अल्मोड़ा। दन्या में विशेष सत्र न्यायाधीश डा. ज्ञानेंद्र कुमार शर्मा ने बलात्कार के एक आरोपी को आजीवन कारावास एवं पचास हजार रूपये आर्थिक दंड की सजा सुनाई है। न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा है कि बलात्कारी को अंतिम सांस तक जेल में ही रना पड़ेगा। उन्होंने अपने आदेश में जेलर व जेल अधीक्षक को हिदायत भी दी है कि यदि अभियुक्त ने सजा करने का आवेदन किया तो भी वे आवेदन पर अपनी अनुशंषा नहीं करेंगे। इसके अलावा प्रदेश सरकार को अदालत ने पीड़िता को सात लाख रूपये की राहत राशि देने का आदेश भी दिया है।
जिला शासकीय अधिवक्ता गिरीश चंद्र फुलारा ने जानकारी देते हुए बताया कि गत वर्ष 9 जुलाई को पीड़िता घर के लिए पानी लेने को गांव स्थित पानी की टंकी पर गई थी। जब वह लौट रही थी तब ग्राम आरा,सल्पड़ तहसील भनोली निवासी प्रताप सिंह पुत्र त्रिलोक सिंह ने उसके ऊपर बोरा डाल दिया। और उसका हाथ पकड़कर अपने घर ले गया गया। जहां उसने लड़की के साथ बलात्कार किया। इस घटना की सूचना पीड़िता ने दो दिन बाद यानी 11 जुलाई को अपनी मां को दी। उन्होंने ही पीड़िता को दन्या थाने में पेश कर आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया। इस मामले में अभियोजन पक्ष ने अदालत के सामने सात गवाह पेश किए। अभियोजन की ओर से शासकीय अधिवक्ता गिरीश चंद्र फुलारा के अतिरिक्त सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता शेखर चंद्र नैलवाल एवं विशेष लोक अभियोजक भूपेंद्र कुमार जोशी के अलावा निर्भया प्रकोष्ठ के अधिवक्ता अभिलाषा तिवारी ने भी केस को अदालत में मजबूती से रखने में सहयोग किया।
अदालत ने आज प्रताप सिंह को बलात्कार का दोषी मानते हुए उसे आजीवन कारावास एवं पचास हजार रूपये अर्थ दंड की सजा सुनाई। इसके बलावा अदालत ने जेलर व जेल अधीक्षक को आदेशित किया है कि वे प्रातप सिंह के सजा कम करने के आवेदन पर अपनी अनुशंषा नहीं करेंगे। अदालत ने यह भी साफ किया है कि प्रताप सिंह को अंतिम सांस तक जेल में ही रहना होगा और यदि वह जुर्माना अदा नहीं करता है तो उसे छरूह माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी। इसके अलावा अदालत ने पीड़िता के आर्थिक व सामाजिक पुनर्वास के लिए प्रदेश सरकार को सात लाख रूपये देने का आदेश भी पारित किया। अदालत ने स्पष्ट किया है कि यदि पूर्व में पीड़िता को 75 हजार रुपये की राहत राशि दी गई है तो वह सात लाख रूपये में समायोजित की जाए।