डोईवाला (प्रियांशु सक्सेना)। इंडियन रेस्क्यू एकेडमी की ओर से एसडीआरएफ वाहिनी मुख्यालय जौलीग्रांट में साइकोसोशल केयर एवं ट्रॉमा काउंसलिंग का तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। प्रशिक्षण के उद्देश्य एसडीआरएफ के जवानों को आपदा प्रबंधन के दौरान मानसिक तनाव और ट्रॉमा से निपटने की तकनीकों से सशक्त बनाना है। इंडियन रेस्क्यू एकेडमी द्वारा निर्धारित ट्रेनिंग कैलेंडर के तहत 09 दिसंबर से एसडीआरएफ वाहिनी मुख्यालय में साइकोसोशल केयर और ट्रॉमा काउंसलिंग पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया। जिसमें 50 जवानों ने भाग लिया। बता दे कि इससे पहले इसी विषय पर प्रशिक्षण दिया गया है। प्रशिक्षण का मुख्य फोकस, रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान अत्यधिक कठिन परिस्थितियों में कार्य करते समय जवानों के मानसिक स्वास्थ्य को मजबूत बनाना और उन्हें मानसिक आघात (ट्रॉमा) से बचाने की रणनीतियां सिखाना था। एसडीआरएफ सेनानायक अर्पण यदुवंशी ने कहा रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान जवान अक्सर अत्यधिक विषम परिस्थितियों का सामना करते हैं। ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रम न केवल कार्मिकों को मानसिक रूप से मजबूत बनाते है बल्कि उन्हें घटनाओं में हताहत हुए लोगों को ट्रॉमा से उबारने में भी सक्षम बनाते हैं। सेनानायक ने बताया इस कार्यक्रम के माध्यम से जवानों को व्यावसायिक और मानसिक रूप से मजबूत बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण ज्ञान और अनुभव प्रदान किया गया है। यह प्रशिक्षण उन्हें केवल व्यक्तिगत मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने तक सीमित नहीं है बल्कि आपदाओं में हताहत लोगों को तुरंत सहायता और मानसिक सहारा देने में भी सक्षम बनाता है। प्रशिक्षण की मुख्य विशेषताएं इस तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में सायकोलॉजिकल फर्स्ट एड और मनोवैज्ञानिक सुरक्षा तकनीकों पर विशेष ध्यान दिया गया। कार्यक्रम में ट्रॉमा के शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक प्रभाव, विभिन्न प्रकार के ट्रॉमा जैसे अचानक होने वाली आपदाएं, व्यक्तिगत नुकसान और सामूहिक घटनाओं के प्रभाव, ट्रॉमा के कारण उत्पन्न होने वाले मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक लक्षण, मानसिक तनाव को समझने और प्रबंधन करने की तकनीक, ट्रॉमा से उबरने की रणनीतियां, माइंडफुलनेस तकनीकें ध्यान और आत्म-संवेदनशीलता के माध्यम से मानसिक तनाव को प्रबंधित करना, सोमेटिक थेरेपी का महत्व, शरीर और मन के बीच संबंध को समझना और मानसिक तनाव को दूर करना, नकारात्मक विचारों को बदलने की प्रक्रिया और सकारात्मक मानसिकता विकसित करना, व्यवहारिक कौशल और सिद्धांत, जवानों को संकट के दौरान समुचित मनोवैज्ञानिक सहायता प्रदान करने के लिए व्यवहारिक कौशल सिखाए, आपदा प्रभावित व्यक्तियों और उनके परिवारों के साथ संवाद करने और उनकी मानसिक स्थिति को बेहतर बनाने की तकनीकें।