डोईवाला (प्रियांशु सक्सेना)। जौलीग्रांट में आयोजित श्रीमद्भागवत महापुराण कथा के छठे दिन रुक्मणि मंगल का प्रसंग सुनाया गया। गौड़ीय मठ थानों के त्रिदण्डी स्वामी भक्ति प्रसाद त्रिविक्रम महाराज ने कथा का वाचन करते हुए भगवान श्री कृष्ण और रुक्मणि के मंगल विवाह की कथा को विस्तार से प्रस्तुत किया। महाराज ने कहा कि रुक्मणि का विवाह भगवान श्री कृष्ण से होना उनकी भक्ति, समर्पण और भगवान के प्रति अडिग विश्वास का प्रतीक है। रुक्मणि ने भगवान श्री कृष्ण से विवाह की अभिलाषा की और कृष्ण ने उनका समर्पण स्वीकार करते हुए उनका हर कष्ट दूर किया। इस कथा के माध्यम से श्रद्धालुओं को भगवान की कृपा और उनके आदर्शों को अपनाने की प्रेरणा मिली। उन्होंने यह भी कहा कि यह विवाह केवल एक दैहिक संबंध नहीं, बल्कि एक साक्षात ईश्वर के साथ आत्मिक संबंध और सच्चे प्रेम का प्रतीक है। उन्होंने उपस्थित श्रद्धालुओं से आग्रह किया कि वे रुक्मणि के भव्य विवाह से प्रेरणा लेकर अपने जीवन में भी भगवान की भक्ति और प्रेम को आत्मसात करें। कथा के दौरान श्रद्धालुओं ने भगवान श्री कृष्ण की भक्ति में लीन होकर रुक्मणि के मंगल विवाह के विभिन्न प्रसंगों का आनंद लिया और दिव्य अनुभव किया। मौके पर राकेश जोशी, सतीश जोशी, सुशील जोशी, प्रमोद, सुधीर, अनुज, मीना आदि मौजूद रहे।












