फोटो- श्री बदरीनाथ धाम मे एवलाॅच का अध्ययन करते ’’सासा’’के सदस्यगण।
प्रकाश कपरूवाण
जोशीमठ। श्री बदरीनाथ धाम में मास्टर प्लान लागू किए जाने से पूर्व ’’सासा’’का तीन सदस्यीय दल एवलाॅच के अध्ययन के लिए बदरीनाथ पंहुचा। तीन दिनों तक करेगे अध्ययन।
उत्तराखंड सरकार व प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के सपनों के अनुरूप् श्री बदरीनाथ धाम को मास्टरप्लान के तहत विकसित करने की कवायद तेजी से आगे बढ रही हैं। प्रस्तावित मास्टर प्लान के तहत योजना को धरातल पर उतारने से पूर्व एवलाॅच के अध्ययन के लिए भारत सरकार की ओर से स्नो एंड एवलाॅच स्टेडी स्टेबलिशमेंन्ट-’’सासा’’का तीन सदस्यीय दल बदरीनाथ पंहच चुका है। सेना के हेलीकाफ्टर से बदरीनाथ पंहुचे इस दल ने एवलाॅच का बारीकी से अध्ययन शुरू कर दिया है। यह दल नर व नारायण पर्वतो के मध्य बसे श्री बदरीनाथ धाम मे दोना पर्वत श्रंृखलाओं से भविष्य मे एवलाॅच के संभावित खतरों का ब्यापक सर्वेक्षण व अध्ययन करेगे ताकि संभावित एवलाॅव वाले क्षेत्रों मे धनराशि ब्यय करने से बचा जा सके। ’’सासा’’ का यह उच्चस्तरीय दल तीन दिनों तक स्नो एंड एवलाॅच का अध्ययन करेगा। बदरीनाथ पंहुचे ’’सासा’’के इस उच्चस्तरीय दल के साथ प्रशासन की ओर नगर पंचायत बदरीनाथ के ईओ सुनील पुरोहित मे मौजूद रहे।
गौरतलब है नर व नारायण पर्वतो से पूर्व मे भी एंवलाॅच टूटने की घटनाएं हुई है। और भगवान बदरीविशाल के मंदिर को सभाविंत एवलाॅच से बचाने के लिए वर्ष 1986-87 मे सिचाॅई विभाग उत्तर प्रदेश द्वारा मंदिर के टीक पीछे नारायण पर्वत पर दर्जनों एंटी एवंलाॅच टीलों का निर्माण किया है। भविष्य मे मास्टर प्लान के अनुरूप श्री बदरीनाथ धाम के विकास के बाद संभावित एवलाॅच से किसी प्रकार का नुकसान ना हो इसके लिए यह उच्चस्तरीय दल ब्यापक अध्ययन कर अपनी रिपोर्ट से भारर सरकार को अवगत कराऐगा।