रिपोर्ट – सत्यपाल नेगी /रुद्रप्रयाग
रुद्रप्रयाग – जनपद रुद्रप्रयाग मे शनिवार 24 दिसंबर को उत्तराखंड राज्य आंदोलन के प्रणेता जिन्हे उत्तराखंड का गांधी भी कहा जाता है,उनके जन्मदिन को संस्कृति दिवस के रूप मे मनाया गया साथ ही इंद्रमणि बडोनी के संघर्षो को याद किया गया.इस अवसर पर शिक्षक दिनेश प्रसाद कोठरी द्वारा इंद्रमणि बडोनी के जीवन पर लिखी पुस्तक”विधार्थी पंचाध्यायी”का भी निशुल्क वितरण किया गया.
आपको बता दे कि उत्तराखंड राज्य आंदोलन की अगवाई करने वाले महान आंदोलन कारी इंद्रमणि बडोनी टिहरी जिले के घनसाली से 35 किलोमीटर दूर अखोडी गॉंव मे 24 दिसंबर 1925 को जन्मे थे,गरीब परिवार के साथ साथ पहाड़ के कठिन जीवन संघर्ष के बाद भी उन्होंने अपनी शिक्षा को भी पूरा.
इंद्रमणि बडोनी अखोडी गॉंव के निर्विरोध ग्राम प्रधान से लेकर जखोली ब्लॉक प्रमुख ओर देवप्रयाग विधानसभा से उत्तर प्रदेश विधानसभा मे विधायक भी निर्वाचित हुए.उन्होंने पहाड़ी राज्य के विकास के लिए हमेशा संघर्ष किया ओर पहाड़ो के चौमुखी विकास का सपना लेकर उत्तराखंड राज्य आंदोलन की अगवाई करते हुए जन आंदोलन खड़ा किया था,आज उत्तराखंड अलग राज्य बंनाने मे स्व. बडोनी का अहम योगदान रहा.वर्ष1994 के उत्तराखंड राज्य आंदोलन मे उन्होंने दिल्ली से नारा दिया था-कोदा-झगोरा खायेंगे,उत्तराखंड राज्य बनायेगे.
वहीं राजकीय इण्टर कालेज रुद्रप्रयाग के प्रवक्ता दिनेश प्रसाद कोठरी कहते है कि इंद्रमणि बडोनी के महान संघर्षो की प्रेरणा के चलते आज उनके जन्मदिन को राज्य सरकार द्वारा उत्तराखंड संस्कृति दिवस के रूप मे मनाने का जो निर्णय लिया गया उसका स्वागत है.
शिक्षक दिनेश प्रसाद कोठरी का कहना है कि अधिकतर लोगों इंद्रमणि बडोनी को केवल राज्य आंदोलनकारी के नाम से ही जानते है,उनके संघर्षो पर बहुत पत्रिकाये,लेख लिखें गये है,मगर उनके जीवन संघर्षो पर आधारित पुस्तक “विद्यार्थी पंचाध्यायी” मे उनके बचपन से लेकर ओर आखिरी सांस तक जीने की पूरी कहानी लिखी गईं है,जिससे नई पीढ़ी के साथ साथ आने वाली पीढ़ीया भी उन्हें जा सके ओर याद करती रहे.मेरे द्वारा यह प्रयास किया गया है,आज के इस पावन दिवस पर मैंने इस पुस्तक को निशुल्क सभी लोगो एंव विद्यार्थीयों को वितरण किया है.
शिक्षक दिनेश प्रसाद कोठरी ने सभी राज्य वासीयो से अपील करते हुए कहा कि इंद्रमणि बडोनी पर लिखी किताब “विधार्थी पंचाध्यायी” को एक बार जरूर पढ़े,ताकि उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि के साथ साथ उनके संघर्षो के पदचिन्हो पर चलने की सबको प्रेरणा मिल सके.