प्रकाश कपरूवाण:
जोशीमठ,17 अगस्त
अपने देश की सीमाओं के दर्शन के लिए परमिट ब्यवस्था का सरलीकरण हो तो सीमाओं तक पहुंचने के इच्छुक पर्यटकों की संख्या मे आशातीत बृद्धि होगी,और राज्य का पर्यटन ब्यवसाय भी तेजी से बढ़ेगा। गत 16 अगस्त को गढ़वाल सांसद एवं पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के नेतृत्व मे श्री बद्रीनाथ से देवताल-माणा पास तक न केवल सीमा दर्शन यात्रा का आयोजन हुआ बल्कि भारत-चीन सीमा पर तिरंगा यात्रा भी निकाली गई।
उत्तराखंड मे यूँ तो 6 स्थानों से भारत-चीन सीमा के दर्शन की आवाजाही की जा सकती है लेकिन वर्तमान समय मे देवताल”माना पास” व रिमखिम”बाड़ाहोती”तक वाहनों की आवाजाही सुगम होने के बाद देशभर के प्रकृति प्रेमी पर्यटक सीमा दर्शन व सीमा से लगे मंदिरों,तालों व झीलों के दर्शनों की इच्छाएं तो रखते है किन्तु कठिन परमिट ब्यवस्था के चलते पर्यटक चाहते हुए भी अपनी देश की सीमाओं के दर्शनों से वंचित रह जाते हैं।
हालांकि बीते दिनों सीमान्त जनपद चमोली के देवताल व बड़ाहोती स्थित पार्वती कुंड तक की यात्राएं शुरू कराने के साथ कैलाश मानसरोवर का मार्ग इन दर्रो से भी कराए जाने हेतु मुख्यमंत्री व केंद्रीय मंत्रियों से भी आग्रह किया गया। श्री बद्रीनाथ के धर्माधिकारी आचार्य भुवन चन्द्र उनियाल एवं बद्री-केदार मंदिर समिति के उपाध्यक्ष किशोर पंवार ने बद्रीनाथ पहुंचे थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पाण्डे एवं मध्य कमान के जीओसी ले0जनरल योगेन्द्र डिमरी से भेँट कर दोनों सीमाओं तक आवाजाही के लिए परमिट ब्यवस्था का सरलीकरण किए जाने का आग्रह किया। जिस पर सेना की ओर से सकारात्मक पहल भी हुई।
इस वर्ष सीमा दर्शन यात्राएं न केवल माना पास बल्कि बड़ाहोती तक भी सेना व अर्धसैनिक बलों की देखरेख में संचालित हो रही है। जिसमें सीमा से सटे गांवो व कस्बों के नागरिकों को प्राथमिकता दी जा रही है। यदि बद्रीनाथ-माणा व नीती घाटी से सटी सीमाओं के दर्शनों की अनुमति देशभर के प्रकृति प्रेमी पर्यटकों के लिए भी मिलती है तो निश्चित ही उत्तराखंड को इसका लाभ मिलेगा।
माना पास देवताल व बड़ाहोती की यात्राएं इसलिए भी सुगम हो सकती है कि बीआरओ द्वारा दोनों दर्रों तक बनी सड़क का डामरीकरण भी कर लिया है।
पूर्व मुख्यमंत्री व गढ़वाल सांसद तीरथ सिंह रावत का माना पास-देवताल तक की सीमा दर्शन यात्रा को भी भविष्य मे यात्रा को आम पर्यटकों व तीर्थ यात्रियों के लिए भी खोले जाने की संभावना के रूप मे देखा जा रहा है।
माना पास-देवताल के रूप मे उत्तराखंड के पर्यटन ब्यवसाय को बढ़ाने का एक बेहतरीन अवसर है,क्योंकि श्री बद्रीनाथ धाम आने वाले तीर्थ यात्री देश के अंतिम गावँ माणा,भीमपुल,ब्यास गुफा,तक तो पहुंचते ही है, यदि उन्हें बद्रीनाथ से ही सीमा दर्शन की अनुमति मिलती है तो वे अपने वाहनों से ही कुल 52 किमी का सफर तय कर देवताल पहुंच सकते हैं।
यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि पूर्व कैबनेट मंत्री मोहन सिंह रावत”गांववासी”ने ही सीमा दर्शन यात्राओं का बीड़ा उठाया है। वे प्रतिवर्ष 50 से 60 सदस्यों के साथ सीमा दर्शन यात्रा का नेतृत्व करते है।
वास्तव मे बद्रीनाथ-माणा से माणा पास-देवताल तक का 52 किमी सड़क मार्ग व कई रमणीक स्थल बेहद खूबसूरत है,बद्रीनाथ दस हजार फीट से देवताल-माणा पास 18 हजार फीट की ऊंचाई तक पहुंचने का आनन्द हर कोई प्रकृति प्रेमी पर्यटक उठाना चाहेगा,बस जरूरत है परमिट ब्यवस्था के सरलीकरण की। यदि सीमाओं के दर्शन के साथ देवताल-माणा पास एवं पार्वती कुण्ड बड़ाहोती तक की यात्राओं के संचालन को मूर्तरूप दिया जाता है तो निश्चित ही उत्तराखंड के पर्यटन ब्यवसाय मे आशातीत बृद्धि होगी और राज्य मे स्वरोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।