
रिपोर्ट-सत्यपाल नेगीध्रुद्रप्रयाग
हिमालय की चोटी पर बसे 11वें ज्योतिर्लिग भगवान केदार बाबा मंदिर के कपाट आज भैया दूज के शुभ अवसर पर शीतकाल के लिए पूजा.अर्चना व विधि विधान परम्पराओं के साथ बन्द कर दिये गये।
आज सुबह 4 बजे से भगवान केदारनाथ मंदिर मे मुख्य पुजारी रावल एवं वेदपाठियों ने पूजा.अर्चना और रुद्राभिषेक के साथ पूजन कार्य शुरू किया, और प्रातः 6 बजे पुजारी बाग्रेश लिंग ने केदारनाथ धाम के दिग्पाल भगवान भैरवनाथ जी का आह्वान कर धर्माचार्यों की उपस्थिति में स्यंभू शिवलिंग को विभूति तथा शुष्क फूलों से ढक कर समाधि रूप में विराजमान किया। भगवान की सारी पूजा विधि पूरी करने के बाद भगवान की पंचमुखी चलविग्रह उत्सव डोली को सजाकर तैयार किया गया।
प्रातः शुभ मुहर्त 8 बजे मुख्य पुजारी व देवस्थान बोर्ड के अधिकारियों की मौजूदगी मे मंदिर के मुख्य द्वार के कपाट शीतकाल हेतु बन्द कर दिये गये।
कपाट बन्द होने के बाद श्री केदारनाथ धाम से पंचमुखी डोली ने सेना के बैडबाजों की मधुर भक्तमय धूनों के बीच मंदिर की परिक्रमा कर विभिन्न पड़ावों से होते हुए शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ को प्रस्थान किया।
आज भगवान की पंचमुखी डोली रात्रि विश्राम रामपुर मे करेगीएओर कल 7नवम्बर को विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी मे रुकेगीएउसके बाद पंचमुखी उत्सव डोली शीतकालीन पड़ाव ऊखीमठ मे विधि.विधान पूजा.अर्चना जे बाद विराजमान कर दी जायेगीएओर आगामी पट खुलने तक यही पर भगवान की पूजा होती रहेगी।
इस अवसर पर मुख्य पुजारी शकंर लिगए श्रीनिवास पोस्तीएविनोद शुक्लाएदेवस्थानम बोर्ड के कार्यकारी अधिकारी बीड़ी सिहएतीर्थ पुरोहित पुजारीएउपजिलाधिकारीएऊखीमठएतहसीलदारएपुलिस के जवानएसहित बड़ी संख्या मे भक्त भी मौजूद रहे।












