फोटो- नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क का कार्यालय।
प्रकाश कपरूवाण
जोशीमठ। एनटीपीसी द्वारा निर्माणाधीन तपोवन-विष्णुगाड जल विद्युत परियोजना का अधिकांश क्षेत्र नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क वन प्रभाग के अधीन होने के वावजूद इस प्रभाग को कैैट प्लान हेतु हितभागी नही बनाए जाने से परियोजना प्रभावित क्षेत्रों मे विकास गतिविधियाॅ एकदम ठप सी हो गई है। इस परियोजना के कैट प्लान की धनराशि अन्य प्रभागो को आंवटित किया जाना किसी के गले नहीं उतर रहा है।
एनटीपीसी द्वारा निर्माणाधीन 520मेगावाट की जल विद्युत परियोजना निर्माण के दौरान पर्यावरणीय नुकसान की भरपाई के लिए परियोजना प्रभावित क्षेत्रों मे पर्यावरण संरक्षण एंव प्रभावित ग्रामीणों की आजीविका संवर्धन हेतु कैट प्लान के तहत निर्मात्री कपंनी द्वारा कुल परियोजना लागत के अनुपात के अनुसार निर्धारित धनराशि वन महकमे को आवंटित की जाती है। लेकिन यहाॅ एनटीपीसी द्वारा निर्माणाधीन परियोजना जिसका वैराज व पावर हाउस साइट नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क के अधीन है लेकिन न जाने किन कारणों से नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क को ना ही हितभागी प्रभाग और ना ही नोडल प्रभाग की जिम्मेदारी दी गई है।
यहाॅ यह उल्लेख करना भी जरूरी है कि वन महकमा नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क से दूरी बनाकर किसी अन्य प्रभाग को धनराशि आंवटित करे यह उसका विभागीय मसला हो सकता है। लेकिन कैट प्लान की राशि का उपयोग वर्षो से प्रभावित क्षेत्र मे नही हो पा रहा है। जिसके चलते परियोजना प्रभावित ग्रामीण क्षेत्रो के नागरिको मे भारी आक्रोष पनप रहा हैं।
तपोवन-विष्णुगाड परियोजना प्रभावित क्षेत्र तपोवन जहाॅ परियोजना का वैराज निर्माण किया जा रहा है। परियोजना की आधारशिला रखे जाने के दौरान वहाॅ के प्रधान रहे परमानंद पंत के अनुसार परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण व जनसुनवाई के दौरान परियोजना प्रमुखो व वन विभाग द्वारा ग्रामीणो का आश्वास्त किया गया था कि कैट प्लान के तहत सामुदायिक विकास के कार्यो के साथ ही ग्रामीणो की आजीविका सुदृड करने की दिशा मे निरंतर कार्य किए जाऐगे। साथ प्रभावित क्षेत्रों मे पर्यावरण संरक्षण से सबंधित योजनाओ को भी ग्रामीणो के माध्यम से ही पूरा कराया जाऐगा। लेकिन अब वैराज निर्माण का कार्य लगभग पूर्णता की ओर है और कैट प्लान की राशि कहाॅ ब्यय हो रही है इसकी प्रभावितों को भी जानकारी नही है।
पूर्व प्रधान श्री पंत ने कहा कि कई बार नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क वन प्रभाग से संपर्क किया गया , लेकिन उनकी ओर से यही जबाव मिल रहा है कि कैट प्लान की राशि उनके प्रभाग को आवंटित ही नही हुई है।
प्रधान संगठन जोशीमठ के निर्वतमान अध्यक्ष लक्ष्मण सिंह नेगी ने कहा कि परियोजना प्रभावित ग्रामीण क्षेत्रों मे कैट प्लान की धनराशि वन विभाग ब्यय ही नही कर पा रहा है। जमीन पर तो कैट प्लान का कार्य दिख नही रहा यदि कागजो मे ही कार्य हो रहा होगा तो इसकी भी समय आने पर जाॅच हो जाऐगी। श्री नेगी ने कहा कि नियमानुसार कैट प्लान की धनराशि का ब्यय परियोजना के वैराज साइट व पावर हाउस साइट के दस किमी त्रिज्या मे किया जाना है। इस तरह से अब तक वैराज साइट व पावर हाउस साइट से दस किमी एरिया मे निवासरत दर्जनो प्रभावित ग्रामों का कायाकल्प हुआ होता , और पर्यावरण सरंक्षण व संवर्धन के साथ मजबूत पर्यावरण प्रबंधन होता, लेकिन वन महकमे की हीलाहवाली के कारण कैट प्लान की धनराशि धरातल पर नही उतर पा रही है।
प्रधान संगठन के निर्वतमान अध्यक्ष श्री नेगी ने कहा कि तपोवन-विष्णुगाड के साथ विष्णुगाड-पीपलकोटी परियोजना निर्मात्री एजेंसियों द्वारा कैट प्लान के लिए वन विभाग को कुल कितनी धनराशि अवमुक्त की गई है और वन विभाग ने उक्त धनराशि को कहाॅ-कहाॅ ब्यय किया है इसका पूरा ब्यौरा वन महकमे को देना ही होगा। अन्यथा वन विभाग के खिलाफ ही आंदेालन किया जाऐगा।
नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क के उपवन संरक्षक किसन चंद कहते है कि कैट प्लान का प्रकरण उच्चस्तर पर विचाराधीन है। जबकि अपर वन सरंक्षक परियोजनाएं जे0एस0सुहाग से संपर्क करने पर उन्होने बताया कि कैट प्लान की धनराशि आवंटन को लेकर प्रमुख वन सरंक्षक की अध्यक्षता मे आगामी 18नवबंर को बैठक होनी है उसमे स्थिति स्पष्ट हो जाऐगी। उन्होने स्वीकार किया कि धनराशि का सही आवंटन नही होने से प्रभावित क्षेत्रो मे कार्य को लेकर अडचने आ रही है, और प्रभावित क्षेत्रो के प्रतिनिधियों की नाराजगी वाजिब है। इन सब बिंदुओ पर 18नवबर को वार्ता होगी।