रिपोर्ट:लक्ष्मण सिंह नेगी
जोशीमठ। चमोली उच्च हिमालयी क्षेत्रों से आज नंदा देवी स्वनुल देवी की की जात यात्रा की छतोलियां अब गांव की ओर लौटने लगी है प्रसिद्ध पंच केदार की धरती कल्पेश्वर क्षेत्र के फ्यूंलानारायण मंदिर से भगवती नंदा स्वनुल देवी की छतोली वापस भरकी भेंटा पिलखी ग्वाणा अरोसी भर्की देवग्राम गीरा वांसा ल्यारी,सलना पल्ला जखोला,डुमक गांव की तरफ लौट रही है आज पूरा तो ही फ्यूंलानारायण धाम के पुजारी अब्बल सिंह और मंगल सिंह चौहान ने बताया कि आज भगवती को 16 किलो का चावल और 5 किलो की पूरी पकौड़ी खीर का भोग लगाया गया जिसे स्थानीय भाषा में ठयंया कहते हैं भगवती आज भोजन की उपरांत नारायण धाम से गांव की ओर लौट गई है भव्य स्वागत के साथ भक्ति में वातावरण प्रकृति का अनमोल खजाना बुग्याल झरने पेड़ पौधे का दृश्य यहां पहुंचने वाले लोगों को मन मोह लेता है। अष्टमी तिथि को भगवती अपने स्थान पर भरकी पांचनामदेवताओं के स्थान में आ जाती है। यहां कल नवमी और दशमी का मेला का आयोजन किया जाएगा लोग जागर गायको के द्वारा लोग जागरण का गायन किया जाएगा। सर्वप्रथम आने वाले वर्ष में फ्यूंलानारायण मंदिर के लिए पुजारी की नियुक्ति की जाएगी उन्हीं के द्वारा जौ की सुप्पी मैं दीपक बाल करके पंचराम देवता के मंदिर में रखा जाएगा अगले वर्ष की पुजारी पूजा का अधिकार लक्ष्मण सिंह रावत को होगा। उसी के बाद पंचनाम देवताओं को बुलावा भेजा जाएगा और स्तुति जागरण का वाचन किया जाएगा यह शैली पूरी मौखिक रूप से गायन किया जाता है इस गायन को इस वर्ष देवेंद्र सिंह पंवार, लक्ष्मण सिंह पंवार , रामचंद्र सिंह कंडवाल, के द्वारा गायन किया जा रहा है और पूरी रात्रि भर 24 सितंबर को यह गायन चलता रहेगा 25 सितंबर को उर्गम घंटाकरण के मुख्य अतिथि के रूप में आगमन होने के बाद जागरण के माध्यम से भगवती नंदा को नंदीकुंड, स्वनुल देवी को सोना शिखर विदा कर दिया जाएगा। दूसरी तरफ आज बंसीनारायण रिखडार गुफा से उर्गम घंटाकरण के साथ 19 छतोलियां बंसी नारायण होते हुए वर्जिक,मूला वुगयाल होते होते फुलाना बडोई,गीरा,वडगिडा, नंदा मंदिर पहुंचेंगे वहां परिक्रमा के बाद घंटा कारण मंदिर में पूरी छतोलियां जाएगी। और उसके बाद ब्रह्म कमल का वितरण घंटाकारण के द्वारा किया जाएगा ऐसी मान्यता है कि भगवती को बुलाने के लिए घंटा करण जी नंदीकुंड जाते हैं और उनको बुलाकर लाते हैं और कल उन्हें भरकी दसमीं मेले में उन्हें कैलाश के लिए विदा कर दिया जाता है। इसी तरह से पूरे उत्तराखंड की पर्वतीय क्षेत्र में नंदा देवी का उत्सव भक्ति ढंग से मनाया जा रहा है।