डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला
तोरई एक सब्ज़ी है। इसका वानस्पतिक नाम लूफा सिलिन्ड्रिका है। कद्दूवर्गीय सब्जियों में तोरई, तोरी महत्वपूर्ण सब्जी है। यह एक बेल वाली कद्दवर्गीय सब्जी है, जिसको बड़े खेतों के अलावा छोटी गृह वाटिका में भी उगाया जा सकता है। किसान इसकी खेती ग्रीष्म जायद और वर्षा खरीफ, दोनों ऋतुओं में करते हैं। इसको स्पॉन्ज गार्ड, लूफा सिलेन्ड्रिका और लूफा इजिप्टिका भी कहा जाता है। इसकी खेती देशभर के सभी राज्यों होती है। चिकनी तोरई के कोमल मुलायम फलों की सब्जी बनाई जाती है, तो वहीं इसके सूखे बीजों से तेल भी निकाला जाता है। इसको कैल्शियम, फॉस्फोरस, लोहा और विटामिन ए का अच्छा स्रोत माना जाता है तोरई एक विशेष महत्त्व वाली सब्ज़ी है।
यह रोगी लोगों के लिए अत्यन्त लाभदयक होती है। इसकी खेती सम्पूर्ण भारत में की जाती है। सब्ज़ी के अलावा इसके सूखे हुए रेशे को बर्तन साफ़ करने, जूते के तलवे तथा उद्योगों में फिल्टर के रूप में प्रयोग किया जात तोरई का जन्म स्थान दक्षिणी एशिया तथा अफ्रीका का उष्ण क्षेत्र है। इसका मूल उत्पत्ति स्थल भारत है। यह भारत सूड़ा द्वीप तथा जावा में जंगली रूप में उगती हुई पाई जाती है। तोरई की तरकारी बहुत हल्की मानी जाती है। घिया तोरई की खेती ब्राजील, मैक्सिको, घाना तथा भारतवर्ष में विस्तृत रूप से की जाती है जबकि काली तोरई की खेती अधिकांशतः हमारे ही देश में की जाती है। हमारे देश में इसकी खेती मैदानी तथा पर्वतीय दोनों क्षेत्रों में की जाती है।
कहावत पुरानी है कि लोहे के चने चबाना आसान नहीं होता। लेकिन आजकल बाजार में चने के भाव उसे लोहे का बना रहे हैं। यकीन करना मुश्किल है कि काला चना 100 रुपए और काबली चना 120 रुपए किलो बिक रहा है। महंगाई के मामले में दाल.चावल.चीनी का भी यही हाल है। जीरा.तेल भी आसमान छू रहा है। महीने के राशन में 2 हजार का इजाफा हो गया। महंगाई ने आम आदमी की कमर तोड़ दी है उत्तराखंड में वैसे तो जड़ी बूटियों औषधियों की भरमार है लेकिन हमारे आसपास भी ऐसी सब्जियां ऐसी औषधियां हैं जिनके गुणों को हम हम सभी तोरई का सेवन तो जरूर करते हैं किन्तु इसके औषधीय गुणों को नहीं जानते हैं। तोराई बहुत ही गुणकारी और फायदेमंद होती है यह हमारे शारीर की कई बीमारियों को नष्ट कर देती है।
आप जितनी बीमारियों के नाम नहीं जानते होंगे उससे कहीं ज्यादा बीमारियों को ठीक करती है तोरई। तोरई हर जगह मिलने वाली सब्जी है और इसका उपयोग सब्जी के रूप में लगभग हर घर में किया जाता है। तोरई की सब्जी बहुत ही स्वादिष्ट होती है और इस सब्जी में स्वाद के साथ अनेकों को गुण पाए जाते तोरई के औषधीय गुणों के बारे में। तोरई खून को साफ़ बनाती है साथ ही यह लीवर के लिए काफी फायेदेमंद हैं। इससे लीवर के सफाई हो जाती हैं और लीवर से जहरीले पदार्थ निकल जाते हैं। यह मधुमेह के रोगियों के लिए काफी फायेदेमंद है। एल्कोहल और नशे के प्रभाव को भी कम करने में मदद करती है तोरई मूत्र और रक्त दोनों में शुगर को कम करती हैं इसलिए मधुमेह के रोगियों को तोरई की सब्जी ज्यादा खानी चाहिए। तोरई खाने से आँखों की कमजोरी भी दूर होती हैं। अगर आप आँखों को हेल्दी बनाना चाहते है तो तोरई की सब्जी का सेवन रोजाना करें। अगर तोरई का नियमित सेवन किया जाय तो बहुत सी बीमारियों को ख़त्म कर देती है। तोरई पथरी के लिये भी रामबाण का काम करती। तोरई का सेवन तो जरूर करते हैं किन्तु इसके औषधीय गुणों को नहीं जानते हैं। तोराई बहुत ही गुणकारी और फायदेमंद होती है यह हमारे शारीर की कई बीमारियों को नष्ट कर देती है।
गर्मियों के दिनों में बाजार में इसकी मांग बहुत होती है, इसलिए किसानों के लिए इसकी खेती करना बहुत लाभदायक है। अगर किसान अपनी आय दोगुनी करना चाहते हैं, तो मार्च में इसकी बुवाई जरूर करें इसकी अच्छी उपज उन्नत किस्म और फसल की देखभाल पर निर्भर होती है, लेकिन अगर वैज्ञानिक तकनीक से खेती की जाए, तो प्रति हेक्टेयर से लगभग 200-400 क्विंटल उपज मिल सकती है।
कोरोना के कहर से पूरा विश्व थम गया है। देश के शहरों व गांवों की सड़कें और गलियां सुनी पड़ी हैं। इसी बीच ट्राइसिटी की फैक्ट्रियों में काम करने वाले मजदूर और भूखे प्यासे दिहाड़ीदार सैकड़ों किलोमीटर चलने के लिए बेबस हैं। उनके पास घर में बैठकर कोरोना वायरस से जंग जीतने के लिए कोई विकल्प नहीं है। उनकी जेब में न तो पैसे हैं और न ही खाने के लिए घर में राशन।
हां एक बात जरूर है कि कोरोना, संक्रमण और मौत के काउंटडाउन के बीच अपने भविष्य को लेकर वे फिक्रमंद जरूर हैं। पंजाब और हरियाणा के बार्डर से सैकड़ों मजदूर अपने गांव.शहरों की तरफ निकल गए हैं। किसी को 100 तो किसी को 2000 किलोमीटर चलना है, रोजी रोटी का संकट सिर पर है। नंगे पैर, भूखे प्यासे समूहों में ये लोग निकल पड़े हैं। इस आस में पूरे दिन.रात इसलिए चले जा रहे हैं कि किसी तरह वे अपने घर पहुंच जाएं। छोटे कस्बों से लेकर बड़े शहरों में तोरई जैसी सब्जियों की बहुत मांग है, क्योंकि यह अनेक प्रोटीनों के साथ खाने में भी स्वादिष्ट होती है। जिसे हर मनुष्य इसकी सब्जी को पसंद करता है। उत्तराखण्ड हिमालय राज्य होने के कारण बहुत सारे बहुमूल्य फसल उत्पाद जिनकी अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में अत्यधिक मांग रहती है। भारत में प्रायः सभी प्रान्तों में पाया जाता हैं।उत्तराखण्ड के परिप्रेक्ष्य में इतनी पोष्टिक एवं औद्योगिक रूप से महत्वपूर्ण फसल जिसका अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी अधिक मांग है, को प्रदेश में व्यवसायिक रूप से उत्पादित कर जीवका उपार्जन का साधन बनाया जा सकता है। उत्तराखण्ड के लिए सुखद ही होगा किया जाता है तो यदि रोजगार से जोड़े तो अगर ढांचागत अवस्थापना के साथ बेरोजगारी उन्मूलन की नीति बनती है तो यह पलायन रोकने में कारगर होगी उत्तराखण्ड हिमालय राज्य होने के कारण बहुत सारे बहुमूल्य फसल उत्पाद जिनकी अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में अत्यधिक मांग रहती है। कोरोना महामारी संकटपूर्ण स्थिति के लिए उपयोगी का साधन बनाया जा सकता है, लेकिन सब्जियों की कीमतों में आग लगा दी। खुदरा बाजार में अधिकतर सब्जियों के दाम दोगुना हो गए हैं।