देहरादून, 3 फरवरी। दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र और सेंटर फॉर इकोलॉजी डेवलपमेंट एंड रिसर्च (सिडार) संस्था के संयुक्त तत्वाधान में उत्तराखंड में छोड़ दी गयी खेती पर एक गोलमेज सम्मेलन का आयोजन केन्द्र के सभागार में किया गया। इस सम्मेलन में पहाड़ की परम्परागत खेती जो पलायन और अन्य कारणों से धीरे-धीरे छूटती जा रही है उसके सामाजिक और पारिस्थितिक चिंताओं पर मन्थन किया गया। इस सम्मेलन में विभिन्न विशेषज्ञों, शोधकर्ताओं और सामाजिक विचारकों ने भाग लिया।
पूर्व कुलपति व सामाजिक विज्ञानी प्रोफेसर बी.के. जोशी ने कृषि परित्याग के प्रमुख मुद्दों पर प्रकाश डालते हुए प्रतिभागियों का स्वागत कर इस तरह के सम्मेलन के उद्देश्य की जानकारी दी। उन्होंने पहाड़ ग्रामीण बस्तियाँ जो पलायन के कारण वीरान हो गई हैं जो बहुत चिन्ता की बात है। इस परिप्रेक्ष्य में उन्होंने पहाड़ की सिमटती खेती से जुड़े महत्वपूर्ण बिन्दुओं की पर गहनता से विचार किये जाने की बात कही। सम्मेलन में पूर्व कुलपति प्रोफेसर एस.पी. सिंह ने व्यापक आर्थिक और पर्यावरणीय कारकों को ध्यान में रखते हुए पहाड़ की छूट रही खेती की समस्या को वैश्विक स्तर पर देखने की आवश्यकता पर जोर दिया।
इसके बाद, एक खुली चर्चा में प्रतिभगियों द्वारा प्रमुख चुनौतियों पर प्रकाश डाला गया। पहाड़ की छूट रही खेती की इस समस्या के कारकों में पर्यावरण क्षरण, मानव-वन्यजीव संघर्ष और आर्थिक संकट जैसे अनेक मुद्दों पर चर्चा की गई। वक्ताओं ने छोड़ दी गई खेती के विविध पक्षों के लिए कार्य योजनाओं का सुझाव भी दिया।
वक्ताओं ने कहा कि गहरे भावनात्मक संबंधों के बावजूद सामाजिक और मनोवैज्ञानिक कारक अक्सर लोगों को अपने मूल गांवों से दूर कर देते हैं। सम्मेलन में यह बात भी उभर कर आयी कि विश्वविद्यालय व सस्थानों के शोधकार्य प्रायः आम किसानों तक पहुंचने में असफल रहते हैं अतः अनुसंधान और कार्य के बीच एक सेतु की आवश्यकता है। इसके साथ ही सहयोगात्मक खेती से कृषि परिणामों में सुधार लाया जा सकता है। खेती को बढ़ावा देने के लिए युवा भागीदारी के जरिए जमीनी स्तर की संस्थाओं को वित्तीय प्रोत्साहन के साथ कृषि को एक व्यवहार्य कैरियर के रूप में बढ़ावा दिया जाना चाहिए। यही नहीं इस महत्व को सम़़़झते हुए स्कूलों और विश्वविद्यालयों को पाठ्यक्रम में कृषि को शामिल करना चाहिए।
प्रतिभागी वक्ताओं ने इस कार्यक्रम में समाधान-उन्मुख चर्चाओं को बढ़ावा देनेा तथा उत्तराखंड के कृषि क्षेत्र को पुनर्जीवित करने के लिए सहयोग को प्रोत्साहित करने के सुझाव भी दिये। सम्मेलन का संचालन प्रो. एस.पी. सती ने किया। धन्यवाद ज्ञापन सिडार संस्था के डॉ. विशाल सिंह ने किया।
इस गोलमेज सम्मेलन में इको टास्क फोर्स के सदस्य लेफ्टिनेंट कर्नल विक्रम शर्मा और मेजर पराशराम दलवी सहित,डॉ. आर.पी. मंमगाईं , डॉ. एच सी. पुुरोहित, डॉ. प्रदीप मेहता, डॉ. राजेश नैथानी, चन्द्रशेखर तिवारी, प्रेम बहुखएडी डॉ. आर .एस .कोश्यारी, बिजू नेगी व अरिस्ता व सुंदर सिंह बिष्ट सहित अन्य लोग शामिल थे।