एसडीएम पर लिपापोती करने का आरोप बेजुबान जानवरों की मौत के ज़िम्मेदार दोषियों पर कब होगी कार्रवाई?
उत्तराखंड समाचार के लिए विजयपाल सिंह भंडारी की रिपोर्ट
हनोल। बंद कमरे में देव गांडूवे को मरने के लिए छोड़ दिया गया था। यदि जिम्मेदार लोगों के इस तर्क को थोड़ी देर के लिए मान लिया जाए कि बकरे बीमारी से मरे हम मान भी ले कि देव गांडवे बिमारी से मरे ए लेकिन साहब मर कर सड़ गए और किसी ने देखने की जुर्रत नहीं समझी एअब क्या आप इस पर भी लिपापोती करेंगे या कार्यवाही ।
क्षेत्र की जनता के द्वारा समिति के बर्खास्त की मांग की जा रही है और एसडीएम चकराता लिपापोती में लगे है
वहीं समिति के कुछ सदस्यों के द्वारा बचने के लिए मरे हुए बकरों को मेमने बता रहे हैं जबकि तस्वीरों में साफ देखा जा सकता है कि मेमने है या बकरे ।
आपको ये भी बता दें कि हनोल में कभी मंदिर की भूमि कब्जाने, कभी प्रधानमंत्री आवासों में धांधली तो कभी मंदिर की जमीन पर प्रधानमंत्री आवास का निर्माण जैसे कई मामले सामने आए हैं और सभी मामले तहसील प्रशासन के संज्ञान में हैं और इस बार तो इतनी बड़ी घटना सामने आई है, जिसके पुख्ता सबूतों के साथ खबर भी दिखाई गई है लेकिन एसडीएम साहब को ऐसे जैसे सांप सूंघ जाता है ।
जहाँ हनोल जौनसार बावर के लोगों का एक सबसे बडा श्रद्धा का केंद्र है, वहीं दूसरी ओर यहाँ गठित समिति के कार्यकर्ताओं द्वारा लापरवाही बरती जाती है। जिसका पुख्ता सबूत हमारी टीम द्वारा पहले दिखाई गई खबर में है कि किस तरह बेजुबान बकरे यानी कि देव गांडवों को एक बन्द कमरे में मरने के लिए बन्द कर दिए जाते हैं और बकरे मर जाते हैं, उसके बाद सड़ जाते हैं और सड़ कर जमीन पर हड्डियां ही हड्डियां रह जाती हैं फिर भी समिति का कोई भी सदस्य उस और देखने की जुर्रत नहीं समझता। आखिर उन बेजुबान बकरों का क्या दोष था? सिर्फ इतना ही कि यहाँ आने वाले श्रद्धालु अपनी मान्यताओं के अनुसार महाराज की शरण में इन बकरों को छोड जाते हैं, इन्हें श्रद्धालुओं द्वारा मन्दिर परिसर में अपनी मुराद पुरी होने के लिए छोड़ा जाता है ।
सबसे बड़ी बात तो ये है कि इस समिति कि अध्यक्षता का दायित्व उप जिलाधिकारी के पास होता है, जो समय समय पर मन्दिर परिसर के रख रखाव का बेवरा और श्रद्धालुओं द्वारा दी गई भेंट का लेखाजोखा रखते हैं। बावजूद इसके समिति कि लापरवाही के चलते यहाँ पर इतनी बडी घटना घटित हो गई। जब हमारी टीम द्वारा इस पर संज्ञान लिया गया तो उप जिलाधिकारी द्वारा जांच के लिए तहसील प्रशासन की टीम को भेजा गया साथ ही पशु चिकित्सकों की टीम को भी ले जाया गया और बचे हुए शेष बकरों को बिमारी के बहाने टिकाकरण करवाया गया।
यहाँ देखने वाली बात यह भी है कि जो इस प्रकरण के मुख्य दोषी है, क्या समिति कि अध्यक्षता करने वाले उप जिलाधिकारी महोदय द्वारा इन पर कोई कार्यवाही की जाएगी या इसे मात्र एक हादसा बतला कर ठन्डे बस्ते में डाल दिया जाएगा? बजाए इसके यदि यह घटना किसी इन्सान के साथ घटित होती तो क्या उसको बक्शा जाता? यह अपने आप में एक बडा प्रश्न है? ऐसा इसलिए कहना पड़ रहा है, क्योंकि हनोल स्थित महासू देवता समस्त जौनसार बाबर क्षेत्र के ईष्ट देव है और यहाँ पर सभी कि श्रद्धा जुडी है। इसलिए सभी को यहाँ कि अध्यक्षता करने वाले उप जिलाधिकारी महोदय के निर्णय पर पूर्ण विश्वास है कि जो भी व्यक्ति इस कृत्य के लिए जिम्मेदार होगा उस पर उचित कार्रवाई की जाएगी ।