फोटो-नृसिंह मंन्दिर मठांगण मे तिमुण्डा बीर की पूजा करते हुए।
प्रकाश कपरूवाण
जोशीमठ। इस वर्ष भी कोरोना की भेंट चढा जोशीमठ का प्रसिद्ध तिमुण्डा मेला। सूक्ष्म पूजा कर तिमुण्डा बीर को भोग/प्रसाद चढाया।
सीमांन्त नगर जोशीमठ का एतिहासिक एंव धार्मिक तिमुण्डा मेला इस वर्ष भी कोरोना की भेंट चढ गया। भगवान बदरीविशाल के कपाट खुलने से पहले जोशीमठ के नृंिसहं मंन्दिर मठांगण मे तिमुण्डा मेले का आयोेजन पूरे धार्मिक विधि-विधान के साथ स्थानीय देव पुजाई समिति द्वारा आयोजित किया जाता है। लेकिन कोरोना के कारण गत वर्ष व इस वर्ष भी इस मेले का आयोजन नही किया जा सका। देव पुजाई समिति द्वारा निर्धारित किए गए मुहुर्त के अनुसार शनिवार को दोपहर बाद नवदुर्गा भगवती के ’’आलम’’ को मठांगण मे निकालकर सभी मंन्दिरो मे दर्शन करने के बाद तिमुण्डा बीर के मंदिर मे पूजा अर्चना की गई। इस दौरान तिमुण्डा बीर को गुड चावल का भोग लगाया गया। देव पुजाई समिति के अध्यक्ष/श्री बदरीनाथ मंन्दिर के धर्माकिधारी आचार्य भुवन चन्द्र उनियाल के मार्गदर्शन मे मान्य धार्मिक पंरपराओ के अनुसार पूजा कार्य संपादित हुए। इस दौरान देवपुजाई समिति के कोषाध्यक्ष विजय डिमरी, नृंिसह नव दुर्गा सेवा समिति के सचिव अनिल नंबूरी, सोहन वैजवाडी के अलावा रैकंवाल पंचायत के प्रतिनिधि व पदाधिकारी मौजूद रहे। पूरा धार्मिक कार्यक्रम कोविड गाइड लाइन का पालन करते हुए ही किया गया।
गौरतलब है कि जोशीमठ का तिमुण्डा मेला अनादिकाल से ही प्रतिवर्ष भगवान बदरीविशाल के कपाट खुलने से पूर्व नृंिसहं मंन्दिर मठांगण मे आयेाजित होता रहा हैं। इस परंपरा का निर्वहन वर्तमान तक जोशीमठ के नागरिक करते आ रहे है। इस मेले मे तिमुण्डा के पश्वा-अवतारी पुरूष जो जोशीमठ के ही वैजवाडी परिवार से होते है,उक्त पश्वा पूरे वकरे का कच्चा मांस,मणभर कच्चे चावल व गुड को देखते ही देखते चट कर जाता है, इस दृष्य को देखने के लिए दूर-दूर से प्रतिवर्ष हजारो लोग मठांगण जोशीमठ मे पंहुचते है। लेकिन गत वर्ष से कोरोना की साया के कारण यह एतिहासिक व धार्मिक आयेाजन नही हो पा रहा है। देवपुजाई समिति के अध्यक्ष आचार्य भुवन चन्द्र उनियाल के अनुसार इस वर्ष भी सूक्ष्म रूप से तिमुण्डा बीर की पूजा की गई। अब नवदुर्गा भगवती के आलम को पूजा अर्चना के बाद रविबार को मठ भंण्डार मे सुशोभित कर दिया जाऐगा। और अगले शनिवार को गुरूड छाड मेले का भी सूक्ष्म आयेाजन किया जाऐगा।