*कृषांग जोशी का सपना डॉक्टर बनकर अपने पहाड़ में सेवा देने*
*का है*
डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला
पहाड़ों के बारे में एक कहावत मशहूर है कि पहाड़ का पानी और जवानी
कभी वहां के काम नहीं आती. रोजगार के मौकों की कमी, शिक्षा की
समुचित व्यवस्था का अभाव और खेती में आने वाली मुश्किलों ने हमेशा से
यहां के लोगों को अपनी जड़ों को छोडऩे के लिए मजबूर किया है.पहाड़ी
क्षेत्रों में से एक उत्तराखंड में विभिन्न प्रकार की समस्याएं देखने को मिलती
हैं। इनमें स्वास्थ्य सेवाएं भी शामिल हैं। इसका प्रमुख कारण पहाड़ी क्षेत्रों
तक पहुंचने में मुश्किलें और ग्रामीण क्षेत्रों में कम लोगों का रहना है। इसके
परिणामस्वरूप सरकारी योजनाओं को लागू करने में परेशानी होती
है।मेडिकल की राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा स्नातक (नीट-यूजी) में
हल्द्वानी के कृषांग जोशी ने ऑल इंडिया तीसरी रैंक प्राप्त की है। कृषांग
मूलरूप से अल्मोड़ा जिले के द्वाराहाट ब्लाक के सुंदरखोला गांव के रहने
वाले हैं। हल्द्वानी में नवाबी रोड स्थित खोलिया कंपाउंड में उनका घर
है। कृषांग के पिता कैप्टन मनोज जोशी मैंगलोर पोर्ट अथारिटी कर्नाटक
में उप संरक्षक के पद पर कार्यरत हैं।मां विनीता जोशी गृहिणी हैं। पुणे
में रहकर नीट की कोचिंग की और वहीं से परीक्षा में शामिल हुए। ऐसे
में परीक्षा राज्य महाराष्ट्र रहा और यहां स्टेट टापर रहे। कृषांग के पिता
कैप्टन मनोज जोशी ने फोन पर हुई बातचीत में बताया कि उनका पुत्र
बचपन से मेधावी रहा है। केंद्रीय स्तर की हैकाथान स्पर्धा में राष्ट्रीय
टापर रहा।मेडिकल की राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा स्नातक (नीट-
यूजी) में हल्द्वानी के कृषांग जोशी ने ऑल इंडिया तीसरी रैंक प्राप्त की
है। मूल रूप से अल्मोड़ा जिले के द्वाराहाट विकासखण्ड के सुंदरखोला
गांव से ताल्लुक रखने वाले कृषांग वर्तमान में हल्द्वानी के नवाबी रोड
स्थित खोलिया कंपाउंड में रहते हैं। भले ही उन्होंने अपनी इस उपलब्धि
को पुणे में रहकर हासिल किया, लेकिन उनका सपना डॉक्टर बनकर
अपने पहाड़ में सेवा देने का है। कृषांग के पिता कैप्टन मनोज जोशी, जो
वर्तमान में मैंगलोर पोर्ट अथॉरिटी कर्नाटक में उप संरक्षक के पद पर
तैनात हैं और उनकी मां विनीता जोशी गृहिणी हैं। कृषांग की प्रारंभिक
शिक्षा नेवी चिल्ड्रंस स्कूल, गोवा में हुई और बाद में एक केंद्र सरकार की
योजना के अंतर्गत वह पुणे के महावीर जूनियर कॉलेज में चयनित हुए।
बताते चलें कि बचपन से ही पढ़ाई में अव्वल दर्जे के छात्र रहे कृषांग ने
हाईस्कूल की परीक्षा 98% जबकि इंटरमीडिएट की परीक्षा 95% अंकों
के साथ उत्तीर्ण की। अब नीट परीक्षा के परिणामों में उन्होंने 720 में से
681 अंक हासिल कर समूचे देश में तीसरी रैंक हासिल की है।कृषांग ने
हैकाथॉन जैसी राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में टॉप किया, विज्ञान और
नवाचार से जुड़ी कई प्रतिस्पर्धाओं में भी सराहनीय प्रदर्शन किया।
कृषांग ने NEET-UG की परीक्षा महाराष्ट्र राज्य के अंतर्गत दी, और
वहां स्टेट टॉपर भी घोषित हुए। लेकिन उनका दिल आज भी
उत्तराखण्ड की पहाड़ियों में ही है। उनका स्पष्ट कहना है—“अगर
डॉक्टर बना, तो अपनी मिट्टी के लिए ही काम करूंगा।” कृषांग की इस
अभूतपूर्व उपलब्धि से उनके परिवार में हर्षोल्लास का माहौल है।साथ
ही अन्य कई प्रतियोगिताओं में भी श्रेष्ठ प्रदर्शन कर स्थान पाया। नेवी
चिल्ड्रंस स्कूल गोवा से हाईस्कूल किया। दसवीं के दौरान ही उसका
चयन मेडिकल प्रवेश परीक्षा की निश्शुल्क कोचिंग से जुड़ी एक योजना
के लिए हुआ।ऐसे में प्रवेश परीक्षा की तैयारी संग आगे की पढ़ाई के लिए
पुणे चले गए। यहां महावीर जूनियर कालेज से 11वीं और 12वीं की
पढ़ाई की। स्कूल की पढ़ाई संग नीट की तैयारी में जुटे रहे। इंटरनेट पर
उपलब्ध मनोरंजन के संबंधित मंचों से दूर रहे। सिर्फ पढ़ाई से जुड़ी
सामग्री के लिए इंटरनेट का प्रयोग किया।कैप्टन जोशी ने कहा कि
कृषांग ने नीट की तैयारी संग यह कहा था कि उन्हें अपनी जड़ों से जुड़ा
रहना है। यदि डाक्टर बने तो पहाड़ में ही सेवा करेंगे। अब प्रवेश परीक्षा
उत्तीर्ण कर पहला पड़ाव पार कर लिया है। आगे अपने राज्य में सेवाएं
करने की इच्छा जताई है।लेकिन उनका सपना डॉक्टर बनकर अपने
पहाड़ में सेवा देने का है। कृषांग ने यह सिद्ध किया है कि अगर लक्ष्य
साफ हो और समर्पण मजबूत, तो कोई भी मंजिल दूर नहीं।"उत्तराखंड
जैसे पर्वतीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार ना केवल स्थानीय
समुदायों को स्वस्थ बनाने का कार्य करता है बल्कि राज्य के विकास में भी
महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। *लेखक विज्ञान व तकनीकी विषयों के*
*जानकार दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं।*