डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला
उत्तराखंड हर साल आपदाओं का जख्म झेलता है और फिर पहाड़ की
तरह खड़ा हो जाता है. प्राकृतिक आपदाएं लगातार देवभूमि की कमर
तोड़ रही हैं. इसी महीने अगस्त में आई धराली आपदा ने एक बार फिर
उत्तराखंड के पुराने जख्मों को हरा कर दिया. हालांकि ये आपदा
उत्तराखंड के लिए कोई नई नहीं है. उत्तराखंड में मानसून हर साल
तबाही लेकर आता है. इस साल के आंकड़ों की बात करें तो सैकड़ों जानें
चली गईं.अगस्त महीने की ही बात करें तो बीते 5 अगस्त को उत्तरकाशी
के धराली गांव में बड़ी आपदा आई, जिसमें अभी तक 60 से अधिक लोग
लापता हैं. रेस्क्यू करने वाली टीम मलबों के बीच उन्हें ढूंढन में लगी है.
वहीं कुछ लोग की लाश मिल भी चुकी है. इस साल 209 लोगों की मौत
हो चुकी है. वहीं 409 लोग घायल हो चुके हैं. साल 2025 में अगस्त के
पहले हफ्ते तक करीब 700 प्राकृतिक घटनाएं हुई हैं. हालांकि इस साल
को अभी खत्म होने में चार महीने बाकी हैं. उत्तराखंड मौसम विज्ञान
केंद्र से मिली जानकारी के मुताबिक उत्तराखंड राज्य में एक जून से 18
अगस्त 2025 तक 973.1 एमएम बारिश हुई है, जो सामान्य बारिश से
15 फीसदी अधिकहै.इस साल मानसून के अबतक के दिनों में 65
फीसदी एक्सट्रीम वेदर देखा गया है.बता दें कि मानसून 1 जून से 30
सितंबर तक 122 दिन का होता है, 5 अगस्त तक आधा समय बीत
चुका है. वहीं अगर पिछले दस साल के आंकड़ों पर नजर डालें तो
उत्तराखंड में करीब 18,464 प्राकृतिक आपदाएं आई हैं, जिन्होंने
उत्तराखंड को बड़ा नुकसान पहुंचाया है. वहीं अगर मरने वाले लोगों की
बात करें तो साल 2018 में 720, 2019 में 532, 2020 में 301,
2021 में 366, 2022 में 518, 2023 में 497, 2024 में 384 और
2025 में 209 लोगों की मौत हो चुकी है. उत्तराखंड आपदा प्रबंधन
विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक पिछले 10 सालों में करीब
18,464 प्राकृतिक घटनाओं के चलते 3,667 पक्के और कच्चे मकान
जमींदोंज हुए थे. इसके अलावा 9,556 पक्के मकान और 5,390 कच्चे
मकान आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए थे. उत्तराखंड में लैंडस्लाइड भी
बड़ी समस्या बनता जा रहा है. पीडब्ल्यूडी (लोक निर्माण विभाग) के
साथ ही आपदा प्रबंधन विभाग समय-समय पर भूस्खलन की घटनाओं
पर लगाम लगाए जाने को लेकर भूस्खलन प्रोन क्षेत्रों का ट्रीटमेंट करता
है. लेकिन भारी बारिश के चलते नए भूस्खलन जोन बनते जा रहे हैं.
साथ ही कुछ नए भूस्खलन जोन सक्रिय हो रहे हैं. राज्य में औसतन हर
साल दो हजार से अधिक प्राकृतिक आपदाएं आ रही हैं। प्रदेश में नौ
साल में 18464 आपदाओं ने जख्म दिए हैं। अतिवृष्टि- त्वरित बाढ़ से
लेकर बादल फटने जैसी घटनाएं हुई हैं। जिसमें जानमाल का भारी
नुकसान हुआ है।आपदा प्रबंधन विभाग राज्य में सड़क दुर्घटना, आग,
भूस्खलन, भूकंप, बाढ़, कीट आक्रमण, हिमस्खलन, अतिवृष्टि- त्वरित
बाढ़, व्रजपात, ओलावृष्टि, आंधी तूफान, डूबना, बह जाना, जंगली
पशुओं का हमला, बादल फटना, वनाग्नि, बीमारी फैलना, विद्युत करंट,
वनाग्नि की घटनाओं का विवरण तैयार करता है। *लेखक विज्ञान व तकनीकी*
*विषयों के जानकार दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं।*