डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला
उत्तराखंड में फिलहाल 83 चोटियां ऐसी हैं, जिन पर
पहले ही पर्वतारोहियों को एक्सपीडिशन की अनुमति
दी गई है. हालांकि इसमें से करीब 40 चोटियां ही
ऐसी हैं, जिन्हें रोमांचक मानते हुए पर्वतारोही बड़ी
संख्या में वहां पहुंचते हैं. उधर 15 से ज्यादा ऐसी
चोटियां भी हैं, जिन्हें खोलने के लिए प्रयास तो किए
गए, लेकिन आपत्ति के बाद ये मामला न्यायालय में
पहुंच गया. पर्वतारोहण की अनुमति न्यायालय के वाद
में फंस गई.चमोली जिले में स्थित देश की दूसरी सबसे
ऊंची चोटी नंदा देवी (7817 मीटर) को पर्वतारोहण
के लिए खोलने की राह अभी आसान नहीं है। वन
विभाग ने शासन को सुझाव दिया है कि
पारिस्थितिकीय प्रभाव का वैज्ञानिक अध्ययन कराने के
बाद ही इसे साहसिक पर्यटन गतिविधियों के लिए
खोलने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा जाए।धार्मिक
महत्व और नाजुक पारिस्थितिकीय तंत्र का हवाला देते
हुए वर्ष 1983 में नंदा देवी पर्वत में पर्वतारोहण और
साहसिक पर्यटन गतिविधियां प्रतिबंधित कर दी गई
थीं। यह पर्वत श्रीनंदा राजजात से भी ताल्लुक रखता
है।राज्य सरकार प्रदेश के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में भी
ईको टूरिज्म गतिविधियों को बढ़ावा देने पर जोर दे
रही है। इस बीच भारतीय पर्वतारोहण संस्थान ने
सरकार से आग्रह किया कि नंदा देवी चोटी को
पर्वतारोहण व साहसिक पर्यटन सबंधी गतिविधियों के
लिए खुलवाने के लिए केंद्र को प्रस्ताव भेजा जाए।
इसके बाद शासन ने इसकी संभावना तलाशने की
दिशा में कदम बढ़ाए।इस सिलसिले में वन विभाग से
पिछले 10 वर्षों की स्थिति का अध्ययन कर विभिन्न
बिंदुओं पर रिपोर्ट मांगी गई थी। विभाग की ओर से
शासन को सौंपी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि
गौरीगंगा और ऋषिगंगा घाटियों के मध्य स्थित इस
पर्वत पर वर्ष 1983 से पहले पर्वतारोहण के कुछेक
अभियान ही हुए। इसके पीछे बेहद जटिल भूगोल को
कारण बताया गया। विभाग ने सुझाव दिया है कि
नंदा देवी पर्वत के पारिस्थितिकी प्रभाव का वैज्ञानिक
ढंग से अध्ययन कराया जाना श्रेयस्कर होगा।सूत्रों के
अनुसार हाल में ही राज्य के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक
ने यह रिपोर्ट शासन को सौंपी है, जिस पर मंथन चल
रहा है। 83 चोटियों का प्रचार-प्रसार करेगा
विभाग राज्य में वर्तमान में 83 चोटियां पर्वतारोहण,
ट्रेकिंग समेत साहसिक पर्यटन गतिविधियों के लिए
खुली हैं। बावजूद इसके इनमें साल में 12-13 अभियान
ही हो पाते हैं। इसे देखते हुए वन विभाग अब इन
चोटियों को लेकर भी व्यापक प्रचार-प्रसार की योजना
बना रहा है।उत्तराखंड हिमालय के एक बड़े हिस्से में
है. राज्य के करीब 90 फीसदी हिस्सा पहाड़ी है.
हिमालय की इन पहाड़ियों पर पर्वतारोहण, नदियों में
वाटर स्पोर्ट्स, कम ऊंची पहाड़ियों पर रॉक क्लाइंबिंग
का बहुत आकर्षण है. इसके साथ ही उत्तराखंड में
ट्रेकिंग को लेकर भी काफी क्रेज है.राज्य की खूबसूरत
वादियों में पर्वतारोहण का अपना अलग रोमांच है.
ऊंची चोटियों पर साहसिक अभियान को पूरा करना
तो आसान नहीं है, लेकिन यही मुश्किलें पर्वतारोहियों
के लिए थ्रिल को बढ़ा देती हैं. खास बात यह है कि
पर्वतारोहण के देश-विदेश में बढ़ते उत्साह को देखते
हुए उत्तराखंड भी राज्य की कुछ महत्वपूर्ण चोटियों को
पर्वतारोहियों के लिए खोलने की तैयारी कर रहा है.
इसका मकसद एक तरफ देसी विदेशी पर्यटकों को
राज्य में आकर्षित करना है, तो दूसरी तरह साहसिक
खेलों को राज्य में बढ़ावा देना भी है. यही नहीं वन
विभाग के बड़े अधिकारियों से भी खुद पर्यटन सचिव
बात कर चुके हैं. प्रस्ताव में पर्वतारोहियों के लिए
एक्सपीडिशन को लेकर अहम चोटियों को खोलने की
बात कही है. दरअसल राज्य में तमाम चोटियां वन
क्षेत्र के अधीन आती हैं. ऐसे में यहां पर पर्वतारोहण के
लिए वन विभाग की अनुमति जरूरी और महत्वपूर्ण है.
खासतौर पर उन चोटियों को लेकर अनुमति जरूरी है,
जो वाइल्डलाइफ के कारण आरक्षित वन क्षेत्र में
चिन्हित हैं. पर्यटन सचिव ने कहा साहसिक खेलों को दे
रहे बढ़ावा ने बताया कि प्रदेश में साहसिक खेलों को
बढ़ावा देने के प्रयास किया जा रहे हैं. इसी के तहत
पर्वतारोहण में बेहतर संभावनाओं को देखते हुए नई
चोटियों को खोलने के प्रयास हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि
जब तक पर्यटन विभाग, वन विभाग और जिला प्रशासन
में बेहतर समन्वय नहीं होगा, तब तक देश दुनिया के
पर्यटकों को उत्तराखंड में लाना मुमकिन नहीं है. इसलिए
आपसी समन्वय के साथ इस काम को किया जा रहा है.
लेखक विज्ञान व तकनीकी विषयों के जानकार दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैंआसान नहीं नंदा देवी चोटी को पर्वतारोहण
डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला
उत्तराखंड में फिलहाल 83 चोटियां ऐसी हैं, जिन पर
पहले ही पर्वतारोहियों को एक्सपीडिशन की अनुमति
दी गई है. हालांकि इसमें से करीब 40 चोटियां ही
ऐसी हैं, जिन्हें रोमांचक मानते हुए पर्वतारोही बड़ी
संख्या में वहां पहुंचते हैं. उधर 15 से ज्यादा ऐसी
चोटियां भी हैं, जिन्हें खोलने के लिए प्रयास तो किए
गए, लेकिन आपत्ति के बाद ये मामला न्यायालय में
पहुंच गया. पर्वतारोहण की अनुमति न्यायालय के वाद
में फंस गई.चमोली जिले में स्थित देश की दूसरी सबसे
ऊंची चोटी नंदा देवी (7817 मीटर) को पर्वतारोहण
के लिए खोलने की राह अभी आसान नहीं है। वन
विभाग ने शासन को सुझाव दिया है कि
पारिस्थितिकीय प्रभाव का वैज्ञानिक अध्ययन कराने के
बाद ही इसे साहसिक पर्यटन गतिविधियों के लिए
खोलने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा जाए।धार्मिक
महत्व और नाजुक पारिस्थितिकीय तंत्र का हवाला देते
हुए वर्ष 1983 में नंदा देवी पर्वत में पर्वतारोहण और
साहसिक पर्यटन गतिविधियां प्रतिबंधित कर दी गई
थीं। यह पर्वत श्रीनंदा राजजात से भी ताल्लुक रखता
है।राज्य सरकार प्रदेश के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में भी
ईको टूरिज्म गतिविधियों को बढ़ावा देने पर जोर दे
रही है। इस बीच भारतीय पर्वतारोहण संस्थान ने
सरकार से आग्रह किया कि नंदा देवी चोटी को
पर्वतारोहण व साहसिक पर्यटन सबंधी गतिविधियों के
लिए खुलवाने के लिए केंद्र को प्रस्ताव भेजा जाए।
इसके बाद शासन ने इसकी संभावना तलाशने की
दिशा में कदम बढ़ाए।इस सिलसिले में वन विभाग से
पिछले 10 वर्षों की स्थिति का अध्ययन कर विभिन्न
बिंदुओं पर रिपोर्ट मांगी गई थी। विभाग की ओर से
शासन को सौंपी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि
गौरीगंगा और ऋषिगंगा घाटियों के मध्य स्थित इस
पर्वत पर वर्ष 1983 से पहले पर्वतारोहण के कुछेक
अभियान ही हुए। इसके पीछे बेहद जटिल भूगोल को
कारण बताया गया। विभाग ने सुझाव दिया है कि
नंदा देवी पर्वत के पारिस्थितिकी प्रभाव का वैज्ञानिक
ढंग से अध्ययन कराया जाना श्रेयस्कर होगा।सूत्रों के
अनुसार हाल में ही राज्य के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक
ने यह रिपोर्ट शासन को सौंपी है, जिस पर मंथन चल
रहा है। 83 चोटियों का प्रचार-प्रसार करेगा
विभाग राज्य में वर्तमान में 83 चोटियां पर्वतारोहण,
ट्रेकिंग समेत साहसिक पर्यटन गतिविधियों के लिए
खुली हैं। बावजूद इसके इनमें साल में 12-13 अभियान
ही हो पाते हैं। इसे देखते हुए वन विभाग अब इन
चोटियों को लेकर भी व्यापक प्रचार-प्रसार की योजना
बना रहा है।उत्तराखंड हिमालय के एक बड़े हिस्से में
है. राज्य के करीब 90 फीसदी हिस्सा पहाड़ी है.
हिमालय की इन पहाड़ियों पर पर्वतारोहण, नदियों में
वाटर स्पोर्ट्स, कम ऊंची पहाड़ियों पर रॉक क्लाइंबिंग
का बहुत आकर्षण है. इसके साथ ही उत्तराखंड में
ट्रेकिंग को लेकर भी काफी क्रेज है.राज्य की खूबसूरत
वादियों में पर्वतारोहण का अपना अलग रोमांच है.
ऊंची चोटियों पर साहसिक अभियान को पूरा करना
तो आसान नहीं है, लेकिन यही मुश्किलें पर्वतारोहियों
के लिए थ्रिल को बढ़ा देती हैं. खास बात यह है कि
पर्वतारोहण के देश-विदेश में बढ़ते उत्साह को देखते
हुए उत्तराखंड भी राज्य की कुछ महत्वपूर्ण चोटियों को
पर्वतारोहियों के लिए खोलने की तैयारी कर रहा है.
इसका मकसद एक तरफ देसी विदेशी पर्यटकों को
राज्य में आकर्षित करना है, तो दूसरी तरह साहसिक
खेलों को राज्य में बढ़ावा देना भी है. यही नहीं वन
विभाग के बड़े अधिकारियों से भी खुद पर्यटन सचिव
बात कर चुके हैं. प्रस्ताव में पर्वतारोहियों के लिए
एक्सपीडिशन को लेकर अहम चोटियों को खोलने की
बात कही है. दरअसल राज्य में तमाम चोटियां वन
क्षेत्र के अधीन आती हैं. ऐसे में यहां पर पर्वतारोहण के
लिए वन विभाग की अनुमति जरूरी और महत्वपूर्ण है.
खासतौर पर उन चोटियों को लेकर अनुमति जरूरी है,
जो वाइल्डलाइफ के कारण आरक्षित वन क्षेत्र में
चिन्हित हैं. पर्यटन सचिव ने कहा साहसिक खेलों को दे
रहे बढ़ावा ने बताया कि प्रदेश में साहसिक खेलों को
बढ़ावा देने के प्रयास किया जा रहे हैं. इसी के तहत
पर्वतारोहण में बेहतर संभावनाओं को देखते हुए नई
चोटियों को खोलने के प्रयास हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि
जब तक पर्यटन विभाग, वन विभाग और जिला प्रशासन
में बेहतर समन्वय नहीं होगा, तब तक देश दुनिया के
पर्यटकों को उत्तराखंड में लाना मुमकिन नहीं है. इसलिए
आपसी समन्वय के साथ इस काम को किया जा रहा है.
*लेखक विज्ञान व तकनीकी विषयों के जानकार दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं*












