

फोटो- 01-घटनास्थल पर सेना के अधिकारियों से वार्ता करते मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत।
02-मलबे में तब्दील तपोवन वैराज साइट।
03–रैणी में नीती घाटी को जोडने वाला मोटर पुल जलजले में समाया।
प्रकाश कपरूवाण
जोशीमठ। मौसम एकदम सुहावना, लोग सुबह रोजमर्रा के कामों के लिए घरों से निकले। परियोजनाओं में काम करने वाले कार्मिक रोज की तरह अपनी-अपनी साइटों पर पंहुचकर कार्य शुरू कर ही रहे थे कि अचानक ऐसा जलजला आया कि मिनटों में सबकुछ तबाह कर गया। सैकडों कार्मिक इस हादसे में हतातह तो हुए ही, पास के ही जंगलों में घास काटने गई दो महिलाएं भीं संभवत इसी जलजले की भेंट चढ गईं। मंजर इतना भयावह था कि तपोवन से लेकर चमोली तक नदी किनारे बसे लोग सुरक्षित स्थानांे की ओर कूच कर गए।
वर्ष 2013 में अलकनंदा ने अपना रौद्र रूप दिखाया था, तब लामबगड से लेकर गोविन्द घाट तक के पूरे क्षेत्र में तबाही मची थी। लेकिन इस बार नीती घाटी में ऋषि गंगा व धौली गंगा के रौद्र रूप ने नीती घाटी के रैणी व तपोवन क्षेत्र मे भारी तबाही मचाई है। सुबह सुभाॅई-भविष्य बदरी के सौरभ सिंह ने एक मैसेज वायरल किया कि रैणी चक सुभाई के जंगलो की ओर से अजीब से धुॅआ उठता दिख रहा है, इस मैसेज की तह तक जाने के लिए संपर्क कर ही रह थे कि तभी तपोवन के पूर्व प्रधान परमांनद पंत का फोन आ गया कि यहाॅ सब कुछ तबाह हो गया है। बैराज साइट नेस्तनाबुत हो गया है और सैकडो मजदूर बह गए है। खबर मिलते ही तपोवन पंहुचे और मंजर वाकई हैरान करने वाला था। तपोवन व रैणी के लेागो को जलजले की आवाज पहले तो ऐसी लगी जैसे सेना का एमआई 17 व राफेल ही उडान भर रहा हो। लेकिन जब लोगो ने नदी किनारो से आवाजे सुनी तब जलजले की खौफनाक तस्वीर सामने दिखी।
520मेगावाट की तपोवन-विष्णुगाड जल विद्युत परियोजना जिसके वैराज साइट का काम लगभग पूर्णता की ओर था पूरा वैराज मलबे मे तब्दील हो गया था। कार्य इतनी द्रुत गति से चल रहा था कि रविबार को भी पूरे मजदूर अपनी-अपनी साइटो पर पंहुचे थे। कुछ वैराज पर काम कर रहे थे तो कुछ मजदूर इंजीनियरों के साथ टनल के अंदर कार्य मे जुटे थे। लेकिन पलभर मे जलजले ने सब कुछ तबाह कर डाला। एक अनुमान के अनुसार वैराज साइट पर करीब 171मजदूर व कार्मिक कार्य पर मौजूद थे जिनके लापता होने का अंदेशा लगया जा रहा है। जबकि ऋषि गंगा के पावर हाउस साइट व टनल मे भी करीब 60से 70लोग कार्य कर रहे थे जिनमे से 40के लापता होने की सूचना है।
विश्व प्रसिद्ध चिपको आंदेालन की धरती रैणी के शीर्ष पर नंदा देवी पर्वत श्रृंखला की तलहटी से ग्लेशियर फटने के बाद आए इस जलजले ने रैणी मे नीती घाटी को जोडने वाला एक मात्र मोटर पुल को तो तबाह किया ही ,अपितु धौली गंगा के उस ओर टापू पर बने पौराणिक काली मंदिर को भी अपने आगोस मे समा डाला। तपोवन से लेकर रैणी तक का भयावह मंजर हैरत करने वाला बना हुआ है। जलजले का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि तपोवन से 15किमी0 दूर जोशीमठ के विष्णुप्रयाग का पैदल पुल भी इसमे समा गया। बदरीनाथ रोड पर कार्य कर रहे मजदूर भी जान बचाने के लिए हाथी पहाड पर चढते देखे गए।
स्थिति की भयावहता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि विना देर किए सेना और आईटीबीपी ने मोर्चा संभाल लिया। धटना की सूचना के तुरंत बाद एसडीएम कुमकुम जोशी पूरे प्रशाासनिक व पुलिस अमले के साथ तो मौके पर पहंुची ही, सेना की गढवाल स्काउटस बटालियन के कमांडिग आफीसर कर्नल डीएस नेगी व सेना पुलिस के कमान अधिकारी कर्नल ग्र्रेवाल ने मौके पर पंहुचकर वस्तुस्थिति का जायजा लिया और तत्काल सेना के जवानो व डोजरो के साथ पुन मौके पर पंहुचकर राहत व बचाव कार्य शुरू किया। आईटीबीपी,एनडीआरएफ व एसडीआरएफ भी मौके पर पंहुचकर मलबे से शवो की तलाश मे जुटी है।
सूबे के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत ने भी तत्काल घटना स्थल पर पंहुचकर तपोवन वैराज साइट व रैणी साइट का स्थलीय निरीक्षण करते हुए सेना, आईटीबीपी, एनडीआरएफ व एसडीआरएफ को राहत व बचाव कार्यो को तेज करने के निर्देश दिए। उन्होने सडक संपर्क से कट चुके गाॅवों के ग्रामीणों को भी भरोसा दिलाते हुए कहा कि जल्द से जल्द उनके संडक संपर्क के दुरस्त किया जाऐगा। मुख्य मंत्री ने आपदा की इस घडी मे सभी से धैर्य से काम लेने का आग्रह किया। गढवाल सांसद तीरथ सिंह रावत ने तपोवन व रैणी की धटना पर दुख ब्यक्त करते हुए कहा कि इस घटना मे स्थानीय लोगो का बहुत नुकसान हुआ है।साथ ही हाइड्रो पावर प्रोजेक्टो को भी भारी नुकसान हुआ है। उन्होने कहा कि केन्द्र व राज्य सरकार घटना पर लगातार नजर बनाए हुए है। सांसद ने इस आपदा मे प्रभावित हुए लोगो के परिवारो के प्रति संवेदनाएं ब्यक्त की है। बदरीनाथ के विधायक महेन्द्र भटट ने धटना पर दुख जताते हुए सभी एंजेंसियों से आपदा व राहत कार्यो को यथाशीध पूरा करने का आग्रह किया है। आम आदमी पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष विनोद कपरूवाण ने भी तपोवन व रैणी पंहुचकर घटना का जायता लेते हुए प्रभावित परिवारों ढांढस बधाॅया।
इस जलजले के बाद नीती घाटी के रैणी, लाता, सुराईथोटा, तोलमा, फागती, भलगाॅव,सूखी, जुगजू,जुवाग्वाड के साथ ही तपोवन के ठीक सामने भंग्यूल ग्राम का सपंर्क टूट गया है।
नदंा देवी की तलहटी से निकले इस जलजले ने एक बार फिर पर्यावरणविदों व ग्लेशियर पर अध्ययन करने वालो के लिए एक नया अवसर दे दिया है। साथ ही अलकनंदा व धौली गंगा पर बाॅध आधारित परियोजनाओ के भविष्य पर भी इस जलजले ने प्रश्नचिन्ह खडा कर ही दिया है। हताहतों के बारे में अनुमान से कहा जा रहा है, इसकी अभी आधिकारिक पुष्टि होनी बाकी है।