रिपोर्ट: लक्ष्मण नेगी/उत्तराखंड समाचार
काठमांडू नेपाल जलवायु परिवर्तन के खतरों से बचने के लिए विश्व बिरादरी के लोगों को एक मंच पर आना पड़ेगा काठमांडू नेपाल विश्व सामाजिक मंच के विभिन्न सत्र में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से साउथ एशिया की देश एवं दुनिया पर पड़ने वाले प्रभाव पर विशेष करके चर्चा की गई मुख्य वक्ताओं ने कहा कि हिमालय में लगातार बाढ़ भूस्खलन सुखाड़ की समस्या पैदा हो रही है इसको वैज्ञानिक आधार से भी अध्ययन की करने की आवश्यकता है लगातार जलवायु परिवर्तन से कृषि आजीविका एवं गरीबो पर पड़ने वाले प्रभाव से लगातार गरीबों की संख्या बढ़ाने की आशंका है यदि समय रहते हुए जलवायु परिवर्तन से बचने के उपायों पर बुनियादी तौर पर विचार नहीं किया गया तो आने वाले समय में करोड़ों लोगों को इसका सामना करना पड़ेगा हिमालय क्षेत्र में लगातार जल स्रोत सूख रहे हैं हिमालय में बर्फ लगातार कम पड़ रही है बर्फ तेजी से पिघलता जा रही है जिस वर्षा को तीन माह के अंतराल में होना था वह 45 दिनों के अंतराल हो जा रही है जिससे भूस्खलन की घटनाएं बढ़ती जा रही है नदी घाटी में बसने वाले जंगलों पर नदियों पर निर्भर रहने वाले छोटे एवं मौजुले किसानों की आजीविका संकट में है एक तरफ जहां पूंजीवाद के कारण बड़े-बड़े घराने के लोग आदिवासियों एवं वनों पर निर्भर रहने वाले लोगों के जंगलों पर कब्जा कर रहे हैं और उनको वहां से भाग रहे हैं जंगलों पर निर्भर लोगों का जीवन बदतर से बेहतर होता जा रहा है वैश्विक आधार पर जलवायु परिवर्तन के कारण बांग्लादेश में हर वर्ष लाखों लोग बेघर हो जाते हैं इस तरह से असमय वर्षा एवं बाढ़ के कारण पाकिस्तान में भी हर वर्ष लाखों लोग बेघर हो जाते हैं और उनको व्यवस्थित पुनर्वास नहीं मिल पाता है चीन जैसे औद्योगिक देश में हर वर्ष हजारों की तादाद में लोगों का बाढ़ एवं सुखाड की घटनाओं के कारण आजीविका का संकट में आ जाती है। भारत में भी प्रतिवर्ष लाखों लोग बाढ़ की चपेट में आते हैं और उनकी आजीविका नष्ट हो जाती हैउत्तराखंड पार्वतीय प्रदेश में भी सुखा एवं बाढ़ की घटनाएं निरंतर बढ़ रही है जून 2013 की आपदा के कारण सैकड़ो लोगों को मौत के मुंह में धकेलना पड़ा था 7 फरवरी 2021 को रैणी धोली ऋषि गंगा में आपदा आने से हजारों लोगों को प्रभावित किया था जिसमें धोली गंगा पर बन रहे तपोवन विष्णुगाढ़ परियोजना में कार्य करने वाले 250 से भी अधिक लोगों की मृत्यु हो गई थी निरंतर जल संकट बढ़ता जा रहा है खेती में भी जलवायु परिवर्तन देखे जा रहे हैं अनियमित वर्षा के कारण फसलों का नुकसान देखा जा रहा है इससे बचने के लिए जलवायु आधारित कृषि को बढ़ावा देने की आवश्यकता है और इस संकट से बचने के लिए विश्व को एक मंच पर आना पड़ेगा जलवायु परिवर्तन से बचने के लिए विश्व स्तर पर जो प्रयास किया जा रहे हैं उनमें विकसित देशों के द्वारा अपनी घोषणा के अनुसार काम नहीं किया जा रहा हैजिससे लगातार ग्रीन हाउसेस गैसे बढ़ रही है वातावरण में ग्रीन हाउसेस गैस बढ़ने से तापमान बढ़ रहा है और समुद्री किनारे के क्षेत्र लगातार जलमग्न हो रहे हैं और उन क्षेत्रों में पानी का संकट बढ़ता जा रहा है साइक्लोन जैसी समस्याएं पैदा हो रही है इन तमाम विषयों पर विश्व सामाजिक मंच के स्तर पर कई जन संगठन के लोगों ने अपनी बात रखी और आने वाले समय में जलवायु परिवर्तन आधारित विषयों पर गहनता से अध्ययन और विश्लेषण करने की आवश्यकता पर बल दिया गया जिससे कि आने वाले समय में जल जंगल जमीन के साथ इंसान को बचाया जा सके। इस विश्व स्तरीय सम्मेलन में जल पुरुष राजेंद्र सिंह, लक्ष्मण सिंह नेगी जबर वर्मा हीरा जगपंगी संदीप चाचरा देवव्रत पत्रा आदि लोग उपस्थित है। इस सम्मेलन में 93 देश के प्रतिनिधियों ने भाग लिया दुनिया में जल संकट से बचने के लिए जल को निजीकरण की जगह समुदायकी करण करने की आवश्यकता पर बल दिया गया।