रिपोर्ट: विजयपाल सिंह भण्डारी
चकराता। अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम की संस्था सेवा प्रकल्प संस्थान द्वारा वीर नंतराम नेगी (गुलदार) ग्राम मलेथा के मूर्ति स्थापना होने के 1 वर्ष बाद मंडी चौक पर सहिया में आज वार्षिक उत्सव मनाया गया। समस्त कार्यक्रम शौर्य स्थल के रूप में नंदराम नेगी के याद में बनाए गए स्मारक के आसपास हजारों लोग उपस्थित हुए, नंतराम नेगी की प्रतिमा पर सैकड़ो लोगों ने माला अर्पण करके उनको अपनी श्रद्धांजलि दी और अपने को गौरवान्वित समझा। आज इसी उपलक्ष्य में कृषि मंडी मैदान में एक बहुत ही भव्य आयोजन किया गया, जिसमें जौनसारी लोकगीत और सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए। आज के इस कार्यक्रम मे साहिया के आसपास के दर्जनों गांवों से बहुत अधिक संख्या में लोग पहुंचे थे। आज अनंतराम नेगी के वंशज ग्राम मलेथा के निवासियों के साथ-साथ जौनसार के कई गांवों के उनके वंशज और हिमाचल प्रदेश से भी उनके वंशज इस कार्यक्रम में पहुंचे थे। आज के कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में मंच पर डॉक्टर पी एस नेगी ग्राम मलेथा, सेवा प्रकल्प संस्थान से वरिष्ठ पदाधिकारी डालचंद, प्रांत उपाध्यक्ष सेवा प्रकल्प संस्थान से प्रताप सिंह पंवार,प्रांतीय उपाध्यक्ष नरेश चौहान,मेहर सिंह चौहान, वरिष्ठ लेखिका एवं कवित्री सुनीता चौहान, मंडल अध्यक्ष भाजपा प्रवीन चौहान, संदीप, भाजपा मंडल महामंत्री वीरेंद्र सिंह चौहान, राजेंद्र चौहान,अर्जुन सिंह राठौड़, कुंदन सिंह,ग्राम प्रधान साहिया नीलम आदि लोग मुख्य रूप से कार्यक्रम में उपस्थित रहे। इस कार्यक्रम में अधिकतर वक्ताओं ने नंतराम नेगी की बहादुरी के बारे में अपने अपने विचार प्रकट किये । अपने संबोधन में सामाजिक कार्यकर्ता एवं मंडी अध्यक्ष जगमोहन सिंह ने कहा कि मातृ शक्ति का योगदान आज हम यहां पर देख रहे हैं इस कार्यक्रम में हमारी माताए और बहने बढ चढ़कर हिस्सा ले रही है। यह इस चीज का परिचायक है कि उनके अंदर देशभक्ति कूट-कूट कर भरी हुई है। उन्होंने कहा कि जनजाति संस्कृति को और यहां के रीति रिवाज के प्रति जो जागरूकता महिलाएं देखी है वह हमारे आने वाली पीढ़ी के लिए बहुत ही लाभदायक है। इस तरह के कार्यक्रमों से वीरता की भावना तो पैदा होती ही है इसके साथ-साथ हमारी संस्कृति और रीति रिवाज को भी पहचान मिलती है। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि जनजाति समाज का देश के योगदान में हमेशा सर्वोच्च स्थान रहा है आज हमारे देश की राष्ट्रपति भी एक अनुसूचित जनजाति की महिला ही है। यह हम सबके लिए बहुत गर्व की बात है, जहां तक सवाल है नंतराम नेगी का वह तो एक महान योद्धा तो थे ही, परंतु महाराज जगत प्रकाश के सेनापति भूप सिंह के द्वारा उन्हें मुगल सूबेदार गुलाम कादिर रोहिल्ला के विरुद्ध मोर्चा संभालने का जो कार्य दिया गया था उस पर उन्होंने अपने बल एवं साहस के साथ दिमाग का उपयोग किया और यह सोच लिया कि अगर हमने लड़ाई लड़ी तो मुगल सेना जो बादशाही बाग में अपना ढेरा जमाई बैठी थी अगर थोड़ी और देर हो जाती तो वह नदी पार करके पांउटा साहब से होते हुए हिमाचल में प्रवेश कर जाते , इस स्थिति में नाहन साम्राज्य को जीतना बहुत आसान था, उन्होंने अपनी बुद्धि का उपयोग करके घनी रात में मुगल सेनापति सूबेदार गुलाम कादिर रोहिल्ला की गर्दन को धड़ से अलग कर दिया,जिससे उसकी सेना में घबराहट फैल गई और मुगल सेना को उल्टे पांव भागना पड़ा। हालांकि इसके बाद वीर नंतराम नेगी को भी अपने प्राणों की आहुति देनी पड़ी। लेकिन आज इतिहास में उनका नाम दर्ज हो गया, उन्होंने कहा कि वतन पर शहीद होने वालों की चिताओं पर लगेंगे हर वर्ष मेले यही उनका आखिरी निशा होगा, आज हम यहां सब उनकी शहादत को याद करने के लिए हजारों की संख्या में आए हैं यह हमारे क्षेत्र के लिए बहुत गर्व का विषय है।