कमल बिष्ट/उत्तराखंड समाचार।
कोटद्वार। वन अग्नि सुरक्षा सप्ताह के तहत पब्लिक इण्टर कॉलेज सुरखेत में आयोजित कार्यशाला में विद्यार्थियों को वनाग्नि से होने वाले दुष्परिणामों की जानकारी देकर जागरूक किया गया। गढ़वाल वन प्रभाग के पश्चिमी अमेली, दमदेवल वन रेंज तथा राष्ट्रीय सेवा योजना के संयुक्त तत्वावधान में 01 से 07 फरवरी तक मनाए जा रहे वन अग्नि सुरक्षा सप्ताह कार्यशाला में विद्यालय के प्रधानाचार्य तथा एन० एस० एस० के गढ़वाल मण्डल कार्यक्रम समन्वयक पुष्कर सिंह नेगी ने कहा कि प्रकृति ने हमें जल, जंगल, जमीन, जीव और जैव के रूप में पाँच अनमोल उपहार दिये हैं । इनका सीमित मात्रा में दोहन करके और संरक्षण करके ही हम धरती की जैव विविधता को सुरक्षित रख सकते हैं। वन आरक्षी गौरव पोखरियाल ने छात्र छात्राओं को वनाग्नि के प्रति जागरूक करते हुए बताया कि वनों में आग लगने से जहाँ करोड़ों रुपये मूल्य की वन सम्पदा जलकर नष्ट हो जाती है वहीं निरीह वन्यजीव -जंतु आग की चपेट में आकर मर जाते हैं। इससे प्रकृति के जैविक और अजैविक घटकों का पर्यावरण संतुलन बिगड़ जाने पर जलवायु परिवर्तन जैंसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। उन्होंने वनों और जीव जन्तुओं के संरक्षण हेतु भारत सरकार द्वारा पारित कानून भारतीय वन अधिनियम 1927, वन्यजीव संरक्षण एक्ट 1974 के साथ ही पर्यावरण सुरक्षा के लिए अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर किये जा रहे प्रयासों स्टॉक होम सम्मेलन 1972, क्योटो प्रोटोकॉल 1997, विश्व शिखर सम्मेलन 2002 की जानकारी दी। फॉरेस्टर आशीष बलोधी तथा डिप्टी रेंजर बृजेश कुमार ने भी पर्यावरण की गुणवत्ता को बनाए रखने में वनों की भूमिका के बारे में जानकारी दी। इस अवसर पर विद्यालय के शिक्षक प्रमोद कुमार रमोला, दिनेश बिष्ट, कैलाश सिंह रावत, डा० तपेन्द्र बिष्ट , प्रकाश कैंथोला, सतीश चन्द्र शाह, नीरज रमोला, प्रमोद रावत विजेता गडोई, वन विभाग की फॉरेस्टर सोनम बिष्ट नीलम, वन आरक्षी पदमेन्द्र सिंह, कवीन्द्र बिष्ट, हरेन्द्र, एनएसएस० के स्वयंसेवकों सहित अन्य छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।