गुरूदेव रविन्द्रनाथ टैगोर की जयंती पर पुष्पांजलि
फोटो-गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगौर की प्रतिमा के साथ भुवन नौटियाल।
रविन्द्रनाथ टैगोर के 159वें जन्म दिन 7 मई को शांति निकेतन ट्रस्ट फार हिमालया की ओर से रामगढ नैनीताल में सेमिनार कार्यक्रम आयोजित हुआ। संचालन मेरे परम मित्र वाणिज्य विभाग के अधिष्ठाता प्रो अतुल जोशी ने किया। डा0 जोशी के सफल नेतृत्व में हम लोगों ने कर्णप्रयाग में उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलन चलाया था। तब उन्होंने कर्णप्रयाग महाविद्यालय में अंशकालिक प्रवक्ता के रूप में अद्यापन कार्य प्रारंभ किया था।
रामगढ गुरूदेव का प्रवास स्थल रहा है यहीं पर रह कर उन्होंने गीतांजलि के अनेकों अंश लिखे हैं जिनमें उत्तराखंड की नैसर्गिक सुन्दरता और आध्यात्मिक महत्व की झलक दिखायी देती है। गुरूदेव की अभिलाषा थी कि रामगढ में श्री निकेतन श्रृंखला का विस्तार हो लेकिन उनकी अभिलाषा अधूरी रह गयी थी।
शांति निकेतन ट्रस्ट फार हिमालया की जागृत टीम की पहल पर भारत सरकार के मानव संसाधन मंत्री डां0 रमेश पेाखरियाल निशंक ने विश्व भारती के कुलपति प्रो0 डी पी सिंह को गुरूदेव के अधूरे सपनों को पूरा करने और उनकी शिक्षा की परिकल्पनाओं को पूर्ण करने के लिए रामगढ विगत समय में भेजा था। रामगढ में केंद्रीय विश्व वि0 के प्रस्ताव को अंतिम रूप दिया जा रहा है। डाॅ0 निशंक ने अगले वर्ष से प्रतिवर्ष 7 मई को टैगोर जन्मोत्सव को राष्ट्रगान दिवस के रूप में मनाये जाने की घोषणा की है। इसके लिए डाॅ निशंक का आभार।
साहित्य एवं राष्ट्रगान के माध्यम से सारे भारत को एक माला में सुसज्जित करने वाले गुरूदेव का साहित्य दुनिया की अनेक भाषाओं में प्रकाशित है। सात समुद्रपार यूरोप के आयरलैंड में विगत वर्ष मुझे वहां की राजधानी डबलिन में स्थापित गुरूदेव रविंद्रनाथ टैगोर की मूर्ति पर पुष्पांजली देने का सौभाग्य मिला। कलकता व देश के अन्य शहरों में गुरूदेव को जानने के अनेक अवसर प्राप्त हुआ । युग पुरूष को शत शत नमन।