पिछले कई सालों में रोजगार के लिए शहरों की तरफ जाने वाले लोगों में जिस तरह कोरोनाकाल में अपने गांव-घर पहुंचने की तमन्ना चरम पर है, उसी तरह उत्तराखंड से पलायन कर शहरों की तरफ जाने वाले प्रवासियों में अब पहाड़ों की तरफ आने का खुमार बढ़ता जा रहा है। अब तक दो लाख 30 हजार से अधिक लोग उत्तराखंड आने के लिए पंजीकरण करवा चुके हैं, अब तक सरकार अपने संसाधनों तथा निजी संसाधनों से एक लाख दस हजार से अधिक लोग उत्तराखंड आ चुके हैं।
राज्य सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार 2,30,798 लोग उत्तराखंड आने के लिए आन लाइन पंजीकरण करा चुके हैं। 18 मई 2020 तक 1,11,713 लोग दूसरे राज्यों से उत्तराखंड आ चुके हैं। इनमें दिल्ली से 37014, हरियाणा से 18695, उत्तर प्रदेश से 177718, चंडीगढ़ से 8703, गुजरात 6732, पंजाब 6345, राजस्थान 6217, महाराष्ट 4359, कर्नाटक 2524, अन्य राज्यों से 3416 लोग उत्तराखंड आए हैं।
उत्तराखंड से अन्य राज्यों को जाने के लिए 39981 लोग आन लाइन पंजीकरण करा चुके हैं। 25337 लोग अपने-अपने प्रदेशों को जा चुके हैं। जबकि 87881 लोग राज्य के अंदर ही एक जनपद से दूसरे जनपदों में जा चुके हैं।
गौरतलब है कि उत्तराखंड आने के लिए प्रवासियों की ललक बढ़ती जा रही है। सरकार के जितने भी इंक्वारी नंबर है, वहां लंबी लाइन लगी हुई है। यहां तक कि प्रवासियों की खबर लिखने वाले समाचार पोर्टल तथा वेबसाइटों के एडमिन के फोन पर भी उनके काल आ रहे हैं। यहां तक कि हर काल में उनकी एक ही बात होती है कि उनके शहर से कब रेल चलेगी, कब बस आएगी? संकटकाल में अपने घर आने की इससे बड़ी ललक पहले कभी नहीं देखी गई थी। हालांकि प्रवासियों के आने से उत्तराखंड में कोरोना की रफ्तार बहुत तेज हो गई है। इसके बाद भी प्रवासियों को अपने घर आने का पूरा अधिकार है, लेकिन कोरोना संक्रमण से बचने के लिए खुद प्रवासियों, प्रशासन, स्वास्थ्य महकमे तथा स्थायी निवासियों को सभी हिदायतों का अनुपालन करना होगा, तभी कोरोना से बचा जा सकेगा।












