थराली से हरेंद्र बिष्ट।
प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में राजस्व के साथ ही आम जनमानस के जान.माल की हिफाजत का जिम्मा संभाले। राजस्व पुलिस के कार्मिकों के पिछले के पिछले 16 दिनों से हड़ताल पर रहने के कारण जहां आम लोगों को जरूरी प्रमाण पत्रों के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है और ग्रामीण क्षेत्रों में सुरक्षा व्यवस्था भगवान भरोसे चल रही है। वहीं सरकार के द्वारा राजस्व कर्मियों की मांगों पर गंभीरता से विचार नहीं किए जाने पर संघ के सदस्यों में भी सरकार के खिलाफ आक्रोष बढ़ता जा रहा है।
दरअसल अपनी 4 सूत्रीय मांगों को लेकर राजस्व निरीक्षक, उपनिरीक्षक एवं राजस्व सेवक बीते 23 दिसम्बर से हड़ताल 16 वें दिन भी हड़ताल पर रहे जिस कारण युवा वर्ग को जहां रोजगार के लिए मूलनिवास, आय, जाति, पर्वतीय आदि प्रमाण पत्रों के लिए भटकने पर मजबूर होना पड़ रहा है। वहीं लोगों को प्रदेशभर में भूमि सहित अन्य आवश्यक दस्तावेज नही मिल पा रहे हैं। इसके साथ ही पर्वतीय क्षेत्र के अधिकांश ग्रामीण अंचलों में सुरक्षा का जिम्मा भी राजस्व पुलिस के ही पास हैं। उनकी हड़ताल के चलते ग्रामीणों के जान.माल भी इन दिनों भगवान भरोसे चल रही है।
एक पखवाड़े से अधिक समय से चल रही हड़ताल को समाप्त करवाने के लिए सरकारी स्तर पर ठोस कार्रवाई नहीं होने पर जहां इस संगठन में सरकार के खिलाफ रोष बढ़ता जा रहा है। वहीं इनकी हड़ताल को आम लोगों के साथ ही नेताओं का समर्थन बढ़ रहा है। कांग्रेस के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष डॉ जीतराम ने हड़ताल के संबंध में सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि पटवारी हड़ताल पर हैं और आमजन अपने राजस्व संबंधी कार्यो के सम्पादन के लिए परेशान हैं। बावजूद इसके सरकार के कानों में जूं तक नहीं रेंग रही है। जिससे स्पष्ट है कि सरकार को अपनी कर्मियों एवं आम जनता के सुख.दुख से कुछ भी लेना.देना नही हैं। सरकार केवल कोरी घोषणा में ही पुरी तरह से मशगूल बनी हुई हैं। राजस्व विभाग के कार्मिकों की इस हड़ताल को तमाम अन्य संगठनों का भी समर्थन बढ़ता जा रहा है।