ज्योतिर्मठ।
सरस्वती शिशु मंदिर ज्योतिर्मठ मे शिशु बाटिका की बारह ब्यवस्थाओं के माध्यम से नौनिहालों को ब्यवहारिक ज्ञान दिए जाने का अभिनव प्रयोग किया गया, प्रान्त व संभाग स्तर के अधिकारियों ने शिशु नगरी भ्रमण कर नन्हें मुन्ने भैया बहिनों के उत्कृष्ट प्रदर्शन की सराहना की।
विद्या भारती द्वारा संचालित सरस्वती शिशु मंदिर मे ज्योतिर्मठ मे शिशु बाटिका की बारह ब्यवस्थाओं को शिशु नगरी मे प्रदर्शित किया गया, जिनमें आदर्श घर, वस्तु संग्राहलय, चित्र पुस्तकालय, कार्यशाला, कलाशाला, विज्ञान प्रयोग शाला, वस्तु प्रदर्शनी, तरण ताल, चिंडिया घर, उद्यान, रंगमंच व क्रीड़ागन का प्रदर्शन प्रमुख था।
उपनयन संस्कार क्या है और इसकी विधि क्या है? नन्हें बच्चों ने श्लोकोचारण के साथ बेहतरीन प्रदर्शन किया।
शिशु नगरी के माध्यम से शिशु कक्षा से पांचवी कक्षा तक बच्चों को आदर्श घर से लेकर चिंडिया घर तक को प्रदर्शित कर उन्हें किताबी ज्ञान के साथ ब्यवहारिक ज्ञान दिए जाने अभिनव प्रयोग किया गया।
बारह ब्यवस्थाओं के निरीक्षण के उपरांत सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज सभागार मे छात्र छात्राओं व अविभावकों को सम्बोधित करते हुए सह प्रान्त निरीक्षक विनोद सिंह रावत ने कहा कि विद्या भारती शिशु व विद्या मंदिरों के माध्यम से सँस्कारित शिक्षा तो देती है लेकिन नौनिहालों को अध्ययन के साथ ब्यवहारिक ज्ञान भी हो इसके लिए शिशु बाटिका के माध्यम से उनका ज्ञान बर्धन किया गया।
श्री रावत ने सरस्वती शिशु मंदिर ज्योतिर्मठ द्वारा शिशु नगरी के बेहतरीन प्रदर्शन पर खुशी जताते हुए सभी अविभावकों से समय समय पर विद्यालय के क्रियाकलापों से जुड़ने व सहयोग बनाए रखने का आवाहन किया।
शिशु नगरी भ्रमण/निरीक्षण के दौरान प्रान्त सह निरीक्षक श्री रावत के अलावा चमोली संभाग निरीक्षक मुरलीधर चंदोला, सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य शम्भू प्रसाद चमोला, सरस्वती शिशु मंदिर के प्रधानाचार्य बद्री सिंह नेगी, विद्यालय प्रबन्ध समिति के अध्यक्ष प्रदीप फरस्वाण सहित बड़ी संख्या मे अविभावक मौजूद रहे। इससे पूर्व अथितियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का विधिवत शुभारम्भ किया गया।
सरस्वती शिशु मंदिर के प्रधानाचार्य श्री नेगी ने सहयोग के लिए मातृ भारती एवं विद्यालय के आचार्यो का आभार ब्यक्त किया।