डॉ० स्मिता पुरी तिवारी ने
मसूर की नई किस्म जेएल 6-3 की विकसित।
कमल बिष्ट/उत्तराखंड समाचार।
गढ़वाल। लोवर कालाबढ़ कोटद्वार की मूल निवासी डॉ० स्मिता पुरी तिवारी ने कृषि क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा कर पूरे क्षेत्र का नाम रोशन किया है। दरअसल डॉ० स्मिता तिवारी जो कि जवाहर लाल कृषि विश्व विद्यालय, जबलपुर के जिला सागर स्थित रिसर्च सेंटर में वैज्ञानिक पद पर कार्यरत हैं, ने मसूर की एक नई किस्म जेएल 6-3 (JL6-3) विकसित की है जो कि मध्य भारत के मसूर उगाने वाले कृषकों को कई समस्याओं से निजात तो दिलाती ही है परन्तु उत्पादन भी रिकॉर्ड तोड़ देती है। केंद्र सरकार ने अपने नए गैजेट (13 मई 25) में इस वैरायटी जेएल 6-3 (JL6-3) को रिलीज किया गया है। ज्ञात रहे कि भारत को खाने में प्रोटीन की कमी के लिए विश्व पटल पर भी विश्व खाद्य संगठन द्वारा निरंतर याद दिलाया जाता है, कि ऐसे में दालों की अच्छी वैरायटी की देश में सख्त जरूरत है। इसी दिशा में कार्य करते हुए डॉ० स्मिता को यह बड़ी सफलता मिली है।
स्मिता के पिता पूरन चंद पुरी जो कि एक व्यवसायी एवं समाजसेवी हैं, उन्होंने ने अपनी बेटी की इस सफलता पर बड़ी प्रसन्नता व्यक्त की है। डॉ० स्मिता की प्रारंभिक शिक्षा कोटद्वार से एवं उच्च शिक्षा पंतनगर यूनिवर्सिटी से हुई है। डॉ० स्मिता अपनी इस सफलता का श्रेय अपने परिवार, माता पिता एवं गुरुजनों को देती हैं।