डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला
उत्तराखण्ड में पाई जाने वाली ढेरों वनस्पतियों में से ज्यादातर औषधीय गुणों से युक्त हैं। बीते समय में इनमें से कई का इस्तेमाल कई बीमारियों के इलाज के लिए या उनसे बचने के लिए भी होता था। गाँव.देहात में रोजमर्रा के जीवन में इस्तेमाल की जाने वाली इन वनस्पतियों के इस्तेमाल के बारे में लोग पीढ़ी.दर.पीढ़ी के अपने ज्ञान से जानते थे। प्रदेश की हिमनगरी मुनस्यारी आने वाले देश विदेशी पर्यटक अब स्थानीय व्यंजनों का आनंद भी ले सकेंगे। स्थानीय महिला समूह ने सरस बाजार में शुक्रवार को पर्यटकों को भोजन परोसकर इसकी शुरुआत की। हिमनगरी मुनस्यारी जहां अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए देश दुनिया में विख्यात हैं, वहीं यहां के व्यंजन भी लोगों को खूब भाते हैं, लेकिन पर्यटक होम स्टे पर ही इन व्यंजनों का आनंद उठा पाते थे। पहली बार मुनस्यारी की महिलाओं ने पर्यटकों के लिए स्थानीय व्यंजन उपलब्ध कराने का बीड़ा उठाया है, इसके लिए सरस बाजार में व्यवस्था की गई है। सरस बाजार में सीमांत का हस्तशिल्प भी प्रदर्शित किया जाता है। हस्तशिल्प देखने के लिए आने वाले पर्यटकों को न्यूनतम दरों पर स्थानीय व्यंजन परोसे जायेंगे।
खंड विकास अधिकारी उत्तम सिंह नेगी, श्रीराम धर्मशक्तू, तारा पांगती ने संयुक्त रूप से इस योजना की शुरुआत करते हुए कहा कि इस पहल से मुनस्यारी के व्यंजनों को देश और विदेश में नई पहचान मिलेगी। इससे पर्यटन कारोबार को नई ऊंचाईयां मिलेंगी। अतिथियों ने महिलाओं के इस प्रयास की सराहना की। शुभारंभ अवसर पर हिम कुटीर संस्था की अध्यक्ष पार्वती देवी, नेहा पांगती, नीमा पांगती, राजेंद्र बृजवाल आदि मौजूद थे। इन व्यंजनाें का आनंद ले सकेंगे पर्यटक मुनस्यारी के खानपान में तिमूर और भांग की चटनी का स्वाद निराला है। यूं तो भांग की चटनी अन्य स्थानों पर भी बनती है, लेकिन मुनस्यारी की चटनी में डाले जाने वाला नींबू इसे विशेष बना देता है। तिमूर की चटनी कुमाऊं में केवल मुनस्यारी में ही मिलती है, जो यहां का मुख्य जायका है। यह सिलबट्टे पर पीसकर तैयार की जाती है।
तिमूर पहाड़ का एक औषधीय पौधा है, जिसके दानों का प्रयोग चटनी बनाने में किया जाता है। इसके बीजों का प्रयोग माउथ फ्रेशनर, क्रमिनाशक, पेट सम्बन्धी रोगों के लिए तो होता ही है। साथ ही इसके बीज का बाहरी छिलका मसाले के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। इसके बीजों में सुगन्धित तेल की भरपूर मात्रा पायी जाती है। इसके तेल में लीनानूल नाम का कैमिकल होता है, जो एंटीसेप्टिक का काम करता है। अस्थमा, ब्रोकाइटिस, बुखार, स्किन डिजीज़, कोलेरा जैसी बीमारियों में ये लाभदायक होता है।