प्रकाश कपरूवाण
जोशीमठ। भू धंसाव त्रासदी पर मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती द्वारा एनटीपीसी को एक मात्र दोषी बताए जाने के बयान से जोशीमठ को बचाने के आंदोलन को न केवल नई ऊर्जा मिली है बल्कि केन्द्र सरकार को भी सीमान्त जोशीमठ की वर्षो से एनटीपीसी परियोजना को बन्द करने मांग पर पुनर्विचार के लिए विवश कर दिया है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री व मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती जोशीमठ भू धंसाव त्रासदी के स्थलीय निरीक्षण व पीड़ित जनता के दुःख दर्द को जानने के लिए मंगलवार को जोशीमठ पहुंची थी।प्रभावित लोगों से मिलने व प्रभावित क्षेत्रों के भ्रमण के बाद उमा भारती ने कहा कि इस देश को शराब,खनन व पावर प्रोजेक्ट माफियाओं का गठजोड़ खोखला कर रहा है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्री रहते हुए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट मे एफिडेविट देकर हिमालय को खोखला करने वाली बड़ी परियोजनाओं का विरोध किया था।
उमा भारती ने जोशीमठ मे वर्तमान भू धंसाव को एक बड़ी आपदा का मात्र संकेत मानते हुए कहा कि इस त्रासदी के लिए एनटीपीसी की सुरंग ही पूरी तरह जिम्मेदार है।पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने कहा कि जोशीमठ त्रासदी पर प्रधानमंत्री कार्यालय की नजर है, गुजरात के कच्छ व भुज तथा उत्तराखंड के केदारनाथ को त्रासदी से उबारने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जोशीमठ को भी इस त्रासदी से उबार लेंगे इसमें कोई संदेह नहीं है।उन्होंने कहा कि पॉलसी मेकर वो लोग हैं जो टनल के अंदर नहीं मरते,हेलीकॉप्टर से आकर सर्वे कर वापस लौट जाते हैं।
उनका कहना था कि वैदिक धर्म के आधार केन्द्र आद्य जगद्गुरु शंकराचार्य की तपोभूमि ज्योतिर्मठ-जोशीमठ को किसी भी दशा मे नष्ट नहीं होने देंगें।प्रकृति,पर्यावरण,आस्था व मानवता को साथ लेकर चलना होगा, उन्हें उम्मीद है कि पुष्कर धामी व नरेन्द्र मोदी जोशीमठ को इस आपदा से उबार लेंगें।
पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती का जोशीमठ की त्रासदी के लिए एनटीपीसी को जिम्मेदार मानने व इस विनाशकारी परियोजना को बन्द किए जाने के बयान के बाद तो स्पष्ट हो गया कि जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक कामरेड अतुल सती जो अपनी टीम के साथ पिछले 14 महीनों से घर घर जाकर लोगों को बता रहे थे कि जोशीमठ खिसक रहा है बर्बाद हो रहा है।और अब भू धंसाव के रूप मे सामने भी आ गया है।
अब बदलते मौसम के बाद आंदोलन को जारी रखने के साथ साथ भू धंसाव प्रभावित क्षेत्रों से खाली कराए जाने वाले परिवारों का भी सहयोग व सहायता किए जाने की आवश्यकता है।