डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला
उत्तराखंड में अल्मोड़ा-हल्द्वानी राष्ट्रीय राजमार्ग 109 क्वारब पुल के पास पहाड़ी से हो रहा भूस्खलन जनता के लिए मुसीबत बन चुका है. स्थानीय लोगों के साथ-साथ पर्यटकों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. पहाड़ी से लगातार पत्थर और मलबा गिर रहा है. तीन दिन से सड़क बंद पड़ी है, जिस वजह से हर किसी को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. नए साल को लेकर काफी संख्या में पर्यटक अल्मोड़ा और इससे सटे अन्य जिलों का रुख करते हैं लेकिन सड़क बंद होने से स्थानीय लोगों का पर्यटन व्यापार भी प्रभावित हो रहा है. अल्मोड़ा के साथ-साथ तीन अन्य जिले पिथौरागढ़, बागेश्वर और चंपावत भी प्रभावित हो रहे हैं.लो इस समस्या को लेकर जनता से बातचीत अल्मोड़ा निवासी ने कहा कि क्वारब में लगातार हो रहे भूस्खलन की वजह से हर किसी को परेशानी हो रही है, चाहें व्यापारी हो या आम जनता हो. कई महीनों से पहाड़ी से लगातार मलबा और पत्थर गिर रहे हैं. इसपर प्रशासन और सरकार को विशेष तौर से ध्यान देने की जरूरत है. उनका मानना है कि इसका समाधान युद्ध स्तर पर होना चाहिए. खाने से लेकर मेडिकल और तमाम चीजें हल्द्वानी से ही आती हैं और प्रमुख रास्ता यही है. सड़क बंद होने से रानीखेत या फिर लमगड़ा से होते हुए शहर में दाखिल हो रहे हैं, जिससे लोगों की जेब पर भी असर पड़ रहा है. सबसे ज्यादा दिक्कत यहां पर रहने वाले ग्रामीणों को है क्योंकि जो पशुपालक दूध लेकर अल्मोड़ा को आते हैं, वो भी इससे प्रभावित हो रहे हैं. एनएच मार्ग में हो रहे कार्यों की वजह से यह भूस्खलन हो रहा है. पुल के कटान की वजह से पहाड़ी लगातार गिर रही है. आज अल्मोड़ा के साथ-साथ चंपावत, पिथौरागढ़ और बागेश्वर जिले भी इससे प्रभावित हो रहे हैं. अगर किसी को हल्द्वानी आना-जाना है, तो उन्हें रानीखेत या फिर लमगड़ा से होते हुए जाना पड़ रहा है. वैसे तो अल्मोड़ा से हल्द्वानी की दूरी 90 किलोमीटर है, पर दूसरे रास्ते की वजह से 50 किलोमीटर और अधिक तय कर लोग गंतव्य तक पहुंच रहे हैं. 140 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ रहा है. अगर इसको जल्द से जल्द दुरुस्त नहीं कराया गया, तो इससे पर्यटन व्यापार को भी काफी नुकसान होगा. अल्मोड़ा से हल्द्वानी आना-जाना रहता है. भूस्खलन की वजह से अब उन्हें अल्मोड़ा से हल्द्वानी का सफर रानीखेत होते हुए करना पड़ता है. रानीखेत से काफी लंबा सफर तय कर वह अपने गंतव्य तक पहुंचते हैं, जिस वजह से ज्यादा पैसा खर्च हो रहा है और थकान भी ज्यादा होती है. पिछले दिनों जब वह क्वारब से होते हुए निकले, तो मन में डर था कि कब पहाड़ी नीचे आ जाए. उन्होंने स्थानीय प्रशासन से मांग की है कि जल्द से जल्द इसको दुरुस्त किया जाए ताकि जनता के साथ-साथ पर्यटकों को भी राहत मिल सके. क्वारब में हो रहे भूस्खलन की वजह से आमजन को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. पहले जहां 90 किलोमीटर का सफर तय करके हल्द्वानी पहुंच जाया करते थे, अब लमगड़ा और रानीखेत से 50 किलोमीटर का अधिक सफर तय करके पहुंच रहे हैं, जिससे जेब पर भी असर पड़ रहा है. मानकों की अनदेखी कर पहाड़ को काटा जा रहा है, जिससे ये सभी चीजें देखने को मिल रही हैं. उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि इसको जल्द से जल्द ठीक किया जाए ताकि लोगों को दिक्कतों का सामना न करना पड़ेअल्मोड़ा-हल्द्वानी राष्ट्रीय राजमार्ग पर क्वारब के समीप दरकती पहाड़ी एक बड़ा चिंता का विषय बन गया है। ऐसे में इसका स्थाई समाधान नहीं होने से मुश्किलें बढ़ रहीं हैं।पिथौरागढ़ जिलों के लिए लाइफ लाईन माने जाने वाली यह मुख्य सड़क पिछले करीब एक साल से खतरनाक बनी है। क्वारब के पास करीब 200 मीटर लंबाई और 100 मीटर चौड़ाई में भारी भरकम पहाड़ी सड़क समेत नदी की तरफ धंस रही है। यहां सड़क में दिन में कई बार मलबा गिर रहा है। एनएच ने मलबा हटाने के लिए मशीनें लगा रखी हैं।बुधवार सुबह करीब छह बजे हल्द्वानी की ओर से आ रहा लोडेड ट्रक कीचड़ में फंस गया। काफी कोशिश के बाद भी ट्रक आगे नहीं बढ़ पाया। बाद में पोकलैंड व जेसीबी मशीन से जोर लगाकर ट्रक को डेंजर जोन ने बाहर निकाला गया। इससे हाईवे में करीब दो घंटे तक यातायात अवरूद्ध रहा। इसके बाद दोपहर के समय एक और ट्रक कीचड़ में फंसकर खराब हो गया। बाद में किसी तरह ट्रक को वहां से हटाया गया। ऐसे में क्वारब के पास हाईवे दिन में कई बार खुलता व बंद होते रहा।अधिशासी अभियंता राष्ट्रीय राजमार्ग रानीखेत खंड ने बताया कि हाईवे में यातायात का काफी दबाव है। मौके पर तैनात मशीनों से समय समय पर सड़क को ठीक किया जा रहा है ताकि वाहनों का आवागमन जारी रहे। डेंजर जोन के पास पुलिस बल की और आवश्यकता महसूस हो रही है इसके लिए वह नैनीताल व अल्मोड़ा जिले के एसएसपी से वार्ता करेंगे। उन्होंने बताया कि डेंजर जोन के पास बेसमेंट की ओर करीब 30 प्रतिशत कार्य हो चुका है। कार्य पूरा करने की निर्धारित अवधि फरवरी 2026 तक है।क्वाबर डेंजर जोन की समस्या से निपटने के लिए भारत सरकार से अलग अलग कार्यों के लिए करोड़ों रुपये का बजट मंजूर हुआ है। जिसमें 51 करोड़ की लागत से पहाड़ी का ट्रीटमेंट होना है। एनएच की ओर से इसकी निविदा प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। चौधरी कंस्ट्रक्शन कंपनी की ओर से यह कार्य किया जाना है। ईई अशोक कुमार ने बताया कि पहाड़ी के ट्रीटमेंट के लिए सीआरटी टेस्टिंग हो चुकी है। कंपनी की मशीनें और कुछ स्टाफ आ चुका है। अगले 10 से 12 दिन के भीतर इस कार्य के शुरू होने की उम्मीद है।राष्ट्रीय राजमार्ग पर बने डेंजर जोन को सुरक्षित करने के लिए भारत सरकार ने 86 करोड़ रुपये की बड़ी परियोजना स्वीकृत की है. इस परियोजना के तहत सुयाल नदी तल से सुरक्षा और एंकरिंग कार्य की शुरुआत 17.14 करोड़ रुपये की लागत से की गई है. हालांकि अब इस निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर सवाल खड़े हो रहे हैं. स्थानीय शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग विभाग के अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर स्थलीय निरीक्षण किया. उन्होंने निर्माण कार्य का बारीकी से जायजा लिया और कार्य में लापरवाही पाए जाने पर निर्माण एजेंसी को फटकार भी लगाई. निरीक्षण के दौरान एसई ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि निर्माण एजेंसी द्वारा बनाई गई एंकरिंग वाल को तोड़ दिया गया है. निर्माण एजेंसी द्वारा बनाई गई एंकरिंग वाल को तोड़ दिया गया है. उन्होंने स्पष्ट चेतावनी दी कि यदि भविष्य में निर्माण कार्य में किसी भी प्रकार की लापरवाही बरती गई तो कानूनी कार्यवाही की जाएगी. एसई ने अधीनस्थ अधिकारियों को भी समय-समय पर निरीक्षण करने और कार्य की गुणवत्ता सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए. गौरतलब है कि क्वारब क्षेत्र सालों से भू-स्खलन और सड़क क्षति की दृष्टि से संवेदनशील रहा है, जिससे होकर गुजरने वाला अल्मोड़ा-हल्द्वानी राष्ट्रीय राजमार्ग अकसर बाधित होता रहा है. ऐसे में इस परियोजना से स्थानीय लोगों और यात्रियों को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद थी, जबकि प्रशासन द्वारा लगातार मार्ग की स्थिति की निगरानी की जा रही है। बहुत बड़ा प्रश्न है। पहाड़ के हिस्से क्या आएगा? लेकिन गुणवत्ता पर सवाल उठना चिंता का विषय बन गया है दरकती पहाड़ी के लिए ट्रीटमेंट कार्य शुरू किया गया, लेकिन यहां अब और खतरा बढ़ गया है। जिस स्थान पर ट्रीटमेंट कार्य किया जा रहा है। उसी के बगल से पूरी पहाड़ी दरकते हुए नीचे खिसक रही है। इस बीच लोडर मशीन के आपरेटर अपनी जान जोखिम में डालकर मलबा हटाने का कार्य कर रहे हैं। पहाड़ी से लगातार मलबा और पत्थर गिर रहे हैं। जिससे वहां पर काम करने में मजदूरों को दिक्कत हो रही है। मार्ग पर यातायात सुचारू करने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं *लेखक विज्ञान व तकनीकी विषयों के जानकार दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं।*