• About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact
Uttarakhand Samachar
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
Uttarakhand Samachar
No Result
View All Result

विश्व धरोहर दिवस’ श्रीमद् भगवद् गीता का वैश्विक प्रभाव

18/04/25
in उत्तराखंड, देहरादून
Reading Time: 1min read
27
SHARES
34
VIEWS
Share on FacebookShare on WhatsAppShare on Twitter

डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला
भगवद्गीता भारत के महान महाकाव्य महाभारत का एक छोटा अंग है। महाभारत प्राचीन भारत के इतिहास की एक गाथा है जिसमें मानव जीवन के महत्वपूर्ण पक्षों को बहुत ही विस्तार के साथ वर्णन किया गया है। महाभारत लगभग 110000 श्लोकों के साथ विश्व के महाकाव्य ग्रंथों इलियड और ओडिसी संयुक्त से सात गुना और बाइबल से तीन गुना बड़ा है। वास्तव में, यह कई गाथाओं का एक पूरा पुस्तकालय है। महाकाव्य की छठी पुस्तक में पांडवों और कौरवों के बीच महान लड़ाई से ठीक पहले की घटना भगवत गीता का कथानक है।भगवद गीता हिंदू धर्म की सबसे लोकप्रिय पुस्तकों में से एक है, जो विश्व भर के लाखों लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत है। मूलतः संस्कृत भाषा में लिखी गई गीता में 700 श्लोक हैं। कुरुक्षेत्र की रणभूमि में अर्जुन के सारथी बने भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें मोह में फंसता देख उनके कर्म और कर्तव्य से अवगत कराया और जीवन की वास्तविकता से उनका सामना करवाया उन्होंने अर्जुन की सभी शंकाओं को दूर किया उनके बीच हुआ यह संवाद ही श्रीमद्भगवद्गीता है। जो आज भी लोगों को सही-गलत में फर्क समझने एवं जीवन को ठीक तरीके से जीने का तरीका सिखाती है। पौराणिक मान्यताओं और विद्वानों की कालगणना के अनुसार भगवान कृष्ण ने गीता 5160 वर्ष पूर्व मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष एकादशी के दिन अर्जुन को गीत का ज्ञान दिया था।दुनिया की महान विभूतियों द्वारा प्रायः गीता का उल्लेख किया जाता है। इन महान हस्तियों का मानना है कि गीता के माध्यम उन्हें अपने जीवन में मार्गदर्शन मिलता है। भगवद गीता ने अनगिनत लोगों को प्रेरणा दी है और उनके जीवन को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसी प्रेरणा का परिणाम है कि भगवद गीता को 80 भाषाओं में अनुवाद किया जा चुका है।सामान्यतया गीता को जीवन जीने मार्ग दिखाने की सीख देने वाले धार्मिक ग्रंथ के रूप में जाना जाता है। किन्तु वह अब केवल धार्मिक ग्रंथ के रूप में ही नहीं देखी जाती है, बल्कि वह कई मंचों पर दर्शनशास्त्र और उच्च प्रबंधन का हिस्सा बन गई है। भगवद गीता की लोकप्रियता का परिणाम है कि वह भारत की सीमाओं से परे अपनी लोकप्रियता के झंडे गाड़ चुकी है, वह विश्व के सभी प्रमुख देशों में लोकप्रिय है। भगवद गीता ने दुनिया के कई महान और प्रसिद्ध लोगों को न केवल प्रभावित किया है बल्कि उनके जीवन को भी पूरी तरह से बदल दिया। जीवन एक अनसुलझी पहेली की तरह है, जिसमें कभी संघर्ष के बादल घिरते हैं तो कभी सफलता की रोशनी जगमगाती है। ऐसे में, मनुष्य को सही मार्गदर्शन और आत्मिक शांति की आवश्यकता होती है। यही मार्गदर्शन हमें श्रीमद्भगवद्गीता में मिलता है। गीता केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला का सार है। इसके श्लोक न केवल आध्यात्मिक रूप से समृद्ध करते हैं, बल्कि हमें कर्म, धर्म, और कर्तव्य का वास्तविक अर्थ भी सिखाते हैं। भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत के युद्ध के दौरान अर्जुन को जो दिव्य उपदेश दिए, वे आज भी हर परिस्थिति में हमारा मार्गदर्शन करते हैं। चाहे मन में संशय हो, भय हो या कोई कठिन निर्णय लेना हो – गीता के उपदेश हमें आत्मबल और जीवन का सही दृष्टिकोण देते हैं गीता और नाट्यशास्त्र को यूनेस्को के विश्व स्मृति रजिस्टर में शामिल किया जाना हमारे शाश्वत ज्ञान और समृद्ध संस्कृति की वैश्विक मान्यता है। गीता और नाट्यशास्त्र ने सदियों से सभ्यता और चेतना को पोषित किया है। उनकी अंतर्दृष्टि दुनिया को प्रेरित करती रहती है।’ भारत की 14 अमूल्य कृतियां अब इस अंतरराष्ट्रीय सूची का हिस्सा बन चुकी हैं. यूनेस्को के अनुसार, 72 देशों और चार अंतरराष्ट्रीय संगठनों की वैज्ञानिक क्रांति, इतिहास में महिलाओं के योगदान और बहुपक्षवाद की प्रमुख उपलब्धियों पर प्रविष्टियां रजिस्टर में शामिल की गईं। यूनेस्को का मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर एक अंतरराष्ट्रीय सूची है जिसमें दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण और मूल्यवान दस्तावेज़ी धरोहरों को शामिल किया जाता है। इसका उद्देश्य है इन सांस्कृतिक विरासतों का संरक्षण और उनके महत्व को दुनिया भर में फैलाना। वैश्विक धरोहरों के संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने और आने वाली पीढ़ियों के लिए इन्हें संरक्षित रखने का आह्वान करने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 18 अप्रैल को ‘विश्व धरोहर दिवस’ मनाया जाता है। दुनिया भर के लोग विश्व धरोहर दिवस मनाने के लिए एक साथ आते हैं, यह दिन हमारे ग्रह को समृद्ध करने वाले सांस्कृतिक और प्राकृतिक खजानों को पहचानने और उनकी सराहना करने के लिए समर्पित है। यूनेस्को (संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन) द्वारा स्थापित यह दिन भविष्य की पीढ़ियों के लिए इन अमूल्य स्थलों को संरक्षित करने के महत्व की याद दिलाता है। श्रीमद्भगवद्गीता ना केवल एक धार्मिक ग्रंथ है, बल्कि ये जीवन के गूढ़ दर्शन, कर्म योग, भक्ति और ज्ञान मार्ग का अद्भुत संगम है. वहीं, भरत मुनि का नाट्यशास्त्र विश्व का सबसे प्राचीन और वैज्ञानिक नाट्य ग्रंथ है, जो रंगमंच, नृत्य और अभिनय की बारीकियों को अद्भुत शैली में प्रस्तुत करता है. इन दोनों ग्रंथों की वैश्विक मान्यता ये सिद्ध करती है कि भारत की परंपरा केवल आध्यात्मिक ही नहीं, बल्कि बौद्धिक और कलात्मक दृष्टि से भी अद्वितीय है. अल्बर्ट आइंसटीन जर्मनी में जन्मे भौतिक विज्ञानी थे, जिन्होंने सापेक्षता का सिद्धांत प्रतिपादित किया। इसके अलावा आम लोगों के बीच, उनके द्वारा दिया गया द्रव्य ऊर्जा संबंध का सिद्धांत लोकप्रिय है। इसी के अंतर्गत उन्होंने ऊर्जा= द्रव्यमानxप्रकाश का वेग2 का प्रसिद्ध सूत्र दिया। उन्हें भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में किए गए उल्लेखनीय कार्य और फोटो इलेक्ट्रिक प्रभाव को प्रतिपादित करने के लिए 1921 का नोबेल पुरस्कार दिया गया। जिसकी कारण भौतिक विज्ञान के क्वांटम का सिद्धांत को स्थापित करने में सहायता मिली।आइंसटीन भगवद गीता के माध्यम से भगवान श्रीकृष्ण द्वारा दिए गए उपदेशों से बहुत प्रभावित थे। उन्होंने कहा कि “ जब मैंने भगवद गीता को पढ़ा तो मुझे पता चला कि ईश्वर ने कैसे दुनिया को बनाया है और मुझे यह अनुभव हुआ कि प्रकृति ने हर वस्तु कितनी प्रचुरता में प्रदान की है।” हम इसकी कल्पना नहीं कर सकते कि भगवद गीता ने मुझे कठिन परिश्रम करने के लिए कितना प्रेरित किया है। मैं आप सब से कहना चाहता हूं कि गीता को जरूर पढ़े और आप खुद देखेंगे कि उसने आपके जीवन को कितना प्रभावित किया है। रॉल्फ अमेरिका के निबंधकार, प्रवक्ता, कवि और दार्शनिक थे, जिन्होंने ट्रांसेडेंटलिस्ट आंदोलन की 19 वी शताब्दी के मध्य में अगुवाई की थी। वह व्यक्तिवाद के अग्रणी दार्शनिकों में से एक थे। उनके दर्जनों निबंध और 1500 से ज्यादा व्याख्यान अमेरिका में प्रकाशित हुए। वह धीरे-धीरे अपने सहयोगियों की धार्मिक और सामाजिक मान्यताओं से दूर होते गए। और अपने अनुभवों के आधार पर ट्रांसेडेंटलिज्म का दर्शन शास्त्र “नेचर” को लोगों को सामने रखा। उसके बाद उन्होंने अपने कामों के ऊपर “द अमेरिकन स्कॉलर” नाम से भाषण भी दिया। जिसे बाद में वेडल होल्म्स सीनियर ने अमेरका की “स्वतंत्रता का बुद्धिजीवियों का घोषणा पत्र” कहा। इसी दौरान उनका फ्रांसीसी दार्शनिक विक्टर कजिन के जरिए भारतीय दर्शन से साक्षात्कार हुआ। उन्होंने गीता के बारे में लिखा “मैंने भगवद गीता के साथ बेहतरीन दिन बताया। जैसे लग रहा था कि कोई साम्राज्य हमसे बात कर रहा है, उसमें कुछ भी छोटा और अनुपयोगी नहीं है। सबको कुछ वृहद, निर्मल, टिकाऊ, पुराने दौर का ज्ञान और माहौल है, वह उन्हीं सवालों के जवाब देती हैं, जिनका आज हम अभ्यास करते हैं ” न्नीसवीं सदी के मशहूर दर्शनशास्त्री और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता अल्बर्ट श्विट्ज़र मानते थे – ‘श्रीमद भगवद् गीता मनुष्य के जीवन पर बहुत गहरा असर डालती है। यह कर्मों के माध्यम से ईश्वर प्राप्ति का संदेश देती है।’स्विस मनोवैज्ञानिक कार्ल जुंग को विश्लेषणात्मक मनोविज्ञान के लिए जाना जाता है। वे न सिर्फ मनोविज्ञान बल्कि दर्शन, साहित्य और धार्मिक अध्ययन में भी विशेषज्ञता रखते थे। उनका मानना था कि “मनुष्य को उल्टे वृक्ष के रूप में प्रदर्शन की अवधारणा बहुत पहले से ही मौजूद थी, जिसे बाद में सामने लाया गया। अपने वक्तव्यों में कही गई प्लेटो की वह बात कि “मनुष्य सांसारिक नहीं बल्कि स्वर्गीय पौधा है, जो ब्रह्माण्ड से सिंचित होता है। यह वैदिक अवधारणा है और गीता के 15वें अध्याय में इसे स्पष्ट तौर पर कहा गया है।“उन्नीसवीं सदी के ही मशहूर अंग्रेजी साहित्यकार आल्डस हक्सले ने कहा था – “मनुष्य में मानव मूल्यों की समझ पैदा करने के लिए गीता सर्वाधिक व्यवस्थित ग्रंथ है। शाश्वत दर्शन के विषय में यह अब तक की सबसे स्पष्ट और व्यापक प्रस्तुति है। यह सिर्फ भारत के लिए नहीं है बल्कि इसका जुड़ाव पूरी मानवता से है।’’उन्नीसवीं सदी के विख्यात अमेरिकी निबंधकार और साहित्यिक हस्ती इमर्सन के जीवन पर गीता का बड़ा प्रभाव था। उनका मानना था, “श्रीमद भगवद् गीता के साथ मेरा दिन शानदार बीता। यह अपने तरह की पहली पुस्तक है। यह किसी और समय और परिस्थितियों में लिखी गई, लेकिन यह हमारे आज के सवालों और समस्याओं के भी जवाब पूरी स्पष्टता के साथ देती है।“ऑस्ट्रियाई दार्शनिक और साहित्यकार रुडॉल्फ स्टीनर के जीवन को गीता ने व्यापक रूप से प्रभावित किया था। उनका मानना था कि भगवद् गीता जैसी अप्रतिम रचना को समझने के लिए बस हमें स्वयं को उसके साथ लय बिठाने की जरूरत है।’मशहूर अमेरिकी दार्शनिक और साहित्यकार हेनरी डेविड थोरो पर गीता का प्रभाव उनके साहित्य और सामाजिक कार्यों में परिलक्षित होता है। वे कहते थे कि “प्राचीन भारत की सभी स्मरणीय वस्तुओं में गीता से श्रेष्ठ कोई भी दूसरी वस्तु नहीं है। गीता में वर्णित ज्ञान ऐसा उत्तम व सर्वकालिक है, जिसकी उपयोगिता कभी भी कम नहीं हो सकती।”भारतीय मनीषियों के अलावा कई विदेशी विद्वानों ने भी गीता के महत्व को समझा और अपने जीवन में इसके सिद्धांतों को लागू किया। यह महान पवित्र ग्रंथ गीता का ही असर था कि ईसाई मत मानने वाले कनाडा के प्रधानमंत्री मिस्टर जस्टिन ट्रूडो गीता पढ़कर भारत आये। उन्होंने कहा था कि जीवन की शाम हो जाए और देह को दफनाया जाए, उससे पहले अज्ञानता को दफनाना जरूरी है।
बीबीसी ने समकालीन इतिहास पर अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि रॉबर्ट ओपेनहाइमर ने परमाणु बम विकसित करने में अग्रणी भूमिका निभाई थी, जिसने द्वितीय विश्व युद्ध की दिशा बदल दी थी। ओपेनहाइमर ने संस्कृत भाषा सीखी और श्रीमद् भगवद गीता को अपनी पसंदीदा पुस्तकों में से एक माना। जब द क्रिश्चियन सेंचुरी के संपादकों ने उनसे पूछा कि वे कौन सी किताबें हैं, जिन्होंने उनके दार्शनिक दृष्टिकोण को सबसे ज्यादा प्रभावित किया, तो चार्ल्स बौडेलेयर की पुस्तक “लेस फ्लेर्स डू माल” को पहला और “श्री भगवद गीता’’ को दूसरा स्थान मिला।सैद्धांतिक भौतिक विज्ञानी ओपेनहाइमर को बर्कले में संस्कृत के प्रोफेसर आर्थर डब्ल्यू राइडर ने संस्कृत से परिचित कराया था। उसके बाद उन्हें गीता से परिचित कराया गया था। जुलाई 1945 में न्यू मैक्सिको के रेगिस्तान में पहले परमाणु बम के विस्फोट से दो दिन पहले रॉबर्ट ओपेनहाइमर ने  गीता  का एक श्लोक सुनाया। इतिहास बदलने वाली घटना से कुछ घंटे पहले, “परमाणु बम के जनक” ने संस्कृत से अनुवादित एक श्लोक को पढ़कर अपना तनाव दूर किया, जिसका हिंदी अनुवाद इस प्रकार है –
“युद्ध में, जंगल में,
पहाड़ों की चोटी पर
अन्धकारमय महान सागर पर,
भालों और बाणों के बीच,
नींद में, उलझन में,
शर्म की गहराई में,
मनुष्य द्वारा पहले किये गए अच्छे कर्म ही उसकी रक्षा करते हैं।“
श्रीमद् भगवद् गीता ने पश्चिम की दुनिया को गहरा प्रभावित किया है। गीता दर्शन को जानने के बाद पश्चिम के विद्वानों ने गीता के जीवन दर्शन को अपनाने के लिए अपनी बौद्धिक ऊर्जा लगा दी। दरअसल वे किसी वैज्ञानिक उपलब्धि की खोज में नहीं थे। वे इससे भी आगे विकारों से रहित मानव मन और आत्मिक शांति की खोज में थे। इसका समाधान उन्होंने श्रीमद् भगवद् गीता में पाया। इन विद्वानों में दार्शनिक इमैन्युअल कांड (1724-1804), हर्डर (1744-1805) फिटश (1762-1814), हीगल (1770-1831), श्लेगल (1772-1829) शिलर (1759-1805) और गोएथे (1749-1832) प्रमुख हैं।फ्रेडरिक वान श्लेगल ने गीता का अनुवाद किया। जर्मन के अग्रणी विद्वान बेरन विल्हेल्म ने 1821 में संस्कृत का अध्ययन शुरू किया। गीता पढ़ने के बाद उन्होंने भगवान का आभार माना कि उन्हें लंबा जीवन दिया, ताकि वे सर्वाधिक प्रेरणादायी पुस्तक को आत्मसात कर पाए। उन्होंने 1825 में अकादमी ऑफ सिएंस के समक्ष गीता पर अपना प्रसिद्ध व्याख्यान दिया था।वर्ष 1820 में ओ फ्रेंक विद्वान ने गीता का पहला लैटिन अनुवाद प्रकाशित किया। इसके बाद 1822 में ए.डब्ल्यू. वान श्लेगल ने पहली बार लैटिन में सम्पूर्ण अनुवाद प्रकाशित किया। सर विलियम जोन्स (1756-1794) भारत में 10 साल रहे । वे पहले अंग्रेज अधिकारी थे, जिन्हें संस्कृत का सम्पूर्ण ज्ञान था। उन्होंने गीता, रामायण, महाभारत और संस्कृत के अन्य क्लासिकल साहित्य जैसे कालिदास का अभिज्ञान शाकुंतलम, ऋतुसंहार और जयदेव के “गीत गोविंदम्” से इंग्लैंड के लोगों को परिचित कराया। वे एशियाटिक सोसाइटी के पहले अध्यक्ष बने और चार्ल्स विलकिंस को संस्कृत पढ़ने बनारस भेजा। उन्होंने चार्ल्स विलकिंस द्वारा अनुवादित गीता – “भगवद गीता – डायलॉग ऑफ श्री कृष्णा एंड अर्जुन” का प्रकाशन कराया। इसकी भूमिका उन्होंने खुद लिखी थी। यह 1783 का वर्ष था।सर एडविन अर्नाल्ड ने 1885 में गीता का अनुवाद किया, जिसका शीर्षक था “द सॉन्ग सेलेशल”। इसी को पढ़कर महात्मा गांधी ने गीता के महत्व को समझा। पश्चिम के कई महान कवि लेखक भगवद् गीता से प्रेरित हुए हैं। इनमें एस टी कोलरिज, पी.बी. शैली, थॉमस कार्लाइल, अमेरिकन कवि एमर्सन, रॉबर्ट ब्राउनिंग, अलफ्रेड टेनिसन, विलियम ब्लैक, टी एस इलियट और डब्ल्यू.बी. यीटस और भी बहुत कवि दार्शनिक हैं, जिनकी एक लंबी सूची है। डॉ. एस. राधाकृष्णन ने गीता की व्याख्या कर स्टालिन का मन बदल दिया था। विनोबा भावे ने कहा था “गीता प्रवचन मेरी जीवन की गाथा है और वही मेरा संदेश है।धर्मग्रंथ भारत के प्राचीन ज्ञान को दर्शाते हैं, जिन्होंने अनादि काल से मानवता को विश्व को बेहतर बनाने तथा जीवन को अधिक सुंदर बनाने का प्रकाश दिखाया है. उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत ने अपने सांस्कृतिक ज्ञान को वैश्विक कल्याण के केंद्र में स्थापित करने के लिए निरंतर प्रयास किए हैं. यह इन प्रयासों को एक बड़ी मान्यता है.। *लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं।लेखक वर्तमान में दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं।*

Share11SendTweet7
https://uttarakhandsamachar.com/wp-content/uploads/2025/10/yuva_UK-1.mp4
Previous Post

सरकार विश्वविद्यालयों के विकास के लिए पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध: धामी

Next Post

डोईवाला : स्कूली छात्रों को बाल विवाह रोकथाम की शपथ दिलाई

Related Posts

उत्तराखंड

पर्यटन स्थल हैं त्रिपुरा देवी मंदिर!

October 24, 2025
55
उत्तराखंड

चंपावत में खोला जाएगा कृषि विश्वविद्यालय : मुख्यमंत्री

October 24, 2025
8
उत्तराखंड

मुख्यमंत्री ने टनकपुर ( चंपावत) में भैया दूज (च्यूड़ा पूजन) समारोह में किया प्रतिभाग, महिलाओं ने किया पारंपरिक पूजन

October 24, 2025
8
उत्तराखंड

दून पुस्तकालय में बहे ऋत्विज पंत के शास्त्रीय गायन के रंग

October 24, 2025
7
उत्तराखंड

वार्षिक पत्रिका ‘प्रयास’ के 16वें संस्करण का हुआ विमोचन

October 24, 2025
8
उत्तराखंड

सरदार पटेल केवल भारत के लौह पुरुष नहीं, बल्कि एकता और अखंडता के प्रतीक थे – जिलाधिकारी

October 24, 2025
4

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Popular Stories

  • चार जिलों के जिलाधिकारी बदले गए

    67470 shares
    Share 26988 Tweet 16868
  • डोईवाला : पुलिस,पीएसी व आईआरबी के जवानों का आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण सम्पन्न

    45755 shares
    Share 18302 Tweet 11439
  • ऑपरेशन कामधेनु को सफल बनाये हेतु जनपद के अन्य विभागों से मांगा गया सहयोग

    38026 shares
    Share 15210 Tweet 9507
  •  ढहते घर, गिरती दीवारें, दिलों में खौफ… जोशीमठ ही नहीं

    37422 shares
    Share 14969 Tweet 9356
  • विकासखंड देवाल क्षेत्र की होनहार छात्रा ज्योति बिष्ट ने किया उत्तराखंड का नाम रोशन

    37293 shares
    Share 14917 Tweet 9323

Stay Connected

संपादक- शंकर सिंह भाटिया

पता- ग्राम एवं पोस्ट आफिस- नागल ज्वालापुर, डोईवाला, जनपद-देहरादून, पिन-248140

फ़ोन- 9837887384

ईमेल- shankar.bhatia25@gmail.com

 

Uttarakhand Samachar

उत्तराखंड समाचार डाॅट काम वेबसाइड 2015 से खासकर हिमालय क्षेत्र के समाचारों, सरोकारों को समर्पित एक समाचार पोर्टल है। इस पोर्टल के माध्यम से हम मध्य हिमालय क्षेत्र के गांवों, गाड़, गधेरों, शहरों, कस्बों और पर्यावरण की खबरों पर फोकस करते हैं। हमारी कोशिश है कि आपको इस वंचित क्षेत्र की छिपी हुई सूचनाएं पहुंचा सकें।
संपादक

Browse by Category

  • Bitcoin News
  • Education
  • अल्मोड़ा
  • अवर्गीकृत
  • उत्तरकाशी
  • उत्तराखंड
  • उधमसिंह नगर
  • ऋषिकेश
  • कालसी
  • केदारनाथ
  • कोटद्वार
  • क्राइम
  • खेल
  • चकराता
  • चमोली
  • चम्पावत
  • जॉब
  • जोशीमठ
  • जौनसार
  • टिहरी
  • डोईवाला
  • दुनिया
  • देहरादून
  • नैनीताल
  • पर्यटन
  • पिथौरागढ़
  • पौड़ी गढ़वाल
  • बद्रीनाथ
  • बागेश्वर
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • रुद्रप्रयाग
  • रुद्रप्रयाग
  • विकासनगर
  • वीडियो
  • संपादकीय
  • संस्कृति
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • साहिया
  • हरिद्वार
  • हेल्थ

Recent News

पर्यटन स्थल हैं त्रिपुरा देवी मंदिर!

October 24, 2025

चंपावत में खोला जाएगा कृषि विश्वविद्यालय : मुख्यमंत्री

October 24, 2025
  • About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.

No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.