रिपोर्ट – सत्यपाल नेगी/रुद्रप्रयाग
रुद्रप्रयाग: जनपद रुद्रप्रयाग में स्थित पंचकेदारों में द्वितीय केदार केनाम से प्रसिद्ध भगवान मद्महेश्वर धाम को यात्रियों की सुविधा हेतु विकसित करने की योजना तैयार होने जा रही है,इसके साथ ही श्री केदारनाथ धाम के प्रमुख सड़क पड़ाव पर स्थित माँ गौरी मन्दिर के सौंदर्यीकरण की कार्ययोजना को भी अतिंम रूप दिये जाने पर भी कवायद शुरू हो गई है।मीडिया प्रभारी बीकेटीसी हरीश गौड़ ने अवगत कराया है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की घोषणा के क्रम में पंचकेदारों में से द्वितीय केदार मद्महेश्वर धाम को विकसित किया जाएगा। इसके साथ केदारनाथ धाम के अंतिम मोटर पड़ाव गौरीकुंड स्थित मां गौरी के मंदिर का सौंदर्यीकरण भी किया जाएगा।उन्होंने बताया कि शासन के धर्मस्व व संस्कृति विभाग के अनु सचिव रमेश सिंह रावत द्वारा इस संबंध में संस्कृति विभाग के निदेशक को अलग-अलग आदेश जारी किये गए हैं।आदेशों में मुख्यमंत्री की घोषणा के क्रम में मद्महेश्वर धाम के विकास और गौरीकुंड स्थित मां गौरी मंदिर के सौंदर्यीकरण के लिए कार्यदायी संस्था से विस्तृत परियोजना,आख्या(डीपीआर) तैयार करने के निर्देश जारी किए गए हैं।आदेश में लोक निर्माण विभाग को कार्यदायी संस्था नामित करते हुए श्रीबदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति(बीकेटीसी)से समन्वय स्थापित करते हुए डीपीआर तैयार करने को कहा गया है।
बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने मद्महेश्वर धाम के विकास और मां गौरी मंदिर के सौंदर्यीकरण की योजना को स्वीकृति देने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का आभार व्यक्त किया है।उन्होंने कहा की मद्महेश्वर धाम के विकास की योजना से वहां श्रद्धालुओं व तीर्थयात्रियों की संख्या में वृद्धि होगी।इससे क्षेत्रीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर खुलेंगे।
उल्लेखनीय है कि 3,497 मीटर की ऊंचाई पर स्थित मद्महेश्वर धाम रुद्रप्रयाग जनपद के ऊखीमठ विकास खंड में स्थित है।मद्महेश्वर पहुंचने के लिए श्रद्वालुओं को करीब 14 किमी की पैदल दूरी तय करनी पड़ती है।पंच केदारों में से द्वितीय केदार के रूप में मद्महेश्वर धाम की मान्यता है।यहां भगवन शिव के नाभि रूप की पूजा होती है। मंदिर का प्रबंधन बीकेटीसी देखती है।इसी प्रकार मां गौरी का मंदिर केदारनाथ धाम के अंतिम मोटर स्टेशन गौरीकुंड में स्थित है। केदारनाथ धाम की यात्रा पर जाने वाले श्रद्वालु मां गौरी के दर्शनों के बाद अपनी यात्रा पर निकलते हैं। इसका प्रबंधन भी बीकेटीसी के पास है।