उत्तराखंड(लक्ष्मण सिंह नेगी) हिमालय का वह क्षेत्र जिसे शक्ति क्षेत्र कहा जाता है जहां भगवती नंदा का महत्वपूर्ण स्थान है। इसे नंदीकुंड कहते हैं नंदीकुंड हिमालय क्षेत्र के मध्यमेश्वर घाटी और उर्गम घाटी के मध्य हिमालय क्षेत्र में विराजमान है 16500 फीट की ऊंचाई पर स्थित भगवती नंदा का अत्यंत रोमांटिक स्थान है यहां तीर्थ एवं ट्रैकिंग प्रेमियों की पहली पसंद कहां जा सकता है इस दिव्य स्थान पर 19 लोहे की खंडग तलवारे आज भी इस मंदिर में विराजमान है एक बड़ा सा सरोवर जो दूर से ही बड़ा दिलकश लगता है यहां पहुंचने पर मानो की ऐसा लगता है। यहां पर सभी देवता लोग स्वर्ग से उतर आए हैं। सुंदर वातावरण चारों ओर से हिमालय का दृश्य यहां पहुंचने के लिए उत्सुकता बढ़ा देता है। इस ट्रैक पर जाने-माने लेखक पत्रकार घुमंतू जाते रहते हैं पहाड़ पत्रिका के संपादक इतिहासकार डॉक्टर शेखर पाठक , नैनीताल समाचार की संपादक राजीव लोचन शाह, प्रेम सिंह सनवाल,रूरल ट्रैल के यूट्यूबर संदीप गुसाई उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री डॉ धन सिंह रावत, प्रकृति प्रेमी लक्ष्मण सिंह नेगी, जोशीमठ के क्षेत्र प्रमुख हरिश परमार, शहित कई लोगों ने इस ट्रैक पर यात्रा की है। यहां कई प्रकार क की वनस्पतियां एवं फूल खिलते रहते हैं और मिटाते रहते हैं यहां भगवती नंदा की प्रतिमा है और यहां हर वर्ष दर्जनों ट्रैकिंग के लिए ट्रैक्टर आते हैं यहां पहुंचने के लिए नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क जोशीमठ, केदारनाथ वन्य जीव वनप्रभाग गोपेश्वर से अनुमति लेना पड़ता है यह वन क्षेत्र में स्थित है और सेंचुरी एरिया होने के कारण यहां बिना अनुमति की नहीं जाया जा सकता है। यहां पहुंचने के लिए ऋषिकेश से बद्रीनाथ की अति निकट हेलंग उर्गम घाटी पहुंचने के बाद 120 किलोमीटर की ट्रैकिंग यात्रा कर आप मध्यमेश्वर पहुंच सकते हैं बीच-बीच में सुंदर बुग्यालों के दर्शन आपको होंगे यह 9 से 10 दिन की यात्रा है और आपके बिना गाइड का जाना संभव है आपको पहले पंजीकरण करना अनिवार्य होगा। आप मध्यमेश्वर से भी यहां पहुंच सकते हैं।