फोटो-दुर्घटनाग्रस्त बस की बाडी काटकर किसी तरह शवों को निकाला गया।
प्रकाश कपरूवाण
जोशीमठ। लामबगड़ बस दुर्घटना में बस में फंसे मृतकों के शव बस की बाडी को काटकर निकाले गए। बस दुर्घटना के सभी मृतकों का पोस्टमार्टम जोशीमठ में ही किया गया। अभी दो की शिनााख्त नहीं हो सकी है।
लामबगड बस हादसे मे कुल 6 यात्रियों की दर्दनाक मौत हुई थी। लेकिन बीते रोज प्रशासन द्वारा जारी मृतक की सूची मंे जिस राकेश मिश्रा को भी मृतक दिखा दिया गया था दरसअल वह इस बस में सवार ही नही था और वह मुंबई मे हैं। मृतकों मे अब तक 4 की ही शिनाख्ता हो सकी है। दो मृतक अज्ञात ही हैं।
तहसीलदार चंद्रशेखर बशिष्ठ के अनुसार राकेश मिश्रा नाम के ब्यक्ति की आईडी बस मे ही मिली थी जिसके कारण यह समझ लिया गया था कि एक मृतक राकेश मिश्रा हो सकता है, लेकिन उस पते पर संपर्क करने पर वह जीवित मिला लेकिन उसका आईडी कैसे इनके पास पंहुचा और दो अज्ञात व्यक्ति कौन है? इसकी विस्तृत जानकारी जुटाई जा रही है।
तहसीलदार श्री बशिष्ठ ने बताया कि बस दुर्घटना के चार घायलों का उपचार श्रीनगर बेस अस्पताल में चल रहा है। और तीन अन्य घायल जो लामबगड जेपी चिकित्सालय में थे उन्हें भी जोशीमठ लाया गया है। उन्होंने बताया कि शवों को तथा घायलों को जौली ग्रांट एअर पोर्ट तक पंहुचाने की व्यवस्था प्रशासन द्वारा की जा रही है।
मृतकों में चार की ही शिनाख्ता हो सकी है,ं जिनमे राजकुमार-24 वर्ष निवासी अफजलगढ-बिजनौर, राजेश-38 वर्ष निवासी शांताकुज पूर्व मुंबई, संदीप मौगरे-39 वर्ष, शांताकुंज पूर्व मुबंई तथा दुर्गा प्रसाद मोहराना-24 वर्ष निवासी कटकल उडीसा शामिल हैं।
लामबगड में हुई बस दुर्घटना के मृतको को बीती देर सांय तक घटना स्थल पर बस से किसी तरह जान जोाखिम मे डालकर निकाला गया। पुलिस, एसडीआरएफ को बस से मृतको के शवो को निकालने मे खासी मशक्कत करनी पडी जिसका कारण बस दुर्घटना के बाद भी उक्त स्थल पर लगातार वारीश के कारण पहाडी से पत्थरो के गिरने का क्रम जारी था। बहराल बस मे फॅसे पाॅचों शवो को निकालकर जोशीमठ मे ही पोस्टमार्टम कराया गया।
बदरीनाथ यात्रा मार्ग पर इस वर्ष की यह पहली घटना है। लेकिन लामबगड स्लाइड जोन मे पिछले दो दशक मे एक भी वर्ष ऐसा नही रहा जब वहाॅ पर कोई घटना नही हुई हो। कभी यात्रियों को काल के मुॅह मे जाना पंडा तो कभी यात्री वाहन ही बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हुए है। लेकिन अभी भी स्थिति जस की तस बनी हुई है।
इस स्थान पर आॅल वैदर रोड का काम नदी के किनारे से तो हो रहा है। लेकिन जब तक चटटान की ओर से ट्रीटमेंट नही होगा तब तक नदी की ओर किया जाना वाला कार्य भी कैसे सुरक्षित रह पाऐगा!