फाइल फोटो-विश्व संास्कृतिक धरोहर रम्माण का मंचन करते कलाकार ।
प्रकाश कपरूवाण
जोशीमठ। विश्व सांस्कृतिक धरोहर’’रम्माण’’ का मंचन शुक्रवार 26 अप्रैल को होगा। पैनखंडा का प्रसिद्ध रम्माण मेला 26 अप्रैल को आयोजित होगा। जिसकी पूरी तैयारियाॅ कर ली गई है। रम्माण-नृत्य द्वारा रामलीला मंचन की इस अनूठी परंपरा को देखने के लिए हजारो लोग पैनख्ंाडा के सलूड-डंुग्रा पंहुचते है। 26अप्रैल रम्माण दिवस की पूर्व संध्या पर मंचन करने वाले राम, लक्ष्मण सीता व हनुमान के पात्र चयनित होते है। जो अगले दिवस मंचन तक पूर्ण रूप से निराहार रहेगे। रम्माण मेले की शुरूवात यूॅ तो प्रात दस बजे से ही शुरू हो जाती है। सुबह दस बजे से जनक वाटिका, जनक दरबार, सीता स्वयंबर व वन गमन व सीता हरण के दृष्यो के बाद हनुमान जी का प्राक्टय सहित अनेक लीलाओ का नृत्य द्वारा मंचन किया जाता है।
ढोल की थाप के नौ ताल के बाद भूमियाल देवता अवतरित होते है। और मोर-मारीण नृत्य का आयोजन होता है। 11ताल के बाद बणिया-बणियाॅण नृत्य तथा 18ताल के बाद भगवान नृसिंह के पत्तर का भब्य नृत्य होता है। भगवान नृंिसह के पत्तर-मुखौटा जो काफी भारी-भरकम भी होता है। इसे नृत्य कराने वाले ब्यक्ति भी का भी चयन होता है। और वे पूरे दिन उपवास मे रहते है। नृत्य व आर्शीबाद देने के बाद गोधली बेला पर भगवान नृंिसहं अपने मूल स्थान पर विराजित होते है। उसके बाद भी रम्माण के अनेक कलाकारो के नृत्य का सिलसिला जारी रहता है।
पैनख्ंाडा सलूड-डुंग्रा की रम्माण को विश्व पटल तक पंहुचाने मे अहम भूमिका निभाने रम्माण के समन्वयक डा0कुशल भंडारी ने बताया कि रम्माण मेले को लेकर सलूड-डंुग्रा के ग्रामीणों ने सभी तैयारियाॅ पूरी कर ली है। सभी आंगतुक अतिथियों के स्वागत के लिए पूरे क्षेत्र मे उत्साह का वातावरण बना हुआ है।
बताते चले कि पैनख्ंाडा जोशीमठ के रम्माण मेले के पौराणिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, धार्मिक,सामाजिक एवं पर्यावरणीय महत्व को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन -यूनेस्को द्वारा 02अक्टूबर 2009 को रम्माण को विश्व अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर की सूची मे शामिल किया था। पैनख्ंाडा की रम्माण को उत्तराख्ंाड राज्य का प्रथम सांस्कृतिक धरोहर बनने का गौरव भी प्राप्त हुआ।
पैनखडा की रम्माण का अंर्तराष्ट्रीय सेमिनार रामयण अंकन मंचन एव वाचन के अंर्तगत वर्ष 2008 मे भाग लेने के बाद वर्ष 2010 मे महाकुभं मेला हरिद्वार, 2010मे ही राष्ट्रमंडल खेल दिल्ली, 2016मे संगीत एंव नाटक अकादमी द्वारा आयोजित आईसीएच फस्टिवल, तथा वर्ष 2018मे बैगलरू मे एक भारत-श्रेष्ठ भारत कार्यक्रम के अलावा अनेक राष्ट्रीय एंव अंर्तराष्ट्रीय कार्यक्रमो मे सफलता पूर्वक आयोजन हो चुका है।