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01- लाता गाॅव के सैकडों लोगों को जीवनदान देने वाले पंडित जयकृष्ण जोशी।
02-रैणी मे काली मंदिर को जोडने वाला पैदल पुल जो अब जलजले मे समा गया।
प्रकाश कपरूवाण
जोशीमठ। सैकडो जिंदगियों को जलजले से जीवनदान दिलाने वाले कुल पुरोहित जयकृष्ण जोशी का शुक्रिया अदा कर रहे हंै लाता व रैणी गाॅवों के ग्रामीण। ऋषिगंगा व धौली के संगम रैणी मंे होना था अनुष्ठान, कुल पुरोहित ने टाल दिया था कार्यक्रम।
जिस दिन याने सात फरवरी को जब ऋषिगंगा में भीषण जलजला आया उसी दिन प्रातः तय समयानुसार लाता गाॅव के बुटोला परिवार की एक बृद्ध महिला जिसका स्वर्गवास कुछ दिनांे पूर्व ही हुआ था, उनकी धार्मिक क्रिया के तहत ’’धर्मजात्रा’’-यात्रा होनी थी, और इस जात्रा मे लाता गाॅव के करीब 70 परिवारों के सदस्यों के साथ नाते-रिश्तेदार व ध्यांणियों को भी मौजूद रहना था। लेकिन अचानक एक दिन पूर्व शनिवार को कुल पुरोहित जयकृष्ण जोशी ने यजमान बुटोला बंधु को सूचना देते हुए कहा कि रविवार को धर्मजात्रा नहीं हो सकेगी, यह शास्त्र सम्मत नहीं है। अब यह धर्मजात्रा सोमवार को ही करेंगे, इस पर बुटोला परिवार को लोगो ने कुल पुरोहित से अपनी नाराजगी भी ब्यक्त की और सभी तैयारियों का हवाला देते हुए रविवार को ही धर्मजात्रा का कार्यक्रम संपन्न कराने का आग्रह किया, लेकिन कुल पुरेाहित पंडित जोशी ने स्पष्ट इंकार करते हुए कहा कि शास्त्र व लग्न के अनुसार किसी भी दशा मे रविवार को धर्मजात्रा नहीं हो सकेगी। और रविबार सायं को लाता पंहुचने का आश्वासन दिया ताकि अगले दिन सोमवार को धर्मजात्रा का आयेाजन हो सके।
लाता, रैणी व नीती घाटी के अनेक गाॅवों मे मृतक हुए लोगो की धर्मजात्रा का कार्यक्रम रैणी काली मंदिर के नीचे धौली व ऋषिगंगा के संगम पर ही होता है जो उस जलजल के बाद पूरी तरह समाप्त हो गया है। उस स्थान पर अब ना काली मंदिर रह गया है और ना ही पैदल पुल व संगम। रविबार को आयेाजित होने वाली धर्मजात्रा का समय भी सुबह का ही था और दोपहर मे उसी स्थान पर भोज का कार्यक्रम भी होना था,यदि उस दिन धर्मजात्रा के लिए कुलपुरोहित हामी भर लेते तो निश्चित ही सैकडो लोग इस जलजले का कोपभाजन बन जाते।
बुटोला परिवार के कुल पुरोहित पंडित जयकृष्ण जोशी कहते है कि उन्होने पंचाग गणना व शास्त्रानुसार ही रविबार के दिन को धर्मजात्रा के लिए बर्जित कहा था, हाॅलाकि उस दिन यजमान परिवार द्वारा नाराजगी भी ब्यक्त की गई, लेकिन उनके स्पष्ट इंकार किए जाने से सैकडो लोगो के साथ ही उनकी भी जान बच गई।
सात फरवरी के भीषण जलजले के बाद अब लाता गाॅव के साथ ही बुटोला परिवार के अन्य नाते-रिश्तेदार भी कुल पुरोहित का शुक्रिया अदा करते हुए कह रहे है कि उनके द्वारा तय दिन व समय टालने से सैकडो लोगो को नई जिंन्दगी मिल गई। लाता गाॅव निवासी व वर्तमान मे चमोली के सीएमओ डा0जीएस राणा कहते है कि धर्मजात्रा को आयेाजन ऋषि गंगा व धौली गंगा के पवित्र संगम पर ही होता है और इस कार्यक्रम मे सैकडो लोगो की मौजूदगी निश्चित थी।
7फरवरी2021 ज्योतिष गणना के अनुसार इस दिन लग्नेश नीच का होकर ग्याहरवें भाव मे था जो विशेषकर जन हानि का कारक होता है, इस अवधि मे धर्मयात्रा अथवा धार्मिक कार्यो का किया जाना वर्जित ही माना गया है। —– आचार्य रामदयाल मैदुली
सिद्धान्त ज्योतिषाचार्य।
वास्तव मे जिस स्थान पर उस दिन धर्मजात्रा का कार्यक्रम होना था वह ऋषिगंगा और धौली गंगा का संगम स्थान है और संकरी घाटी है, ऐसे मे ऋषि गंगा से आ रहे जलजले का आभास भी नही होता और अनहोनी हो जाती। क्योेंकि ऋषि गंगा से आए जलजले नेे न केवल काफी ऊॅचाई पर बने पौराणिक काली मंदिर व मंदिर को जोडने वाले पुल को भी अपने आगोस मे समा डाला ब्लकि इसका मलबा धैाली गंगा मे ऊपर लाता की ओर भी काफी दूर तक गया, ऐसी स्थिति मे यदि उस दिन धर्मजात्रा होती तो लोग कैसे सुरक्षित रह सकते थे! लाता गाॅव के निवासी जीवन बचाने के लिए कुल पुरोहित के आर्शीबाद के साथ ही माता लाता नंदा भगवती का भी चमत्कार मान रहे है।