस के संचालन की घोषणा की थी। हेली एबुलेंस सेवा का संचालन केंद्र और उत्तराखंड सरकार के 50-50 फीसदी की साझेदारी में होना है।आठ मई को ही गंगोत्री धाम जा रहा हेलिकॉप्टर हुआ था दुर्घटनाग्रस्तअभी आठ मई को ही गंगोत्री धाम जा रहा एक हेलिकॉप्टर गंगनानी के समीप दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इस घटना में पांच महिलाओं समेत छह लोगों ने मौके पर ही दम तोड़ दिया। वहीं एक व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हो गया था। गंगनानी का हेलिकॉप्टर हादसा बहुत भयावह था। वहां पर खोज-बचाव अभियान चला रहे अधिकारी कर्मचारियों ने बताया कि घटना में हेलिकॉप्टर के भी दो टुकड़े हो गए थे। वहीं दो शव हेलिकॉप्टर में ही फंस गए थे। उन्हें निकालने के लिए हेली को काटना पड़ा था। वहीं करीब 200 मीटर गहरी खाई में रेस्क्यू अभियान चलाना बहुत मुश्किल था। हर साल लाखों श्रद्धालु केदारनाथ धाम की यात्रा करते हैं, और उनमें से बड़ी संख्या में लोग आवागमन के लिए हेलीकॉप्टर सेवाओं का उपयोग करते हैं। ऐसे में, इन सेवाओं की सुरक्षा और गुणवत्ता सुनिश्चित करना प्रशासन की सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। इस ताजा घटना के बाद, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि अधिकारी इन बार-बार होने वाली दुर्घटनाओं के मूल कारणों का पता लगाने और प्रभावी समाधान लागू करने के लिए क्या कदम उठाते हैं। श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए ठोस और विश्वसनीय उपाय अपनाए जाने की तत्काल आवश्यकता है। इस घटना के बाद हेलीकॉप्टर का निरीक्षण किया गया, जिसमें क्षतिग्रस्त पिछला हिस्सा पाया गया। राहत की बात यह है कि इस हादसे में कोई हताहत नहीं हुआ है। हालांकि, इस प्रकार की घटनाओं ने एक बार फिर केदारनाथ में संचालित हेली सेवाओं की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।बीते कुछ समय में केदारनाथ धाम में हेलीकॉप्टर सेवाओं से जुड़ी कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं। हाल ही में एक हेलीकॉप्टर की इमरजेंसी लैंडिंग करानी पड़ी थी, और उससे पहले एक अन्य हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिसमें छह लोगों की दुखद मृत्यु हो गई थी। उत्तराखण्ड में लगातार हेलीकॉप्टर हादसे हो रहे हैं। अभी हाल ही में गंगोत्री धाम जा रहा एक हेलिकॉप्टर गंगनानी के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, वहीं अब केदारनाथ धाम में लैंडिंग के समय हेली एम्बुलेंस दुर्घटनाग्रस्त हो गई। बताया जा रहा है कि हेली एंबुलेंस ऋषिकेश एम्स का था, जोकि ऋषिकेश से केदारनाथ जा रहा था। गौरतलब है कि एम्स ऋषिकेश दूर-दराज के क्षेत्रों में आपातकालीन चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए हेली एंबुलेंस सेवा संचालित करता है. खासकर चारधाम यात्रा के दौरान जब मरीजों को तुरंत इलाज की जरूरत होती है, तब यह सेवा बहुत उपयोगी साबित होती है. केदारनाथ जैसे दुर्गम क्षेत्र में हेलीकॉप्टर सेवाएं अक्सर मरीजों को लाने-ले जाने के लिए उपयोग की जाती हैं। लेकिन मौसम की खराबी और ऊंचाई पर स्थित इलाकों में तकनीकी चुनौतियों के चलते इमरजेंसी लैंडिंग की घटनाएं पहले भी सामने आ चुकी हैं। कुछ दिन पहले भी एक हेलीकॉप्टर को इसी क्षेत्र में आपात स्थिति में लैंड कराना पड़ा था। हालांकि इस बार किसी तरह का जानमाल का नुकसान नहीं हुआ है, लेकिन इस तरह की घटनाएं हेलीकॉप्टर सेवा की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े करती हैं। तीर्थयात्रियों और मरीजों की लगातार बढ़ती संख्या को देखते हुए यह आवश्यक हो गया है कि हेलीकॉप्टर सेवाओं की नियमित जांच और पायलटों को उच्च प्रशिक्षण प्रदान किया जाए। *लेखक विज्ञान व तकनीकी विषयों के जानकार दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं।*