डोईवाला (प्रियांशु सक्सेना)। ब्रिटिश राज के औपनिवेशिक अपराध कानूनों का दौर खत्म हो गया। भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में व्यापक बदलाव लाते हुए तीन नए कानून, भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) पूरे देश में लागू हो गए हैं। ये कानून 1860 में बने इंडियन पीनल कोड, 1974 के क्रिमिनल प्रोसीजर कोड और 1872 के एविडेंस एक्ट की जगह लेंगे। सोमवार को डोईवाला पुलिस द्वारा पूरे देश मे नये कानून लागू/क्रियान्वयन होने पर थाना क्षेत्र मे निवासरत् आमजन के साथ वृहद स्तर पर गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में जनसामान्य को जागरूक किया गया। डोईवाला कोतवाल विनोद गुसाईं ने बताया की 01 जुलाई 2024 से सम्पूर्ण देश मे नये कानून लागू/क्रियान्वयन होने पर आमजन तक नये कानून की जागरूकता के लिए वृहद स्तर पर व्यापक प्रचार-प्रसार कर जन-समान्य को नये कानून की जानकारी उपलब्ध कराये जाने के लिए उच्चाधिकारीगणो द्वारा निर्देशित किया गया था। ब्लॉक डोईवाला के सभागार मे कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। जिसमें थाना क्षेत्र मे निवासरत् विभिन्न वर्गो के सभ्रान्त व वरिष्ठ व्यक्तियो जनप्रतिनिधि, अधिवक्ताओ, पत्रकार, पुलिस व भारतीय सेना से सेवानिवृत कर्मी, सीएलजी सदस्य, स्वंय सहायता समूह/ आंगनबाडी कर्मी, स्कूल व कॉलेज के छात्र-छात्राओ एवं महिला तथा थाना क्षेत्र मे स्थित सरकारी व गैर-सरकारी संस्थान, बैक आदि के कर्मियो ने भाग लिया था। प्रभारी निरीक्षक डोईवाला विनोद गुसाईं ने कार्यक्रम का स्वंय संचालन करते हुए कार्यक्रम में मौजूद लोगो को एलईदी स्क्रीन के माध्यम से देश मे लागू हुए नये कानून की विस्तृत जानकारी उपलब्ध करायी गयी तथा कार्यक्रम के माध्यम से नये कानून का प्रभावी रूप से व्यापक प्रचार-प्रसार करते हुए पुराने कानून के स्थान पर नये कानून मे सम्बन्धित मुख्य धाराओ से भलि-भांति अवगत कराया गया। कार्यक्रम मे उपस्थित व्यक्तियो व महिलाओ द्वारा लागू हुए नये कानून के सम्बन्ध मे अपने प्रश्न पूछे गये जिनका डोईवाला पुलिस द्वारा सन्तोषजनक उत्तर देकर सभी प्रश्नकर्ताओ को सन्तुष्ट किया गया तथा उपस्थित लोगो द्वारा नये कानून के सम्बन्ध सन्देहप्रद तथ्य व्यक्त करने पर उनको उदाहरण देकर वस्तुस्थिति से अवगत कराकर सन्देह मुक्त कराया गया। अतिरिक्त थाना डोईवाला पर तैनात महिला पुलिस कर्मियो द्वारा महिलाओ व बालिकाओ को मुख्य रूप से उनको नये कानून मे प्राप्त सुरक्षा अधिकार व महिलाओ अपराधो मे सम्बन्धित प्राविधानो से अवगत कराया गया।तीनों कानूनों के साथ देश में आधुनिक न्याय प्रणाली का समावेश होगा, जिसके तहत अब जीरो एफआईआर, गंभीर अपराधों में भी ऑनलाइन एफआईआर, एसएमएस जैसे इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से समन भेजा जाना और गंभीर अपराध के सभी मामलों में घटनास्थल की वीडियोग्राफी जैसे कई सुधार लागू होंगे। कानूनों का लक्ष्य पीड़ितों को समयबद्ध न्याय दिलाना है। कार्यक्रम मे थाना क्षेत्र मे निवासरत् सभी वर्गो के करीब 250 से अधिक लोगो द्वारा प्रतिभाग किया गया। जिसमें थाना डोईवाला व चौकी प्रभारी जौलीग्रान्ट, लालतप्पड, हर्रावाला समेत कई कर्मचारियों ने प्रतिभाग किया। इस मौके पर व्यापार मंडल अध्यक्ष रमेश वासन, प्रधान अनिल पाल, व्यापारी दरपान बोरा, ईश्वरचंद अग्रवाल, अधिवक्ताओं साकिर हुसैन, विमल गोला, विजय कंडवाल, मनीष यादव, निवर्तमान सभासद गौरव मल्होत्रा, बलविंदर सिंह, किसान नेता सुरेंद्र खालसा, राममूर्ति देवी, अमित कुमार, सुबोध नौटियाल, अवतार सिंह, सुंदर लोधी, लाखन सिंह आदि मौजूद रहे।
आम लोगों के लिए यह बदलेगा
छोटी सी छोटी शिकायत दर्ज कराने के लिए थानों के चक्कर लगाने या पुलिसकर्मियों को रिश्वत देने का दौर खत्म हो जाएगा। हत्या, लूट, दुष्कर्म की भी ऑनलाइन एफआईआर दर्ज होगी। एक जिले में हुए अपराध की जीरो एफआईआर दूसरे जिले में कराई जा सकेगी। थाना क्षेत्र का हवाला देकर पुलिस टरका नहीं सकेगी। केस दर्ज कराने के बाद जांच से लेकर आगे की कार्रवाई तक सारी सूचना मोबाइल पर एसएमएस के जरिये फरियादी को दी जाएगी। महिला अपराधों के प्रति बढ़ी संवेदनशीलता : दुष्कर्म के मामलों में अधिकतम फांसी की सजा। महिलाओं के खिलाफ अपराधों में कानून ज्यादा संवेदनशील बनाए गए हैं। अब पीड़िता जहां चाहेगी, पुलिस को वहां बयान दर्ज करना होगा। दुष्कर्म के मामलों में न्यूनतम 10 साल से लेकर अधिकतम फांसी, जबकि सामूहिक दुष्कर्म में 20 साल से फांसी तक का प्रावधान। हालांकि फांसी का प्रावधान नाबालिग से दुष्कर्म के मामलों में ही होगा।
ये हैं तीन नए कानून
भारतीय न्याय संहिता नई संहिता में आईपीसी के 175 मौजूदा प्रावधानों में बदलाव किया गया है और नौ नई धाराएं जोड़ी गई हैं। इसमें 358 धाराएं हैं। पुराने आईपीसी में 511 धाराएं थीं। नए कानून में राजद्रोह को खत्म कर देशद्रोह को शामिल किया गया है। इसकी धारा 150 भारत की संप्रभुता, एकत्ता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्यों से सबंधित है। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता सीआरपीसी के नौ प्रावधान खत्म। 107 प्रावधानों में बदलाव के साथ नौ नए प्रावधान पेश। कुल 531 धाराएं हैं। सीआरपीसी में 484 धाराएं थीं। भारतीय साक्ष्य अधिनियम मौजूदा साक्ष्य अधिनियम के पांच मौजूदा प्रावधान निरस्त। 23 प्रावधानों में बदलाव और एक नया प्रावधान जोड़ा। कुल 170 धाराएं। पुराने साक्ष्य कानून में 167 धाराएं थीं।