डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला
तरबूज़ ग्रीष्म ऋतु का फल है। यह बाहर से हरे रंग के होते हैं, परन्तु अंदर से लाल और पानी से भरपूर व मीठे होते हैं। इनकी फ़सल आमतौर पर गर्मी में तैयार होती है। पारंपरिक रूप से इन्हें गर्मी में खाना अच्छा माना जाता है, क्योंकि यह शरीर में पानी की कमी को पूरा करते हैं। तरबूज में लगभग 97 प्रतिशत पानी होता है यह शरीर में ग्लूकोज की मात्रा को पूरा करता है, कुछ स्रोतों के अनुसार तरबूज़ रक्तचाप को संतुलित रखता है और कई बीमारियाँ दूर करता है। हिन्दी की उपभाषाओं में इसे मतीरा राजस्थान के कुछ भागों में और हदवाना हरियाणा के कुछ भागों में भी कहा जाता है। पके पलों को काटने पर इनके भीतर झिल्लीदार लाल या सफेद गूदा तथा मीठा रस निकलता है। बीजों का रंग लाला या काला होता है। गरमी के दिनों में तरबूज तरावट के लिये खाया जाता है। पकने पर भी तरबूज के छिलके का रंग गहरा हरा होता है। यह बलुए खेतों में विशेषतः नदी के किनारे के रेतीले मैदानों में जाडे़ के अंत में बोया जाता है।
संसार के प्रायः सब गरम देशों में तरबूज होता है। यह दो तरह का होता है एक फसली या वार्षिक दूसरा स्थायी। स्थायी पौधे केवल अमेरिका के मेक्सिको प्रदेश में होते हैं जो कई साल तक फलते फूलते रहते हैं।
कुछ स्रोतों के अनुसार तरबूज़ रक्तचाप को संतुलित रखता है और कई बीमारियाँ दूर करता है। इसके और भी लाभ बताए जाते हैं जैसे कि कुछ का दावा है कि यह मोटापे और मधुमेह को भी रोकने का कार्य करता है। अर्जीनाइन नाइट्रिक ऑक्साइड को बढावा देता है, जिससे रक्त धमनियों को आराम मिलता है। एक भारतीय.अमरीकी वैज्ञानिक ने दावा किया है कि तरबूज़ वायग्रा.जैसा असर भी पैदा करता है।
टेक्सास के फ्रुट एंड वेजीटेबल इम्प्रूवमेंट सेंटर के वैज्ञानिक डॉ भिमु पाटिल के अनुसार जितना हम तरबूज़ के बारे में शोध करते जाते हैं उतना ही और अधिक जान पाते हैं। यह फल गुणों की खान है और शरीर के लिए वरदान स्वरूप है। तरबूज़ में सिट्रुलिन नामक न्यूट्रिन होता है जो शरीर में जाने के बाद अर्जीनाइन में बदल जाता है। अर्जीनाइन एक एम्यूनो इसिड होता है जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाता है और खून का परिभ्रमण सुदृढ रखता है। तरबूज़ की कुछ उन्नत किस्में इस प्रकार से हैं, यह संयुक्त राज्य अमेरिका से लाई गई किस्म है तरबूज़ एक लम्बी अवधि वाली फ़सल है, जिसकी ज़्यादा तापमान होने पर अधिक वृद्धि होती है इसलिए इसकी खेती अधिक तापमान वाले क्षेत्रों में की जाती है। इसकी स्वाभाविक वृद्धि के लिए ३६.२२ से ३९.२२ सेल्सियस तापमान अनुकूल माना गया है। तरबूज़ की खेती अत्यधिक रेतीली मिट्टी से लेकर चिकनी दोमट मिट्टी तक में की जा सकती है। विशेष रूप से नदियों के किनारे रेतीली भूमि में इसकी खेती की जाती है।
राजस्थान की रेतीली भूमि में तरबूज़ की खेती अच्छी होती है मैदानी क्षेत्रों में उचित जल निकास वाली रेतीली दोमट वाली भूमि सर्वोत्तम मानी गई है। यह फल गुणो की खान है और शरीर के लिए वरदान स्वरूप है। तरबूज़ में सिट्रुलिन नामक न्यूट्रिन होता है जो शरीर में जाने के बाद अर्जीनाइन में बदल जाता है। अर्जीनाइन एक एम्यूनो इसिड होता है जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाता है और खून का परिभ्रमण सुदृढ रखता है तरबूज आपको किसी भी फ्रूट मार्केट में बड़ी आसानी से मिल जाएगा। इसमें विटामिन ए विटामिन सी मैग्नीशियम और जिंक जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। इस ड्रिंक से आप के इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने में मदद मिल सकती है। इसके साथ .साथ अगर आपकी मांसपेशियों में दर्द भी होता है तो ये जूसए उस दर्द को भी दूर करने में मदद करेगा। इन बीजों का तेलए बादाम के तेल की जगह उपयोग में लिया जाता है। तरबूज में काफी मात्रा में पेक्टिन और रस में सिट्रयुलिन 0.17 प्रतिशत होता है। इसके बीजों में आवश्यक अमीनो अम्ल काफी मात्रा में पाए जाते हैं। कोरोनावायरस से लड़ने के लिए आपको अपने शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को जरूर बढ़ाना पड़ेगा तोए ऐसे में आज हम आपको एक ऐसी चीज के बारे में बताने जा रहे हैं। जिसका अगर आप सेवन करेंगे तोए आपके शरीर का रोग प्रतिरोधक क्षमता जरूर बढ़ेगा औरए इस लॉक डाउन में आप भी अपने शरीर का ध्यान जरूर रखिए तोए क्योंकि बीमारियों से और इन्फेक्शन से लड़ने के लिए आपके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होना जरूरी है।
तरबूज में एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं। इसके अलावा, यह विटामिन सी और विटामिन ए का अच्छा स्रोत है। इस त्वचा का नियमित रूप से सेवन करने से त्वचा में निखार आएगा। नियमित रूप से तरबूज का सेवन आपको दिल के दौरे से बचा सकता है। यह रक्त वाहिकाओं में रक्त के थक्के या थक्के को रोकने का एक प्रभावी तरीका है। इस तरह आप दिल के दौरे को रोक सकतेहैं। ज्यादातर लोग इसे कम पकाना पसंद करते हैंए तो कुछ इसे अच्छी तरह से पकाते हैं। स्वाद के अलावाए इसमें पानी और कई पोषक तत्व भी होते हैं जो आपको स्वास्थ्य और सौंदर्य के कई लाभ प्रदान करते हैं। तरबूज खाने या इसे चेहरे पर रगड़ने से त्वचा अच्छी होती है। यह शुष्क त्वचा को ठीक करता है और त्वचा को नमीयुक्त रखता है और जवां दिखता है। .करोबा शरीर में पानी और विटामिन और खनिजों की कमी के साथ.साथ आपको उर्जावान बने रहने में मदद करता है। यह आपकी त्वचा को हाइड्रेट करेगा।
इसमें भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट होते हैंए जो बढ़ती उम्र को रोकने और तनाव को कम करने में मदद कर सकते हैं। यह आपकी त्वचा को युवा रखता है और आपको मानसिक शांति प्रदान करता तरबूज में विटामिन ए आपकी आंखों, त्वचा और बालों को मदद करता है। इसके अलावा, इसमें बीटा कैरोटीन भी होता है, जो आंखों के लिए बहुत फायदेमंद है। तरबूज विटामिन. सी का बहुत अच्छा स्रोत है। तरबूज शरीर का इम्यून सिस्टम मजबूत करता है। तरबूज में विटामिन ए होता है जो प्रतिरक्षा प्रणाली को नियंत्रित करता है और इसे संक्रमण से बचाता हैण् कोरोना वायरस का पूरी तरह से खात्मा नहीं हुआ है। म तरबूज के बीज संक्रमण से लड़ने में मदद करता है जिससे होने वाले बुखारए सर्दी.खांसी जैसी समस्याैओं से छुटकारा दिलाता है। तरबूज के बीज इम्यूनिटी बढ़ाते हैं। हीने में लोग अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने को लेकर जागरुक हुए हैं। यही वजह है कि बाजार में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली सामग्री मांग बढ़ गई है और इन्हें दोगुने भावों पर बेचा जा रहा है। हालांकि इनमें से कई नुस्खे नानी.दादी के बताए हुए हैं, जो आज भी उतने ही कामयाब हैं, जितने बरसों पहले थे, लेकिन नई पीढ़ी बदले जमाने में इन्हें नजरअंदाज कर रही थी। अब घर परिवार में बुजुर्ग इन पोषक तत्वों की दोबारा याद दिलाने लगे हैं और प्रिट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में रोजाना इनकी चर्चा होने लगी है। नियमित रुप से सुबह गुनगुने पानी में नींबू मिलाकर सेवन करना, कुछ देर धूप में बैठना, व्यायाम को दिनचर्या में शामिल किया जा रहा है। इसके साथ ही जिंक, विटामीन सी, आयरन आदि की मात्रा बढ़ाना जरुरी समझा रहा है। इसके अलावा नींबू, संतरा, आंवला, चुकंदर, तरबूज, पपीता, हरी पत्तीदार सब्जियां आदि का उपयोग अधिक से अधिक करने की सलाह दी जा रही है। अदरक व तुलसी का काढ़ा पीना आवश्यक बताया जाने लगा है। हल्दी का दूध पीना, गुड़, चना, मूंगफली खाना, अदरक की चाय पीना उपयोगी हो गया है। तुलसी का अर्क, त्रिकटु काढ़ा, गिलोय की बेल का रस या दाल चीनी, काली मिर्च, सोंठ का काढ़ा या मुनक्का, गुड़ व नींबू का काढ़ा जाने की सलाह दी जा रही है। ये नुस्खे कोरोना प्रभावित लोगों के साथ ही सामान्य व्यक्तियों के लिए अत्यंत कारगर है। इन दिनों बाजार में इन चीजों की कमी शुरु हो गई है। कहीं तो ये मनमाने दामों पर बेची जा रही है। हर साल ठंड के दिनों में उपयोग कि ए जाने वाले च्वयनप्राश की मांग गर्मी के दिनों में काफी बढ़ गई है। ताजगी देने वाले तरबूज की एक नहीं अब पांच वैराइटी पांच रंगों में उपलब्ध हैं। पांच रंगों में पैदा होने वाले इन हाईब्रिड तरबूजों में शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की खूबी मौजूद है।
इतना ही नहीं इसकी आरोही नाम की वैराइटी शुगर फ्री भी है। अन्नानास के साथ जेनेरिक प्रयोग करके इस प्रजाति को तैयार किया गया हैए जिसके चलते नेचुरल शुगर की मात्रा कम होने के साथ.साथ इसमे अन्नानास की सुगंध के साथ हल्के खट्टेपन का स्वाद भी मिलता है। अगर गन्ना उगाते हैं तो उनको मात्र 26 हजार रुपये बीघे की फसल का मूल्य बच पाता है, लेकिन तरबूज लगाने से वह 60 से 65 हजार रुपये प्रति बीघा कमा रहे हैं। उनके अलावा गांव भारसी के अरविंद पवार ने भी इस बार हाईब्रिड तरबूज उगाया है। उनका तरबूज बाजार में 24 से 25 रूपये प्रतिकिलो के भाव से बिक रहा है। उनका कहना है कि गन्ने से दोगुनी आमदनी उन्हें इस तरबूज की खेती में हो रही है।












